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गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु और शिष्यों का होता है
गुरु पूर्णिमा का दिन गुरु और शिष्यों का होता है. जिन छात्रों का पढ़ाई में ध्यान न लग रहा हो, उनको गुरु पूर्णिमा के दिन गीता का पाठ करना चाहिए और गाय की सेवा करनी चाहिए. ऐसा करने पर सभी समस्याओं का समाधान होता है.
कल से शुरू होगा सावन महीना
कल 25 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है. सावन महीना भगवान शिव को समर्पित है. सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को है. सावन का पहला सोमवार होने के कारण इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि पूर्वक विशेष पूजा करने का विधान है. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा की जाती है.
आज बरगद की पूजा करने की है मान्यता
याज्ञवल्य ऋषि के वरदान से वृक्षराज बरगद को जीवनदान मिला था. इसलिए गुरु पूर्णिमा पर बरगद की भी पूजा की जाती है.
आज खीर दान करने पर मिलती है मानसिक शांति
गुरु पूर्णिमा की रात खीर बनाकर दान करने से मानसिक शांति मिलती है. ऐसा करने पर चंद्र ग्रह का प्रभाव भी दूर होता है.
आज शाम के समय तुलसी के पास जलाएं घी का दीपक
गुरु पूर्णिमा के दिन यानि आज सायं काल तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना चाहिए. इस दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. मांस मदिरा आदि जैसे तामसिक प्रवृति वाले भोजन का भूलकर भी उपयोग नहीं करना चाहिए.
गुरु के साथ वरिष्ठ जनों का करें आदर सम्मान
गुरु पूर्णिमा के दिन यानि आज केवल गुरु का ही नहीं बल्कि परिवार में वरिष्ठ जनों का आदर सम्मान के साथ उनका पूजन करना चाहिए. गुरु पूर्णिमा के इस पावन दिन पर गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने का बहुत महत्व है.
पूर्णिमा में बन रहे हैं विशेष संयोग
आज दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला रवि योग रहेगा. इसके आलावा दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र रहेगा.
आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रोदय
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 07 बजकर 51 मिनट पर होगा
गुरु पूर्णिमा 2021 पूजन सामग्री
आज गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की पूजा की जाती है. इसके बाद उनका आशीर्वाद लिया जाता है. गुरु की पूजा में इन पूजन सामग्रियों का अवश्य ही शामिल करना चाहिए. इनमें पान का पत्ता, पीला कपड़ा, पीला मिष्ठान, नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग व अन्य पूजन सामग्री शामिल है.
गुरु पूर्णिमा पर चंद्र दर्शन जरूर करें
अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष है, तो आपको आज चंद्रमा का दर्शन करने के बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने पर चंद्र दोष समाप्त हो जाता है
गुरु पूर्णिमा पर चंद्र देव के अर्घ्य का मंत्र
चंद्र को अर्घ्य देने के बाद चंद्र देव के मंत्र का जाप भी जरूर करना चाहिए.
‘ॐ सों सोमाय नमः’ के जाप करने मात्र से चंद्र दोष से मुक्ति का मार्ग खुलता है.
चंद्र दोष कैसे करें दूर
पूर्णिमा की शाम को चंद्र दर्शन जरूर करें. इसके बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अघ्र्य देना न भूलें. ऐसा करने से कुंडली में चल रहा चंद्र दोष दूर होता है.
गुरु पूर्णिमा का शुभ योग
पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग आरंभ: 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक
पूर्णिमा पर प्रीति योग आरंभ: 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
आज चमत्कारी उपाय जरूर करें
गुरु पूर्णिमा के दिन आपको पीपल की जड़ों में मीठा जल अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और व्यक्ति पर अपनी कृपा बरसाती हैं. इससे उसके जीवन से आर्थिक संकट दूर हो जाता है. व्यक्ति को व्यवसाय और कारोबार के क्षेत्र में खूब सारा लाभ अर्जित होता है.
गुरुवर की आरती
जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी,
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥
यदि आप इस तरह से पेपिलोमा पाते हैं, तो सावधान रहें!
