17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Guru Purnima 2024: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को क्यों कहा जाता हैं गुरु पूर्णिमा, जानें इस दिन गुरु पूजा का विधान

Guru Purnima 2024: आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन अपने कर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण कर महर्षि वेदव्यास जी के चित्र को सुगंधित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाना चाहिए. इसके बाद गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.

Guru Purnima 2024:

गुरु पूर्णिमा सनातन धर्म का प्रमुख दिन होता है. सनातन संस्कृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु में गु का अर्थ अन्धकार या अज्ञान और रू का अर्थ प्रकाश है. इसका मतलब यह होता है कि अज्ञान को हटा कर प्रकाश यानि ज्ञान की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता हैं. गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होता है. गुरु की कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है. आदिगुरु परमेश्वर शिव दक्षिणामूर्ति रूप में समस्त ऋषि मुनि को शिष्य के रूप शिवज्ञान प्रदान किया था. उनके स्मरण रखते हुए गुरु पूर्णिमा मानाया जाता है.

इस दिन को व्यास पूर्णिमा क्यों कहा जाता है?

गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है , जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने वाले अथवा जो बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों. इस दिन को भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं. यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन व्यास पूर्णिमा यानि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.

कब है गुरु पूर्णिमा 2024?

इस साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 के दिन है, इसलिए इस साल गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी. आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई शाम 05 बजकर 59 मिनट से होगी. इसका समापन 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा.

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा क्यों कहते हैं?

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन गुरु पूजा का विधान है. गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है, इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं. ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं, क्योंकि इस समय न ही अधिक गर्मी पड़ती है और न ही अधिक गर्मी पड़ती है. इसलिए यह समय अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं. धार्मिक मान्यता है कि जिस तरह से सूर्य के ताप से तप्त भूमि को वर्षा से शीतलता और फसल पैदा करने की शक्ति मिलती है, वैसे ही गुरु-चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शान्ति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है.
Also Read: Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा की तारीख को लेकर क्यों है असमंजस की स्थिति, जानें ज्योतिषाचार्य से सही तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व

गुरु पूर्णिमा के दिन किस महर्षि का जन्मदिन मनाया जाता है?

आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर परमेश्वर शिव ने दक्षिणामूर्ति का रूप धारण किया और ब्रह्मा के चार मानसपुत्रों को वेदों का अंतिम ज्ञान प्रदान किया. इसके अलावा, यह दिन महाभारत के रचयिता महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास का जन्मदिन भी है. वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे. उनका एक नाम वेद व्यास भी है. उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है. भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें