Guru Purnima 2020: गुरुओं को समर्पित गुरु पूर्णिमा आज, जानिए गुरु पूजन की क्या है परंपरा

Guru purnima (ashadha purnima) 2020, Vrat, Puja Vidhi: गुरु पूर्णिमा आज है. गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के साथ आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते हैं. इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 5 जुलाई दिन रविवार यानि की आज मनाया जाएगा. आज ही चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) लग रहा है. इस दिन भक्त अपने गुरु के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे और उनको श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे. इस दिन बड़ी संख्या में लोग गुरु से दीक्षा भी ग्रहण करते हैं. गुरु की कृपा से ज्ञान प्राप्त होता है और उनके आशीर्वाद से सभी सुख-सुविधाओं, बुद्धिबल और एश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसलिए भारतवर्ष गुरु की दर्जा सबसे बड़ा माना गया है और उनको पूज्यनीय माना गया है. इसलिए गुरु के सम्मान में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 5, 2020 12:11 PM
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मुख्य बातें

Guru purnima (ashadha purnima) 2020, Vrat, Puja Vidhi: गुरु पूर्णिमा आज है. गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के साथ आषाढ़ पूर्णिमा भी कहते हैं. इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 5 जुलाई दिन रविवार यानि की आज मनाया जाएगा. आज ही चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) लग रहा है. इस दिन भक्त अपने गुरु के सम्मान में कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे और उनको श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे. इस दिन बड़ी संख्या में लोग गुरु से दीक्षा भी ग्रहण करते हैं. गुरु की कृपा से ज्ञान प्राप्त होता है और उनके आशीर्वाद से सभी सुख-सुविधाओं, बुद्धिबल और एश्वर्य की प्राप्ति होती है. इसलिए भारतवर्ष गुरु की दर्जा सबसे बड़ा माना गया है और उनको पूज्यनीय माना गया है. इसलिए गुरु के सम्मान में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.

लाइव अपडेट

गुरु पूर्णिमा की ऐसे दें शुभकामनाएं

जीवन की हर मुश्किल में ।

समाधान दिखाते हैं आप ।।

नहीं सूझता जब कुछ ।

तब याद आते हैं आप ।।

धन्य हो गया जीवन मेरा ।

बन गए मेरे गुरु जो आप ।।

Happy Guru Purnima

गुरु पूर्णिमा पर अपनों को भेजें ये संदेश

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं.

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं...

गुरु आपके उपकार का कैसे चुकाऊं मैं मोल ।

लाख कीमती धन भला, गुरु हैं मेरा अनमोल ।।

Happy Guru Purnima

हैप्पी गुरु पूर्णिमा...

गुरु बिन ज्ञान नहीं ।

ज्ञान बिन आत्मा नहीं ।।

ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म ।

सब गुरु की ही देन हैं ।।

शुभ गुरु पूर्णिमा

जै जै जै हनुमान गोसाई...

जिन लोगों का कोई गुरु नहीं हैं उनको चिंता करने कि आवश्यकता नहीं है, इस समस्या का समाधान गोस्वामी तुलसीदास ने कर दिया है. तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में लिखा है,

जै जै जै हनुमान गोसाई

कृपा करहु गुरुदेव की नाई

गुरु की पूजन के लिए 4 मंत्र

- ॐ गुरुभ्यो नम:।

- ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।

- ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।

ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

गुरु पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा सुनने की है प्रथा 

आज गुरु पूर्णिमा है. बहुत से लोग गुरु पूर्णिमा के मौके पर सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं. लोग अपने घरों के सामने बंदनवार सजाते हैं. तुलसी दल मिला हुआ प्रसाद बांटते हैं. आज के दिन पूजा में लोग अपने देवताओं को फल, मेवा अक्षत और खीर का भोग लगाते हैं.

गुरु पूर्णिमा पर है गुरु पूजन की परंपरा

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि पर हर वर्ष गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. इस बार भी पिछले साल की तरह गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है. गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन की परंपरा होती है. पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा और मंत्रों का जाप करना चाहिए. पूर्णिमा तिथि पर दान और गंगा स्नान भी किया जाता है.

अन्न और नमक के सेवन पर रहती है पाबंदी

गुरु पूर्णिमा के दिन, शाम को अंत में मंगल आरती की जाती है. यह दिन व्रत के लिए भी बहुत ही पवित्र माना जाता है. व्रत करने वाले लोग पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करते और ना ही नमक का सेवन करते.

कोरोना वायरस संक्रमण के कारण ऑनलाइन हो रही है गुरु पूजन कार्यक्रम

गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संगठनों की ओर से विशेष आयोजन कर गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है. कोरोना वायरस के कारण इस बार सभी जगहों पर सामूहिक कार्यक्रम को स्थगित कर अपने-अपने घरों में ही गुरु का पूजन करने को कहा जा रहा है. अधिकतर जगहों पर लोग ऑनलाइन गुरु पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे.

गुरु की महिमा है अगम . . .

गुरु की महिमा है अगम, गाकर तरता शिष्य.

गुरु कल का अनुमान गुरु की महिमा है अगम, गाकर तरता शिष्य.

गुरु कल का अनुमान कर, गढ़ता आज भविष्य..

गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु बिन ज्ञान नहीं . . .

गुरु बिन ज्ञान नहीं,

ज्ञान बिन आत्मा नहीं,

ध्यान, ज्ञान, धैर्य और कर्म,

सब गुरु की ही देन हैं !!

शुभ गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं

द्रिगपंचांग के अनुसार, गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि आज के दिन वेदव्यास का जन्म हुआ था. वेदव्यास ही महाभारत के रचयिता माने जाते हैं.

आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जानते हैं

आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. यह लगातार तीसरा वर्ष है जब गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लग रहा है. यह उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा जो भारत में नहीं दिखाई देगा. इसलिए यहां पर ग्रहण का सूतक भी मान्य नहीं होगा.

गुरु पूर्णिमा के दिन है चंद्रग्रहण, जानिए इसका प्रभाव

गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण सुबह 8 बजकर 38 मिनट से आरंभ होगा. 09 बजकर 59 मिनट में यह परमग्रास में होगा और 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. इस प्रकार चंद्रग्रहण की अवधि 2 घंटा 43 मिनट और 24 सेकेंड की होगी. इस उपच्छाया चंद्रग्रहण को अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के हिस्सों में देखा जा सकेगा.

गुरु पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत।

वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।।

गुरु और पारस के अन्तर को सभी ज्ञानी पुरुष जानते हैं. पारस मणि के विषय जग विख्यात हैं कि उसके स्पर्श से लोहा सोने का बन जाता है किन्तु गुरु भी इतने महान हैं कि अपने गुण ज्ञान में ढालकर शिष्य को अपने जैसा ही महान बना लेते हैं.

बिना गुरु के ज्ञान असंभव है

कबीर दास कहते हैं कि, हे सांसरिक प्राणियों, बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिल सकता है. तब तक मनुष्य अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनों मे जकड़ा रहता है जब तक कि गुरु की कृपा प्राप्त नहीं होती. मोक्ष रूपी मार्ग दिखलाने वाले गुरु हैं. गुरु की शरण में जाओ. गुरु ही सच्ची राह दिखाएंगे.

गुरु बिन ज्ञान न उपजै, गुरु बिन मिलै न मोष।

गुरु बिन लखै न सत्य को गुरु बिन मिटै न दोष।।

भगवान से भी ऊंचा हैं गुरु का स्थान

कल गुरु पूर्णिमा है. हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से ऊंचा स्थान दिया गया है. इस लिए इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की तस्वीर लगाकर विधि विधान से पूजा करते है. तथा उन्हें आभार व्यक्त करते हैं. शिष्य यथा संभव दान भी देते हैं.

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।

बलिहारी गुरु अपने गोविन्द दियो बताय।।

जानें गुरु पूर्णिमा के दिन किस समय करें पूजा

कल गुरु पूर्णिमा है. कल ही चंद्रग्रहण भी लग रहा है. इसलिए इस बात का खास ख्याल रखें कि समय रहते पूजा विधान को संपन्न कर लें.

ऐसे करें गुरु पूर्णिमा पर पूजा

आज गुरु पूर्णिमा है. गुरु पूर्णिमा की पूजा घर पर भी की जाती है. इसके लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करें. यदि गुरु ब्रह्मलीन हो गए हैं तो उनका चित्र एक पाट पर सफेद कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. गुरु की कुमकुम, अबीर, गुलाल आदि से पूजन करें. मिठाई, ऋतुफल, सूखे मेवे, पंचामृत का भोग लगाएं. सुगंधित फूलों की माला समर्पित करें. इसके बाद आरती उतारकर गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करें.

इन मंत्रों का करें जाप

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर पहले स्नान करें, इसके बाद गुरु के समीप अगर आप नहीं जा पाएंगे तो उनके चित्र, पादुकादि प्राप्त कर उनका पूजन करें. गुरु मंत्रों में से किसी एक का लगातार जाप करने से पुण्य प्राप्ति होगा. गुरु की पूजन के लिए भी यह 4 मंत्र श्रेष्ठ हैं.

- ॐ गुरुभ्यो नम:।

- ॐ गुं गुरुभ्यो नम:।

- ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।

- ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।

हर प्रकार से नादान थे तुम...

हर प्रकार से नादान थे तुम,

गीली मिट्टी के समान थे तुम।

आकार देकर तुम्हें घड़ा बना दिया,

अपने पैरों पर खड़ा कर दिया।

गुरु पूर्णिमा पर लगेगा चंद्रग्रहण, पूजा-अर्चना पर नहीं पड़ेगा असर

आज गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. कल ही चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. चंद्र ग्रहण सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर प्रारंभ होगा. वहीं, 11 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. ग्रहण अवधि 02 घण्टे 43 मिनट 24 सेकेंड रहेगा. गुरु पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्रग्रहण भारत के संदर्भ में बहुत ज्यादा प्रभावशाली नहीं होगा. क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है और भारत में दिखाई भी नहीं देगा. यह ग्रहण धनु राशि पर लगने वाला है तो इस दौरान धनुराशि वाले लोगों का नम कुछ अशांत रह सकता है. इस दौरान गुरु पूर्णिमा पर पूजा-अर्चना किया जा सकता है.

गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा को व्‍यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का अवतरण हुआ था. सनातन संस्कृति के अठारह पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास को माना जाता है. उन्होंने ने ही वेदों की रचना कर उनको अठारह भागों में विभक्त किया था. इसी कारण उनका नाम वेद व्यास पड़ा था. महर्षि वेद व्यास को आदि गुरु भी कहा जाता है.

गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा का प्रारंभ - 4 जुलाई को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से

गुरु पूर्णिमा का समापन - 5 जुलाई को सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक

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