तुरंत पता लगाओ!
जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए,
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज मिटा दी, व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की।
अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला,
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया,
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥
भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया,
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण,
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की।
आरती करूं गुरुवर की॥
आरती करूं सद्गुरु की
प्यारे गुरुवर की आरती, आरती करूं गुरुवर की।
इस तरह करें गुरु का पूजन
गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान-ध्यान करके सबसे पहले अपने गुरु की पूजन सामग्री तैयार करें. जिसमें फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र लेकर अपने गुरु के स्थान पर जाएं. उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें और उन्हें अपने सामथ्य अनुसार फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि देकर सम्मानित करें.
कैसे असर डालती है साढ़े साती
शनिदेव की साढ़े साती और ढैय्या पारिवारिक, आर्थिक, करियर और सामाजिक जिंदगी के सभी पहलुओं को प्रभावित करती है. इन्हें आसान बनाने के लिए इस गुरु पूर्णिमा पर कुछ जरूरी उपाय से लाभ मिल सकता है. इस दिन पीपल पेड़ के चारों तरफ 7 बार परिक्रमा करें और ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र जाप करें. हर शनिवार ऐसा करने से बहुत लाभ होगा.
गुरु पूर्णिमा पर शनि देव की पूजा का बन रहा है 'विशेष संयोग'
इस बार गुरु पूर्णिमा खास है. इस बार गुरुदेव के साथ-साथ शनि देव को भी प्रसन्न करने का विशेष संयोग बना है. मान्यता है कि शनि की ढैय्या व साढ़े साती राशि वाले जातक पर भारी पड़ सकती है. इस बार गुरु पूर्णिमा पर शनि पूजा का ऐसा ही विशेष योग है. ऐसे में साढ़े साती झेल रहीं धनु, मकर और कुंभ और ढैय्या से प्रभावित मिथुन और तुला राशि के लोगों को शनिदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए. आज गुरु के साथ शनिदेव की पूजा करने पर शनि साढ़े साती और ढैय्या से परेशान लोगों को विशेष लाभ मिलेगा.
गुरु पूर्णिमा पर करें भगवान विष्णु की अराधना
आज गुरु की पूजा की जाती है. इसके साथ ही आषाढ़ पूर्णिमा का व्रत रखने के साथ ही भक्त भगवान विष्णु की अराधना करते हैं और सत्यनारायण कथा का पाठ या श्रवण करते हैं. पूर्णिमा तिथि पर आज के दिन दान, तप और जप का विशेष महत्व होता है.
गुरु पूर्णिमा को इन मुहूर्त में ना करें पूजा
राहुकाल- सुबह 09 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक
यमगंड- दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक
गुलिक काल- सुबह 06 बजे से 07 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल
दुर्मुहूर्त काल- सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 33 मिनट तक. इसके बाद 06 बजकर 33 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक
वर्ज्य काल- शाम 04 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक
पूर्णिमा में बन रहे हैं विशेष संयोग
सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक वैधृति योग रहेगा. इसके साथ ही दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला रवि योग रहेगा. इसके आलावा दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र रहेगा.
गुरु पूर्णिमा 2021 पूजा विधि
इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.
ऐसा करने से त्वचा रोग, दमा जैसी बीमारियों में लाभ होता है.
इस दिन भगवान विष्णु के वैदिक मंत्र का जाप करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
गुरु पूर्णिमा के दिन खीर के भोग और दान से मानसिक शांति मिलती है.
Rashifal: आज चंद्रमा और शनि मिलकर बना रहे विषयोग, इन राशि वालों को मिलेगा प्रमोशन
पूजा सामग्री
पान का पत्ता, पानी वाला नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग, मोदक व अन्य पूजन सामग्री की जरूरत पड़ेगी.
गुरु पूर्णिमा की शुभ मुहुर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा 23 जुलाई को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी, जो कि 24 जुलाई की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि में पूर्णिमा मनाए जाने के कारण यह 24 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी.
गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है ये शुभ योग
पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग आरंभ: 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक
पूर्णिमा पर प्रीति योग आरंभ: 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
आयुष्मान योग : 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट के बाद लगेगा
जीवन में आती है मधुरता
पूर्णिमा की शाम को पति-पत्नी यदि साथ मिलकर चंद्रमा का दर्शन और उन्हें गाय के दूध का अघ्र्य देते हैं तो उनके दांपत्य जीवन में मधुरता आती है.
चंद्र दोष होता है दूर
पूर्णिमा की शाम को चंद्र दर्शन करने के बाद दूध, गंगाजल और अक्षत मिलाकर चंद्रमा को अघ्र्य देने से चंद्र दोष दूर होता है. अघ्र्य देने के बाद चंद्रदेव के मंत्र ‘ॐ सों सोमाय नमः’का जप करना न भूलें.
गौतम बुद्ध ने दिया अपना पहला उपदेश
आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि या दिन हिंदुओं के साथ-साथ बौद्धों और जैनियों के लिए पवित्र है. यह तिथि भारत का महान महाकाव्य महाभारत के लेखक महर्षि वेद व्यास की जयंती का प्रतीक है. मान्यता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को व्यासजी का जन्म हुआ था. बौद्ध साहित्य के अनुसार, इसी तिथि को भगवान गौतम बुद्ध ने लगभग 2500 वर्ष पूर्व सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था.
कैसे करें गुरु का पूजन
गुरु पूर्णिमा के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करके सबसे पहले अपने गुरु की पूजन सामग्री तैयार करें. जिसमें फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र लेकर अपने गुरु के स्थान पर जाएं. उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें और उन्हें अपने सामथ्र्य के अनुसार फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि देकर सम्मानित करें.
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का पर्व मनाया जाया जाता है. इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं, क्योंकि इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. इस साल यह पावन तिथि 23 जुलाई 2021 को प्रात:काल 10:43 बजे से आरंभ होकर 24 जुलाई 2021 की सुबह 08:06 बजे तक रहेगी.
साल 2021 में कब-कब पड़ेगी पूर्णिमा
दिनांक पूर्णिमा
24 जुलाई 2021 आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
22 अगस्त 2021 श्रावण पूर्णिमा व्रत
20 सितंबर 2021 भाद्रपद पूर्णिमा व्रत
20 अक्टूबर 2021 अश्विन पूर्णिमा व्रत
19 नवंबर 2021 कार्तिक पूर्णिमा व्रत
19 दिसंबर 2021 मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत
पूर्णिमा के दिन कभी न करें ये काम
पूर्णिमा के दिन अपने घर को गंदा करके न रखें.
पूर्णिमा के दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए.
पूर्णिमा के दिन किसी बुजुर्ग या स्त्री का अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए.
पूर्णिमा के दिन भूलकर भी मांस-मदिरा जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
आषाढ़ पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा 23 जुलाई (शुक्रवार) को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी, जो कि 24 जुलाई की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि में पूर्णिमा मनाए जाने के कारण यह 24 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी.
कैसे करें गुरु का पूजन
गुरु पूर्णिमा के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करके सबसे पहले अपने गुरु की पूजन सामग्री तैयार करें. जिसमें फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र लेकर अपने गुरु के स्थान पर जाएं. उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें और उन्हें अपने सामथ्र्य के अनुसार फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि देकर सम्मानित करें.
