11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लगने जा रहा है गंगा सागर मेला, जानें यहां स्नान का महत्व

Gangasagar Mela 2025: भारत के सभी तीर्थ स्थलों में गंगासागर को विशेष महत्त्व प्राप्त है. यह मान्यता है कि गंगासागर की तीर्थ यात्रा और पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए कहा जाता है, "सारे तीर्थ बार-बार, गंगासागर एक बार." मकर संक्रांति के अवसर पर यहां एक बड़ा मेला भी आयोजित किया जाता है, जो हुगली नदी के किनारे लगता है.

Gangasagar Mela 2025: मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गंगा सागर की तीर्थ यात्रा और स्नान का अत्यधिक महत्व है. हिंदू धर्म में गंगा सागर को मोक्ष का स्थान माना गया है. इस पर्व पर लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की इच्छा के साथ सागर संगम में पुण्य स्नान करते हैं. मकर संक्रांति के दौरान गंगा-यमुना के किनारों पर मेले आयोजित होते हैं. देश का प्रसिद्ध गंगा सागर मेला भी इस अवसर पर आयोजित किया जाता है.

गंगा सागर मेला 2025

गंगा सागर मेला मकर संक्रांति से कुछ दिन पूर्व आरंभ होता है और पर्व के समापन के बाद समाप्त होता है. इस वर्ष मकर संक्रांति पर गंगा सागर में स्नान 14 जनवरी को होगा. वहीं, गंगा सागर मेला 10 जनवरी 2025 से प्रारंभ होकर 18 जनवरी 2025 तक चलेगा. इस अवधि में लाखों श्रद्धालु यहां आकर स्नान और धार्मिक अनुष्ठान करेंगे.

मकर संक्रांति के दिन इन राशियों को होग फायदा, मंगल-गुरु बना रहे हैं ये योग

मकर संक्रांति के दिन इन राशियों को होग फायदा, मंगल-गुरु बना रहे हैं ये योग

गंगा सागर स्नान का महत्व

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा सागर में स्नान को अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यहां स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगा सागर में स्नान के पश्चात श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं और समुद्र में नारियल तथा पूजा सामग्री का समर्पण करते हैं. ऐसा विश्वास है कि मकर संक्रांति पर गंगा सागर में स्नान करने से इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. गंगा सागर का मेला हुगली नदी के उस किनारे पर आयोजित होता है, जहां गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है. यही संगम स्थल गंगा सागर के नाम से जाना जाता है.

मकर संक्रांति पर क्यों लगता है गंगासागर मेला

मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा सागर में स्नान का पौराणिक महत्व अत्यधिक है. पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता गंगा भगवान शिव की जटा से निकलकर धरती पर आईं, तब उन्होंने भागीरथ के साथ मिलकर कपिल मुनि के आश्रम में जाकर सागर में विलीन हो गईं. यह घटना संक्रांति के दिन हुई थी. मां गंगा के पवित्र जल से राजा सागर के साठ हजार शापित पुत्रों का उद्धार हुआ. इस महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में गंगा सागर तीर्थ का नाम प्रसिद्ध हुआ. यहां हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है. मान्यता है कि इस पवित्र दिन स्नान करने से 100 अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें