Govardhan Puja: इस समय त्योहारों की लाइन लगी है. एक के बाद एक त्योहार लगातार पड़ रहे है. हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का अलग ही महत्व है. यह पर्व दिवाली के ठीक दूसरे दिन मनाया जाता है. इस बार गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को पड़ रहा है. दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गाय, बैल आदि की विधि-विधानपूर्वक पूजा होती है. दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा व अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गाय, बैल आदि की विधि-विधानपूर्वक पूजा होती है. पशुओं को स्नान-ध्यान कराने के बाद सिर में तेल-सिंदूर लगाकर माला पहनाया जाता है. इसके बाद धूप-आरती के बाद मिष्ठान्न खिलाया जाता है. इस दिन श्रीकृष्ण के साथ गोवर्धन पर्वत की भी पूजा की जाती है
इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है. इसके बाद श्रीकृष्ण और गौ माता की आराधना करने की परंपरा है. इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर आरंभ हो रहा है, जो 16 नवंबर की सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. वहीं, गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से संध्या 05 बजकर 26 मिनट तक है. शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होगा.
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है. इस दिन गेहूं, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी और पत्ते वाली सब्जियों से बने भोजन को पकाया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है. पूजा वाले दिन घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन नाथ की प्रतिमा बनाई जाती है. इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल आदि से दीपक जलाकर उसकी पूजा करें. गोबर से बनाए गए गोवर्धन की परिक्रमा करें. फिर ब्रज के देवता गिरिराज भगवान को प्रसन्न करने के लिए अन्नकूट भोग लगाएं. अन्नकूट में 56 प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं. इस दिन प्रदोष काल (शाम के समय) में विधि-विधान से श्रीकृष्ण भगवान की पूजा की जाती है. साथ ही गोवर्धन पूजा के दिन गाय की पूजा कर उसे गुड़ और हरा चारा खिलाना शुभ माना जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को इंद्रदेव के बजाय गावर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया. श्रीकृष्ण भगवान ने गोकुलवासियों से कहा कि बारिश गोवर्धन पर्वत की वजह से होता है, इंद्रदेव की वजह से नहीं. गोवर्धन पर्वत ही बादल को रोकता है. जिसके कारण बारिश होती है. भगवान श्रीकृष्ण के कहने के बाद से गोकुलवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. इससे इंद्रदेव को बड़ा गुस्सा आया और गोकुल में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी.
तेज बारिश से गोकुलवासी भयभीत हो गए. जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने बारिश से गोकुलवासियों को बचाने के लिए अपनी एक उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया. सभी गोकुलवासियों ने गोवर्धन पर्वत की शरण लेकर बारिश से खुद को बचाया. इस तरह श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अभिमान तोड़ दिया. गोकुलवासी श्रीकृष्ण की आराधना करने लगे. भगवान को 56 भोग लगाया. इससे प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों को आशीर्वाद दिया कि वह सदैव उनकी रक्षा करने का वचन दिया.
गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।
विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।
गोवर्धन पूजा आरती
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर विश्राम
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे गले में कण्ठा साज रहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
तेरे कानन कुण्डल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
गिरिराज धरण प्रभु तेरी शरण।
करो भक्त का बेड़ा पार
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ।
News posted by: Radheshyam kushwaha