इन राशियों पर चल रही साढ़ेसाती और ढैय्या
ज्योतिष विशेषज्ञों के मुताबिक इस समय तीन राशियां धनु, मकर और कुंभ शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप झेल रही हैं. शनि साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं दो राशियों मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. शनि जब किसी राशि पर ढाई वर्ष का समय लेते हैं तो उसे शनि की ढैय्या कहा जाता है. इस दौरान व्यक्ति को दांपत्य जीवन, लव रिलेशनशिप और करियर आदि में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
आज का शुभ समय
अभिजित मुहूर्त: आज 23 जुलाई को दिन में 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक
विजय मुहूर्त: आज 23 जुलाई को दिन में दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से दोपहर 03 बजकर 39 मिनट तक
अमृत काल: आज सुबह 10 बजकर 02 मिनट से दिन में 11 बजकर 30 मिनट तक
रवि योग: आज 23 जुलाई को प्रातः काल 05 बजकर 37 मिनट से दोपहर 02 बजकर 26 मिनट तक
गुरु पूर्णिमा पर बन रहा है ये शुभ योग
पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग आरंभ: 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक
पूर्णिमा पर प्रीति योग आरंभ: 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
आयुष्मान योग : 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट के बाद लगेगा
ये है गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी और दिन शुक्रवार है. चतुर्दशी तिथि सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक थी. उसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू हो गई है. आप लोगों को पता ही होगा कि जब पूर्णिमा दो दिनों की होती है, तो पहले दिन पूर्णिमा का व्रत और दूसरे दिन स्नान-दान करके पुण्य प्राप्त किया जाता है.
24 जुलाई को है गुरु पूर्णिमा
इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 24 जुलाई दिन शनिवार को है. वेदों का ज्ञान देने वाले और पुराणों के रचनाकार महर्षि वेद व्यास जी का जन्मदिन इस तिथि को हुआ था. मानव जाति के कल्याण और ज्ञान के लिए उनके योगदान को देखते हुए उनकी जयंती को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाते हैं.
Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा 23 जुलाई को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी, जो कि 24 जुलाई की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि में पूर्णिमा मनाए जाने के कारण यह 24 जुलाई, शनिवार को मनाई जाएगी.
Guru Purnima 2021: इस दिन मनाई जाती है पूर्णिमा
जिस दिन पूर्ण रूप से चंद्रमा उदय होता है उसी दिन व्रतादि की पूर्णिमा मनायी जाती है और आज आकाशमंडल में पूर्ण रूप से चंद्रमा उदयमान रहेगा. पूर्णिमा तिथि पर सूर्योदय के समय स्नान-दान का भी महत्त्व बताया गया है और पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय होगा, इसलिए स्नान-दान की पूर्णिमा 24 जुलाई को मनायी जाएगी. कहा जाता है कि पूर्णिमा के दिन श्रीहरि विष्णु जी स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं.
Guru Purnima 2021: माता-पिता हैं प्रथम गुरु
कहा जाता है कि माता-पिता किसी भी इंसान के पहले गुरु होते हैं. बच्चा उनसे जीवन का प्रारंभिक अर्जित करता है. इस कारण गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आप अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर आशीष ले सकते हैं. यदि घर से दूर हैं तो कॉल कर लें या फिर बधाई संदेश भेजें.
बन रहे यह शुभ योग
इस साल गुरु पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग बन रहा है. सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक प्रीति योग बन रहा है जो 25 जुलाई की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. इसके बाद आयुष्मान योग लग जाएगा.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर मंदिर जाकर देवी-देवता का नमन करें. इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- 'गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये'.
पूर्णिमा में बन रहे हैं विशेष संयोग
सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक वैधृति योग रहेगा. इसके साथ ही दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाला रवि योग रहेगा. इसके आलावा दोपहर 2 बजकर 26 मिनट तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र रहेगा.
पूजा करने की विधि
-गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले स्नान कर लें
-इसके बाद अपने गुरू की पूजा की तैयारी करें
-अपने गुरू को फूल-माला, तांबूल, श्रीफल, रोली-मोली, जनेउ, सामथ्र्य के अनुसार दक्षिणा और पंचवस्त्र चढ़ाएं
-उसके बाद अपने गुरु के चरणों को धुलकर उसकी पूजा करें
-उन्हें अपने सामथ्र्य के अनुसार फल-फूल, मेवा, मिष्ठान और धन आदि देकर सम्मानित करें
क्या है शुभ मुहूर्त
गुरू पूर्णिमा शुक्रवार 23 जुलाई 2021 को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई शनिवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी.
गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि (Guru Purnima 2021 Puja Vidhi)
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर मंदिर जाकर देवी-देवता का नमन करें. इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- ‘गुरु परंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’. इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा अर्चना करें. इसके लिए फल, फूल, रोली लगाएं. इसके साथ ही अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं. फिर धूप, दीपक जलाकर आरती करें.
अपनी राशि के अनुसार गुरुजी को दें उपहार
मेष- अन्न के साथ मूंगा भेंट करें.
वृषभ- चांदी भेंट करें.
मिथुन- शॉल भेंट करें.
कर्क- चावल भेंट करें.
सिंह- पंच धातु से बनी सामग्री भेंट करें.
कन्या- डायमंड भेंट करें.
तुला- कम्बल भेंट करें.
वृश्चिक- माणिक भेंट करें.
धनु- स्वर्ण भेंट करें.
मकर- पीला वस्त्र भेंट करें.
कुंभ- सफेद मोती भेंट करें.
मीन- हल्दी के साथ चने की दाल भेंट करें.
गुरु पूर्णिमा पर करें ये काम
सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करें
इसके बाद गुरु वेदव्यास की पूजा करें
इस दिन किसी को गुरु बनाते हैं या अपने गुरु का पूजन करते हैं.
व्रत रखकर पूरे दिन श्री विष्णु का ध्यान करते हैं.
सत्यनारायण भगवान का कथा पूजन करते हैं.
दान करते हैं. खासकर अन्नदान और वस्त्रदान करें.
इस दिन गुरु ही नहीं माता, पिता, बड़े भाई, बड़ी बहन, चाचा आदि का भी सम्मान करते हैं.
इस दिन गुरु से मंत्र प्राप्त भी करते हैं.
पितरों के तर्पण का कार्य भी किया जा सकता है.
कोई विद्या या सिद्धि सीखने का कार्य भी प्रारंभ किया जा सकता है.
गुरु पूर्णिमा के दिन भूलकर भी न करें ये काम
इस दिन किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन न करें.
मांस, मटन, मच्छी और मदिरा से दूर रहें.
स्त्री समागन या प्रसंग से दूर रहें.
क्रोध, ईर्ष्या, किसी का अपमान करना आदि विकारों से दूर रहें.
यात्रा न करें.
किसी भी प्रकार का मंगलिक कार्य न करें.
यदि व्रत रख रहे हैं तो वार्तालाप और बहस से दूर रहें.
यदि व्रत रख रहे हैं तो तमान तरह की सुख सुविधा का त्याग कर दें.
गुरु की पूजन के लिए यह 5 मंत्र श्रेष्ठ हैं...
1. गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।
2. ॐ गुरुभ्यो नम:।
3. ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
4. ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
5. ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।
पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा 23 जुलाई 2021 दिन शुक्रवार की सुबह 10 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई शनिवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. इसके साथ ही चंद्रोदय का समय 23 जुलाई शाम 7 बजकर 10 मिनट पर है.
पूजा विधि
सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.
कोरोना काल में घर पर ही पानी में दो बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करें
ऐसा करने से त्वचा रोग, दमा जैसी बीमारियों में लाभ होता है.
इस दिन भगवान विष्णु के वैदिक मंत्र का जाप करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
गुरु पूर्णिमा के दिन खीर के भोग और दान से मानसिक शांति मिलती है.
इस दिन बरगद की पूजा भी करनी चाहिए.
शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए जरूर करें ये उपाय
शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ के चारों तरफ 7 बार परिक्रमा करते हुए ऊॅं शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें.
गुरु पूर्णिमा के दिन जल में काले तिल को मिलाकर उससे शिवलिंग का अभिषेक करें. शिव जी की पूजा करने से शनि ग्रह का अशुभ असर कम होने लगता है.
शनिवार के दिन किसी भी काले कुत्ते को सरसों की तेल लगी रोटी खिला दें. गरीबों को सरसों का तेल लोहे से बनी चीज और काली दाल दान करें.
सरसों के तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं एवं शनि मंदिर में भी एक दीपक रख दें. इसके बाद हनुमान जी के सामने भी दिया जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें.
राहुकाल का समय
गुरु पूर्णिमा के दिन राहुकाल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. इस दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है.
आषाढ़ पूर्णिमा पर चंद्रोदय
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 07 बजकर 51 मिनट पर होगा.
