Guru Purnima 2022: राज योग में मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा, जानें इस बार की गुरु पूर्णिमा क्यों है बेहद खास
Guru Purnima 2022: ज्योतिर्विद डा. श्रीपति त्रिपाठी इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को मनायी जायेगी.यह कई मायनों में खास माना जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कई राज योग बन रहे हैं. दरअसल इस दिन शश, हंस, भद्र और रुचक नामक चार राज योग का निर्माण हो रहा है.
पटना. गुरु की पूजा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जायेगा. पौराणिक मान्यता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता महर्षि देव व्यास का जन्म हुआ था. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन व्यास जयंती भी मनायी जाती है. गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन सुखमय बना रहता है. इस बार की गुरु पूर्णिमा कई मायनों में खास है.
इस बार की गुरु पूर्णिमा है बेहद खास
ज्योतिर्विद डा. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को मनायी जायेगी.यह कई मायनों में खास माना जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कई राज योग बन रहे हैं. दरअसल इस दिन शश, हंस, भद्र और रुचक नामक चार राज योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही इस दिन बुध ग्रह भी अनुकूल स्थिति में रहेंगे. जिसके बुधादित्य योग का निर्माण होगा. इसके अलावा शुक्र ग्रह मित्र ग्रहों के साथ बैठे हैं. जिसे बेहद शुभ माना जा रहा है. इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग बनने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है. इस दौरान लिए जाने वाले गुरु मंत्र और दीक्षा से जीवन सफल हो सकता है.
गुरु पूर्णिमा तिथि 13 जुलाई की सुबह चार बजे होगी शुरू
आचार्य डा. राघव नाथ झा के अनुसार इस बार गुरु पूर्णिमा की तिथि 13 जुलाई को सुबह चार बजे से शुरू होगी जो 14 जुलाई की रात 12 बजकर 06 मिनट तक रहेगी. इस दिन राजयोग बन रहा है, ऐसे में यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में आ रही नौकरी में आ रही व्यवधान जैसी समस्याओं से निजात मिल जाये तो गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का ध्यान करते हुए गुरु मंत्र का जप करें, इसके पश्चात आप गुरु के घर मिष्ठान्न, फल और माला लेकर गुरु के घर पर जाये और गुरु का चरण अपने हाथों से धोये. इसके बाद अपने गुरु की पूजा करते हुए उनका माल्यार्पण करें. साथ ही गुरु को मिष्ठान्न और फल खिलायें. झा ने बताया कि हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे.