Ganga Jayanti ,Ganga Saptami 2020 :
गंगा सप्तमी को हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण व पवित्र दिन माना जाता है.स्कन्दपुराण के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही गंगा स्वर्ग लोक से भोलेनाथ की जटाओं में पहुंची थीं.इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. आज 30 अप्रैल को हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है.इसलिए आज के दिन ही गंगा सप्तमी मनाई जा रही है.इसी तिथि पर चित्रगुप्त भी प्रकट हुए थे. ज्योतिष विद्वनों के अनुसार आज के दिन गंगा स्नान करने से दुगुने पुण्य की प्राप्ति होती है.हालांकि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर देश में लॉकडाउन लागू है और इसलिए कोई भी भक्त गंगा नदी में जाकर स्नान नहीं कर पाएंगे. इसलिए आज के दिन घर में ही स्नान करने के दौरान पात्र में कुछ बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करना उचित है.
घर में रहकर ऐसे बनें आज पुण्य के हिस्सेदार :
सप्तमी के दिन पुण्य के लिए स्नान- दान का बेहद महत्व है.गंगा स्नान इस बार नहीं होगा लेकिन घरों में ही स्नान के दौरान कुछ चीजों का पालन करें
– घर पर स्नान करते समय भी मां गंगा का स्मरण करें.शुद्ध मन से प्रातः काल में स्नान कर मां गंगा का सुमिरन करें.
– स्नान करने के बाद आज सूर्यदेव को जल जरूर अर्पण करें.
– स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पण करें और उसके बाद गंगा स्त्रोत का पाठ करें.
– भगवान भोलेनाथ का पूजन आज जरूर करें.
– स्नान करते समय ” ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायणयै नमो नमः ” का स्मरण करें.
गंगा सप्तमी 2020 : स्कंदपुराण के अनुसार, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शंकर की जटाओं में आई थीं.इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है.यह दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के लिए नही बल्कि भोलेनाथ के जटाओं में आने के लिए विशेष महत्व रखता है.जिस दिन मां गंगा धरती पर आई थीं वह दिन गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है.जो ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को आता है.आज के दिन गंगा पूजन व स्नान से यश की प्राप्ति होती है और कहा जाता है कि भक्त आज यह करने से पाप और रोगों से मुक्ति पाते हैं.
गंगा सप्तमी कथा :
मां गंगा के बारे में ऐसी मान्यता है कि सूर्यवंशी राजा सागर के 60 हजार पुत्रो को कपिल मुनि ने श्राप से भस्म कर दिया था.और उस समय राजा सागर के वंशज रहे भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने के लिए मां गंगा की तपस्या की.और प्रसन्न होकर मां गंगा उसके लिए धरती पर आईं.धरती पर आने के क्रम में वो भगवान भोलेनाथ के जटाओं के माध्यम से ही आईं.जटाओं में आने का दिन आज सप्तमी का ही था.इसलिए आज के दिन को गंगा सप्तमी या गंगा जयंती के रूप में मनाते हैं.