Happy Holi 2021, Puja Vidhi: रंगों की होली आज, जानें ग्रहों के अद्भुत चाल का किन राशि के जातकों को होगा लाभ, होली खेलने से पहले और बाद में किन बातों का रखें ख्याल
Holi 2021 Date, Holika Dahan 2021 Time, Puja Vidhi, Samagri Detail, Shubh Muhurat, Mantra, Holi Video Songs, Images: बड़ी होली (Holi) 29 मार्च यानी आज है जबकि छोटी होली अर्थात होलिका दहन 2021 (Holika Dahan 2021) 28 मार्च को मनाई गई. आपको बता दें कि होलिका दहन (Holika Dahan) को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना गया है. इस बार होलिका पर अशुभ भद्रा योग भी नहीं पड़ रहा है. इसका शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat 2021) शाम में 6.30 से 8.30 बजे तक था. जिसके बाद होली खेली जा रही है. आइये जानते हैं होली पूजा विधि, शुभ मुहूर्त के बारे में साथ ही साथ देखें होली के कुछ फेमस गाने, मैसेज, शुभकामनाएं भी...
मुख्य बातें
Holi 2021 Date, Holika Dahan 2021 Time, Puja Vidhi, Samagri Detail, Shubh Muhurat, Mantra, Holi Video Songs, Images: बड़ी होली (Holi) 29 मार्च यानी आज है जबकि छोटी होली अर्थात होलिका दहन 2021 (Holika Dahan 2021) 28 मार्च को मनाई गई. आपको बता दें कि होलिका दहन (Holika Dahan) को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक माना गया है. इस बार होलिका पर अशुभ भद्रा योग भी नहीं पड़ रहा है. इसका शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat 2021) शाम में 6.30 से 8.30 बजे तक था. जिसके बाद होली खेली जा रही है. आइये जानते हैं होली पूजा विधि, शुभ मुहूर्त के बारे में साथ ही साथ देखें होली के कुछ फेमस गाने, मैसेज, शुभकामनाएं भी…
लाइव अपडेट
इस होली ऐसे बनाएं आटे के मालपुआ
आटे का मालपूआ बनाने के लिए आपको सामग्री के तौर पर 1 कप गेंहू का आटा, 1/2 कप गुड़ (चीनी की जगह पर), 1/2 चम्मच सौंफ़, 1 चम्मच काजू, 1 चम्मच किशमिश, 1/2 चम्मच इलाइची पाउडर, घी तलने के लिए, एक चुटकी केसर, पानी चाशनी के लिए लगेगा.
आटे का मालपुआ बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में गुड़, पानी डालकर उसे पिघला दें
गुड़ अच्छी तरह पिघला कर पतली चाशनी की तरह बना लें, ऊपर से इसमें केसर और इलाइची डाल दें, अब ठंडा होने छोड़ दे.
अब अलग बर्तन में आटा और पानी का पतला घोल तैयार कर लें.
घोल बनाते समय ध्यान रहे कि आटे में गांठ न बने.
इसके लिए आटे में थोड़े-थोड़े पानी मिलायें.
घोल अच्छी तरह बन जाने पर इसमें कटी हुई काजू, बादाम, किशमिश और सौंफ मिलाये.
एक कढ़ाई में घी गर्म करें और एक-एक कर मालपुआ बना दें.
अब दोनों तरफ से इसे पका लें
होली के रंग और उनके मतलब
गुलाबी रंग प्रेम का प्रतिक
सफेद रंग शांति और सौम्यता का प्रतिक
नीलापन जीवन के विस्तार का प्रतिक
जामुनी रंग ज्ञान के आलोक का प्रतिक
लाल रंग क्रोध का प्रतिक
हरा रंग जलन का प्रतिक
भगवा रंग त्याग का प्रतिक
पीला रंग खुशी का प्रतिक
होली मुबारक: रंगों का मतलब
लाल - ताकत
हरा - समृद्धि
नारंगी - जोश
गुलाबी - प्यार
नीला - वफादारी
सुनहरा - अमीरी
आपको एक रंगीन और जोशीली होली मुबारक!
Holi 2021 पर ग्रहों के अद्भुत चाल, इन राशि के जातकों को होगा लाभ
Holi 2021 पर ग्रहों के अद्भुत चाल के कारण कर्क, कन्या, धनु, कुंभ और मीन के जातकों को जबरदस्त लाभ होने का योग है. इन जातकों को व्यापार से करियर तक में तरक्की मिलेगी.
कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों का जीवन रंगीन होगा. इस होली पर चंद्रमा की स्थिति आप की रचनात्मक क्षमता को निखारेगी. भाई-बहन में प्यार बढ़ेगा. कोई विशेष उपहार भी मिल सकता है. आने वाले दिन आपके लिए लाभकारी होंगे. गुरु जब कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तो आपके द्वारा किए गए कार्यों का सुखद परिणाम मिलने लगेगा. इस दौरान आर्थिक निवेश करना बेहद फायदेमंद होगा. रिस्क लेकर कोई निवेश कर रहे हैं तो आपका फैसला सही साबित होगा, आपको लाभ ही लाभ मिलेगा.
कन्या राशि: इस होली पर आपके जीवन में कई रंग रंगने वाले है. व्यापार से जुड़े हैं तो आपको अच्छा मुनाफा होगा. किसी पुराने मित्र या संबंधी के संपर्क में आएंगे. पारिवारिक जीवन सुखद बितेगा. प्रेम संबंध में मधुरता आएगी. विद्यार्थियों के लिए होली कई खुशियां लाएगा. कोई शुभ समाचार आपको मिल सकता है. आर्थिक मामलों में आप खुद को पहले के मुकाबले मजबूत स्थिति में पाएंगे.
धनु राशि: शनि की साढ़ेसाती के आखिरी पड़ाव से गुजर रहे धनु राशि के जातकों की होली भी अच्छी गुजरने वाली है. घर में पूजा पाठ का आयोजन हो सकता है. आपके द्वारा किए गए मेहनत का परिणाम शुभ होगा. यदि नई नौकरी की तलाश में है तो आपको किसी रोजगार के अवसर मिल सकते है. बीते साल के मुताबिक व्यापारियों के लिए इस साल की होली लाभदायक रहने वाली है. घर-परिवार में सुखद माहौल रहेगा. वरिष्ठजनों का सहयोग मिलेगा.
कुंभ राशि: शनि की राशि यानी कुंभ के जातकों को के जीवन में खुशियों के रंग भरने वाले है. होली के बाद जीवन में कई बदलाव आ सकते हैं. यदि नौकरी बदलने का प्रयास कर रहे हैं तो आप को बेहतर अवसर मिलेंगे. रिस्क लेकर धन निवेश करना आपके लिए काफी लाभकारी हो सकता है. किसी पुराने परिचित से मुलाकात होने की संभावना है. प्रेम संबंध रोमांटिक तरीके से गुजरेगा पारिवारिक माहौल सुखद रहेगा.
मीन राशि: मीन राशि के जातकों को होली पर शुभ समाचार मिल सकते हैं. घर खरीदने या निर्माण का प्रयास कर रहे तो काम में तेजी आएगी. कार्य क्षेत्र में आपका वर्चस्व बढ़ेगा. पूर्व में किए गए निवेश का लाभ होली के तुरंत बाद मिल सकता है. अप्रैल से जून तक आप किसी रोमांटिक यात्रा पर निकल सकते हैं. अविवाहित के जीवन में प्रेम के रंग भरेंगे. जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा. छात्रों की होली सुखद होने वाली है. व्यापार में भी तरक्की के योग है.
आग में सेंक लें फसल
होलिका दहन करने के बाद होलिका को अर्घ्य अर्पित करें. विशेष ध्यान रखें कि, होलिका दहन शुभ मुहूर्त में ही करें. यदि मुमकिन हो तो होलिका दहन की अग्नि किसी बड़े बुजुर्ग से ही प्रज्वलित करें. होलिका की आग में फसल सेंक लें और इसे सपरिवार अगले दिन अपने घर में बनाकर सेवन अवश्य करें.
आज मनाई जाएगी होली
सोमवार, 29 मार्च को प्रतिपदा में सर्वत्र होली का उत्सव मनाया जायेगा. आज से वसंतोत्सव का प्रारंभ होगा.
होलिका दहन मंत्र
दीपयान्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे |
हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||
होलिका विभूति वंदना मंत्र
वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शङ्करेण च |
अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे भव ||
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू हो गया है. विद्वानों का कहना है कि होलिका दहन की लौ भी शुभ-अशुभ का भी संकेत देती है. कहा जाता है कि होलिका दहन के दौरान जब लौ पूर्व दिशा की ओर उठती है तो इससे भविष्य में धर्म, अध्यात्म, शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में लाभ होता है. विकास होता है. इसके विपरीत होलिका दहन के दौरान अगर पश्चिम में आग की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है. इसी तरह लौ के उत्तर की ओर रुख करने पर देश व समाज में सुख-शांति बनी रहती है. इसी कड़ी में दक्षिण दिशा में होली की लौ हो तो अशांति और क्लेश बढ़ता है. झगड़े-विवाद होते हैं.
