आज बुधवार को करें गणेश जी की आरती, यहां देखें सरल भावार्थ

Ganesh Ji Ki Aarti: बुधवार का दिन भगवान गणेश के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है. इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा और अर्चना की जाती है. भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है. उनकी कृपा से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य होती है. बुधवार के दिन भगवान गणेश की आरती अवश्य करें.

By Shaurya Punj | January 8, 2025 7:58 AM

Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics: प्रत्येक बुधवार को गौरी पुत्र श्री गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. यह दिन उन कार्यों को सफल बनाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है जो विघ्न में पड़े हैं. इस दिन, सुबह स्नान के उपरांत गणेश जी की आराधना करना आवश्यक है. साथ ही, भगवान गणेश को उनके प्रिय भोग मोदक का प्रसाद अर्पित करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, बुधवार के दिन गणेश पूजा के समय श्री गणेश की आरती का पाठ अवश्य करना चाहिए. इस आरती के पाठ से आप विघ्नहर्ता श्री गणेश को प्रसन्न कर अपनी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं. आज हम आपके लिए गणेश जी की आरती प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसमें गणपति बप्पा की महिमा का वर्णन किया गया है. गणेश जी की आरती और उसका भावार्थ इस प्रकार है…

भगवान गणेश की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

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एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी।
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

गणेश जी की आरती का सरल भावार्थ

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

भावार्थ – गणेश जी की जय हो, गणेश जी की जय हो.
जिनकी माता माँ भवानी पार्वती हैं और पिता स्वयं महादेव शिव शंकर हैं.
हे देवता! गणेश आपकी जय हो.

एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी।
मस्तक सिन्दूर सोहे मूसे की सवारी।

भावार्थ – भगवान गणेश एक दाँत वाले सभी पर दया करने वाले, चार भुजाओं को धारण करते हैं. जिनके माथे पर सिंदूर का तिलक शोभित होता है और वे मूषकराज की सवारी करते हैं.

पान चढ़ें फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा।
लड्डुवन को भोग लगे सन्त करें सेवा।

भावार्थ – भगवान गणेश को पान, फूल चढ़ाए जाते हैं और उन्हें मेवा मिष्ठान समर्पित किया जाता है. लड्डु जो कि उन्हें बहुत प्रिय हैं का भोग लगाकर संतजन उनकी सेवा करते हैं.

अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया।
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया।

भावार्थ – भगवान गणेश अंधों को आँखे प्रदान करने वाले हैं, कोढ़ियों को स्वरूपवान बनाने वाले हैं. इसी तरह से बाँझ स्त्री को पुत्र प्रदान करते हैं और गरीबों को धन दौलत से मालामाल कर देते हैं.

दीनन की लाज राखो शम्भु-सुत वारी।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी।

भावार्थ – हे भगवान गणेश! आप हम दीन दुखियों के मान सम्मान को बनाए रखें. हे भगवान शंकर के पुत्र, जगत के पालनकर्ता आप हमारी मन की इच्छा की पूर्ति कर हमारा उद्धार (कल्याण) करें.

सूरश्याम शरण आये सफल कीजै सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।

भावार्थ – हे भगवान गणेश! हम आपके शरणार्थी हैं. आप हमारी सेवा को स्वीकार कर हमारे मनोरथ को सफल बनाएँ. आपकी माता जगदम्बा भवानी पार्वती हैं और पिता महादेव शिव शंकर हैं.

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