Guru Pradosh Vrat 2024: कल रखा जाएगा गुरु प्रदोष व्रत, इस विधि से करें शिवजी की पूजा

Guru Pradosh Vrat 2024: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान शिव के लिए अत्यंत प्रिय पर्व माना जाता है. इस व्रत के दौरान प्रदोष काल में भगवान शिव की आराधना करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत का पालन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, साथ ही जीवन में सुख और शांति का अनुभव होता है.

By Shaurya Punj | November 27, 2024 8:23 AM

Guru Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है. यह व्रत प्रत्येक महीने आयोजित किया जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. प्रदोष व्रत का पालन करने से पापों से मुक्ति मिलती है. गुरु प्रदोष व्रत का आयोजन करने से यश, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि नवंबर महीने में प्रदोष व्रत कब है और भगवान शिव की पूजा किस प्रकार करें ताकि वह प्रसन्न हों.

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गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर, गुरुवार को प्रातः 6 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी और 29 नवंबर, शुक्रवार को प्रातः 9 बजकर 43 मिनट पर समाप्त होगी. इस प्रकार, उदयातिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत 28 नवंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा. चूंकि यह दिन गुरुवार है, इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है.

गुरु प्रदोष व्रत पर इस विशेष योग का हो रहा है निर्माण

मार्गशीर्ष में प्रदोष व्रत के अवसर पर इस दिन सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है, जो 28 नवंबर की संध्या 4 बजकर 1 मिनट तक रहेगा. इस समय चित्रा नक्षत्र का भी संयोग होगा. इस संयोग में शिव परिवार की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और सभी प्रकार के दुख-दर्द समाप्त होते हैं.

गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि

इस दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें.
प्रदोष व्रत पूजा में बेल पत्र, अक्षत, धूप, गंगा जल आदि का समावेश अवश्य करें और इन सभी सामग्री से भगवान शिव की आराधना करें.
यह व्रत निर्जला या फलाहार के साथ किसी भी प्रकार से किया जा सकता है.
पूरे दिन उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ समय पूर्व शाम को पुनः स्नान करें.
इसके बाद भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और गुरु प्रदोष व्रत की कथा सुनें.
अंत में शिव जी की आरती करके भोग अर्पित करें.
इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को जल अर्पित करना न भूलें.

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