ज्ञान और भाग्य वृद्धि के लिए इन मंत्रों का करें जाप
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
पूर्णिमा तिथि का आरंभ
पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि का आरंभ 23 जुलाई दिन शुक्रवार की सुबह 10 बजकर 44 मिनट से 24 जुलाई दिन शनिवार सुबह 8 बजकर 07 मिनट तक रहेगी.
इस दिन करें वैदिक मंत्र जाप
इस दिन वैदिक मंत्र का जाप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से गुरु की खास कृपा मिलेगी.
ऐसे करें पूजा
गुरु पूर्णिमा पर पान के पत्ते, पानी वाले नारियल, मोदक, कर्पूर, लौंग, इलायची के साथ पूजन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. सौ वाजस्नीय यज्ञ के समान फल मिलता है.
गुरु पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ योग
इस साल गुरु पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. प्रीति योग 25 जुलाई की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक रहेगा, इसके बाद आयुष्मान योग लगेगा. ज्योतिष शास्त्र में प्रीति और आयुष्मान योग का एक साथ बनना शुभ माना जाता है. प्रीति और आयुष्मान योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है. विष्कुंभ योग को वैदिक ज्योतिष में शुभ योगों में नहीं गिना जाता है.
गुरु पूर्मिमा पर इस श्लोक से करें गुरु की प्रार्थना
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरु पूर्णिमा के उपाय
इस दिन मां लक्ष्मी- नारायण मंदिर में कटा हुआ गोल नारियल जरूर अर्पित करें. ऐसा करने से बिगड़े हुए कार्य बनने की मान्यता है. अगर आपके कुंडली में गुरु दोष है तो भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा करें. इस दिन जरूरतमंदों को दान जरूर दें. आर्थिक समस्या चल रही है तो आप इस दिन जरूरतमंद लोगों को पीली मिठाई, पीले वस्त्र आदि दान में दें. इस दिन अपने से बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लें.
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि -1
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद एक साफ-सुथरी जगह पर एक सफेद कपड़ा बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें. फिर गुरु व्यास की मूर्ति उस पर स्थापित करें और उन्हें रोली, चंदन, फूल, फल और प्रसाद अर्पित करें. ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें. सूर्य मंत्र का जाप करें. फिर अपने गुरु का ध्यान करें. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करें. आटे की पंजीरी बनाकर इसका भोग लगाएं.
गुरु पूर्णिमा 2021 पूजा विधि -2
सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए.
कोरोना काल में घर पर ही पानी में दो बूंद गंगाजल मिलाकर स्नान करें
ऐसा करने से त्वचा रोग, दमा जैसी बीमारियों में लाभ होता है.
इस दिन भगवान विष्णु के वैदिक मंत्र का जाप करें, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.
गुरु पूर्णिमा के दिन खीर के भोग और दान से मानसिक शांति मिलती है.
इस दिन बरगद की पूजा भी करनी चाहिए. मान्यताओं के अनुसार याज्ञवल्य ऋषि ने बरगद को एकबार वरदान दिया था, जिससे उन्हें जीवनदान मिला था.
गुरु पूर्णिमा 2021 पूजन सामग्री
पान का पत्ता, पानी वाला नारियल, पुष्प, इलायची, कर्पूर, लौंग, मोदक व अन्य पूजन सामग्री की जरूरत पड़ेगी.
गुरु पूर्णिमा पर विशेष योग
पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग: 24 जुलाई 2021, शनिवार की सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक
पूर्णिमा पर प्रीति योग: 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
पूर्णिमा पर आयुष्मान योग: 25 जुलाई 2021, रविवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट के बाद
Raksha Bandhan 2021: कब है रक्षा बंधन, जानें तारीख और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
उन्होंने मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था और सभी पुराणों की रचना की थी. महर्षि वेदव्यास के योगदान को देखते हुए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. आइए जानते है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और गुरु पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें...
गुरु पूर्णिमा 2021 का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि: 23 जुलाई 2021, शुक्रवार
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 24 जुलाई 2021 दिन शनिवार की सुबह 10 बजकर 43 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 25 जुलाई 2021 दिन रविवार की सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक