Gupta Navratri: आज से गुप्त नवरात्र शुरू, हाथी पर होगा माता का आगमन, जानिए माता की घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
Gupta Navratri 2020: 21 जून से भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके है. भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करने से अच्छी बारिश के योग बन रहा है. ज्योतिषशास्त्र में 27 नक्षत्रों में आद्रा नक्षत्र को जीवनदायनी नक्षत्र माना जाता है. क्योंकि आद्रा नक्षत्र का सात्विक अर्थ गीला होता है. वहीं आज ( 22 जून) से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही हैं. इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा, जिससे अधिक बारिश होगी. जबकि माता की विदाई भैंसे पर होगी, जिससे रोग और शोक दोनों बढ़ेगी.
Gupta Navratri 2020: 21 जून से भगवान सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके है. भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करने से अच्छी बारिश के योग बन रहा है. ज्योतिषशास्त्र में 27 नक्षत्रों में आद्रा नक्षत्र को जीवनदायनी नक्षत्र माना जाता है. क्योंकि आद्रा नक्षत्र का सात्विक अर्थ गीला होता है. वहीं आज ( 22 जून) से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही हैं. इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा, जिससे अधिक बारिश होगी. जबकि माता की विदाई भैंसे पर होगी, जिससे रोग और शोक दोनों बढ़ेगी.
आज (22 जून) से नवरात्र शुरू हो जाएगा. एक साल में चार बार नवरात्र आते हैं. जो कि चैत्र, आश्विन, आषाढ़ और माघ मास में आते हैं. इसमें से माघ और आषाढ़ मास के नवरात्रि की गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इस दौरान माता की गुप्त रूप में आराधना की जाती है. इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा. जबकि विदाई भैंसे पर होगी. हाथी पर आने से इस बार अच्छी बारिश की संभावना है. जबकि भैंसे पर विदाई के कारण रोग और शोक में बढ़ोतरी होगी.
इस बार नवरात्रि में पंचमी और षष्ठी तिथि एक ही दिन होने से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि 8 दिन की होगी. माता की घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक का रहेगा. घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. सनातनधर्म में धार्मिक कार्यों में घटस्थापना करने का विधान है.
कलश को पृथ्वी माता का रूप माना जाता है. इसके बाद इस कलश में देवी देवताओं का आव्हान किया जाता है. नवरात्र में माता के 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिसमें माता काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवरी, माता धूमावती, माता बंगलामुखी, मातंगी और कमलादेवी की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में प्रलय एवं संहार के देव महादेव एवं माता काली की पूजा का विधान है.
21 से भगवान भास्कर आद्रा नक्षत्र में कर चुके है प्रवेश
कृष्णपक्ष अमावास्या पर 21 जून को भगवान सूर्य रात्रि 11 बजकर 27 मिनट पर आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर चुके है. भगवान सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते ही अच्छी बारिश के योग बनेंगे. आद्रा नक्षत्र में से कृषि का भी श्रीगणेश किया जाता है. राहु को आद्रा नक्षत्र का अधिपति माना जाता है. आद्रा नक्षत्र के चारों चरण मिथुन राशि में होते हैं. इस कारण इस नक्षत्र पर मिथुन राशि के स्वामी बुध का भी प्रभाव रहता है. आद्रा नक्षत्र में भगवान सूर्य का भ्रमण 5 जुलाई तक रहेगा.