सही नियम से किया जाना चाहिए होलिका दहन
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन मनाया जाता है. कहा जाता है कि, विधि पूर्वक और नियम के साथ होलिका दहन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के जीवन में सुख समृद्धि व खुशहाली का वरदान प्रदान करती है. ऐसे में जरूरी है कि, आपको होलिका दहन का सही नियम पता होना चाहिए.
होलिका पर भद्रा नहीं-
इस बार होली दहन के दौरान भद्रा नहीं रहेंगे. होली वाले दिन रविवार दोपहर 1 बजकर 10 मिनट तक भद्रा उपस्थित रहेगी। इसलिए दोपहर 10 बजकर 10 मिनट होने के बाद ही होली पूजन करना श्रेष्ठ होगा. अगर विशेष रूप से होली दहन के मुहूर्त की बात करें तो इस बार शाम 06 बजकर 22 मिनट से रात 08 बजकर 52 मिनट के बीच कन्या लग्न में होली दहन का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा. भद्रा में होलिका दहन वर्जित माना गया है.
होली पूजा का महत्व
घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिये महिलाएं इस दिन होली की पूजा करती हैं. होलिका दहन के लिये लगभग एक महीने पहले से तैयारियां शुरु कर दी जाती हैं. कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है.
पूजा विधि
होलिका दहन से पहले पूजा की जाती है. पूजन सामग्री में एक लोटा गंगाजल, रोली, माला, अक्षत, धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि होते हैं. इसके बाद पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है. होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार की जाती है. इसके बाद शुद्ध जल समेत अन्य पूजा सामग्रियों को होलिका में चढ़ाया जाता है. फिर होलिका में कच्चे आम, नारियल, सात अनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दी जाती है.
होली मनाने का कारण
शास्त्रों में इस दिन होली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथा दी गई है। लेकिन इन सबमें सबसे ज्यादाभक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी प्रचलित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत को याद करते हुए होलिका दहन किया जाता है.
बन रहे शुभ योग
अभिजीत मुहूर्त- 28 मार्च दोपहर 12.07 मिनट से 12.56 तक है
अमृत काल- 28 मार्च को सुबह 11.04 मिनट से दोपहर में 12.31 मिनट तक है
सर्वार्थसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 6.26 से शाम 5.36 तक है
अमृतसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 5.36 बजे से 29 मार्च की सुबह 6.25 मिनट तक है
इस मंत्र का करें पाठ
ये मंत्र पढ़ें- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः ।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ।।
पूजन के पश्च्यात अर्घ्य अवश्य दें
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त - 28 मार्च रविवार को शाम में 6.37 बजे लेकर
रात में 8.56 बजे तक
शुभ मुहूर्त का कुल समय - 2 घंटे 20 मिनट
होलिका दहन का प्रतीक
होलिका दहन इस बात का भी प्रतीक है कि अगर मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कोई बुराई आपको छू भी नहीं सकती. जैसे भक्त प्रह्लाद अपनी भक्ति और इच्छाशक्ति की वजह से अपने पिता की बुरी मंशा से हर बार बच निकले. होलिका दहन बताता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, वो अच्छाई के सामने टिक नहीं सकती और उसे घुटने टेकने ही पड़ते हैं.
होलिका दहन का महत्व
होली हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व भी बहुत ज्यादा है. होली से एक दिन पहले किए जाने वाले होलिका दहन की महत्ता भी सर्वाधिक है. होलिका दहन की अग्नि को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन की राख को लोग अपने शरीर और माथे पर लगाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से कोई बुरा साया आसपास भी नहीं फटकता है.
होलिका दहन वाले स्थान की साफ सफाई जरूरी
दोपहर में जिस स्थान पर होलिका दहन पूजा होती है, उस स्थान को अच्छी तरह से साफ करें फिर सफाई के बाद आप होलिका दहन के लिए सूखी लकड़ी, सूखे कांटे, गोबर आदि की व्यवस्था कर सकते हैं.
होलिका दहन के बाद शुरू हो जाते हैं मांगलिक कार्य
होलिका दहन के बाद से ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. मान्यता है कि होली से आठ दिन पहले तक भक्त प्रह्लाद को अनेक यातनाएं दी गई थीं. इस काल को होलाष्टक कहा जाता है. होलाष्टक में मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. कहते हैं कि होलिका दहन के साथ ही सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है.
होलिका दहन पूजा विधान
पूर्णिमा होलिका दहन के दिन, आपको सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए और इसके बाद आपको होलिका व्रत का पालन करने की शपथ लेनी चाहिए.
होलिका दहन की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सालों पहले पृथ्वी पर एक अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यपु राज करता था. उसने अपनी प्रजा को यह आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति ईश्वर की वंदना न करे, बल्कि उसे ही अपना आराध्य माने. लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था. उसने अपने पिता की आज्ञा की अवहेलना कर अपनी ईश-भक्ति जारी रखी. ऐसे में हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र को दंड देने की ठान ली. उसने अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बिठा दिया और उन दोनों को अग्नि के हवाले कर दिया. दरअसल, होलिका को ईश्वर से यह वरदान मिला था कि उसे अग्नि कभी नहीं जला पाएगी. लेकिन दुराचारी का साथ देने के कारण होलिका भस्म हो गई और सदाचारी प्रह्लाद बच निकले. तभी से बुराइयों को जलाने के लिए होलिका दहन किया जाने लगा.
होलिका दहन की तैयारी
होलिका दहन से पहले या होलाष्टक के दिन से किसी जगह पर पिड़ की टहनियां, गोबर के उप्पलें, सुखी लकड़ियां, घास-फूस आदि इक्टठा किया जाता है. ऐसे करते हुए होलिका दहन के दिन तक उस जगह पर लकड़ी और उप्पलों का ढ़ेर लग जाता है. जिसके बाद होलिका पूजन सामग्री तैयार करना होता है. जिसमें एक लोटा जल, चावल, गन्ध, पुष्प, माला, रोली, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, गेंहू की बालियां आदि शामिल होता है.
बन रहा है अद्भुत संयोग
इसी मुहूर्त में होलिका दहन करना अत्यंत शुभ होगा और इस साल होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी. रविवार दिन में 1.33 बजे भद्रा समाप्त हो जाएगी, साथ ही पूर्णिमा तिथि रविवार रात में 12:40 बजे तक रहेगी. शास्त्रों की मानें तो भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन किया जाता है.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन का मुहूर्त - 28 मार्च रविवार को शाम में 6.37 बजे लेकर रात में 8.56 बजे तक
शुभ मुहूर्त का कुल समय - 2 घंटे 20 मिनट
होलिका दहन पर बन रहे शुभ योग
अभिजीत मुहूर्त- 28 मार्च दोपहर 12.07 मिनट से 12.56 तक
अमृत काल- 28 मार्च को सुबह 11.04 मिनट से दोपहर में 12.31 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 6.26 से शाम 5.36 तक
अमृतसिद्धि योग- 28 मार्च को सुबह 5.36 बजे से 29 मार्च की सुबह 6.25 मिनट तक
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:
रविवार 28 मार्च 2021
होलिका दहन मुहूर्त
28 मार्च 2021- शाम 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक
कुल अवधि- लगभग 02 घंटे 19 मिनट
ऐसे करें पूजन
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को सुबह नहाकर होलिका व्रत का संकल्प करें. दोपहर में होलिका दहन स्थान को पवित्र जल से शुद्ध कर लें। उसमें लकड़ी, सूखे उपले और सूखे कांटे डालें. शाम के समय उसकी पूजा करें. होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं. होलिका में कपूर भी डालना चाहिए. इससे होली जलते समय कपूर का धुआं वातावरण की पवित्रता बढ़ता है. शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें. होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को होलिका की तीन या सात परिक्रमा करनी चाहिए. इसके बाद घर से लाए हुए जौ, गेहूं, चने की बालों को होली की ज्वाला में डाल दें. होली की अग्नि और भस्म लेकर घर आएं और पूजा वाली जगह रखें.
होलिका दहन पर खास मुहूर्त
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रविवार को पड़ रही है. सर्वार्थसिद्धि योग में इस बार होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन के समय अमृत सिद्धि योग रहेगा. भद्रा दोपहर को 1 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. यह होलिका दहन के समय नहीं पड़ रहा है.
होलिका दहन 2021 का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 2021 का शुभ मुहूर्त 6 बजकर 37 मिनट से 8 बजकर 56 मिनट के बीच है
होलिका के दिन भूल कर भी न करें इन चिजों का सेवन
होलिका के दिन सफेद चीजें जैसे दूध, चावल, दही आदि का सेवन करना वर्जित माना जाता है. ऐसे में यदि आप पूजा कर रहे है तो भूल कर भी इन चिजों का सेवन न करें.
राक्षसी पूतना के वध से भी जुड़ा है होली का त्योहार
राक्षसी पूतना के वध की कथा भी होली के इस पर्व से जोड़ी जाती है. ऐसी मान्यताा है कि कंस के लिये आकाशवाणी हुई थी कि गोकुल में उसे मारने वाले ने जन्म ले चुका है. ऐसे में कंस ने सभी पैदा हुए शीशुओं को मरवाने का निर्णय ले लिया. कंस ने इस कार्य को अंजाम देने के लिए राक्षसी पुतना को चुना जो बच्चों को स्तनपान करवा कर मौत के घाट उतार देती थी. लेकिन बाल कृष्ण को पिलाना उसे भारी पड़ा और श्री कृष्ण ने पुतना का वध कर दिया. शास्त्रों की मानें तो फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही यह घटना घटी थी. जिस खुशी में होली पर्व मनाया जाता है.
देश के विभिन्न हिस्सों में होली के अलग-अलग नाम
देश में विभिन्न हिस्सों में होली के अलग-अलग नाम, कहीं ब्रज की होली, कहीं लठमार, धुलंडी, रंग पंचमी, होरी, भगोरिया, फगुआ आदि नाम से है प्रसिद्ध.
देश के इन स्थानों में इस नाम सेखेली जाती है होली
ब्रज की होली,
बरसाने की लठमार होली,
कुमाऊँ की गीत बैठकी,
हरियाणा की धुलंडी,
बंगाल की दोल जात्रा
महाराष्ट्र की रंग पंचमी,
गोवा का शिमगो,
पंजाब में होला मोहल्ला में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन,
तमिलनाडु में कमन पोडिगई,
मणिपुर के याओसांग,
छत्तीसगढ़ में होरी,
मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में भगोरिया,
पूर्वांचल और बिहार में फगुआ
होली से पहले क्यों होलिका दहन की है परंपरा
शास्त्रों के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. जो हिरण्यकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं था. ऐसे में उनकी भक्ति से हटाने के लिए हिरण्यकश्यप ने पुत्र को कई यातनाएं दी, फिर भी भक्ति नहीं छुड़वा पाया. अंत में अपनी बहन होलिका, जिसे आग में नहीं जलने का वर प्राप्त था, उसे अपने पुत्र को जला कर मारने को सौंप दिया. लेकिन, जब जलाने के उद्देश्य से होलिकर प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठी तो भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु की कृपा से बच गए जबकि होलिका का दहन हो गया. तब से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के तौर पर होलिका दहन मनाया जाता है.
होलिका दहन आज (Holika Dahan 2021)
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त आज शाम साढ़े छह बजे से शुरू हो जाएगा जो रात साढ़े आठ बजे तक रहेगा. जिसके बाद चौघड़िया में शुभ, लाभ और अमृत के दौरान होलिका दहन किया जाएगा.
मिलावट मुक्त मनाएं होली
मिलावट मुक्त मनाएं होली. ऑर्गेनिक तथा हर्बल रंग का करें प्रयोग. संभव हो तो घर पर ही बनायें मिठाइयां.
होलिका विभूति वंदना मंत्र
वन्दितासि सुरेंद्रेण ब्रहमणा शङ्करेण च |
अतस्त्वं पाहि नो देवी भूते भूति प्रदे भव ||
होलिका दहन मंत्र (Holika Dahan Mantra)
दीपयान्यद्यतेघोरे चिति राक्षसि सप्तमे |
हिताय सर्व जगत प्रीतये पार्वति पतये ||
होलिका दहन पूजा सामग्री (Holika Dahan Puja Samagri)
नारियल, कच्चा सूत, चावल, सुगंध, पुष्प, 8 पुरी, हल्दी, तांबे के लोटे में जल, तेजपत्र, कपूर, लौंग, गेहूं की बालें, बताशा या कोई मिठाई तथा रोली/कुंकुम.
पूर्णिमा तिथि कब होगी समाप्त
शनिवार, 27 मार्च को रात्रि 02 बजकर 29 मिनट से पूर्णिमा तिथि आरंभ हो चुकी है जो रविवार, 28 मार्च को रात्रि 12 बजकर 40 मिनट में समाप्त हो जाएगी
होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2021 (Holika Dahan Shubh Muhurat 2021)
होलिका दहन तिथि: 28 मार्च, रविवार, सूर्यास्तकाल में
होलिका दहन अवधी: 2 घंटे 20 मिनट तक
होलिका दहन आरंभ मुहूर्त: शाम 06 बजकर 37 मिनट से
होलिका दहन समाप्ति मुहूर्त: शाम 08 बजकर 56 मिनट तक
होलिका दहन पूजा विधि (Holika Dahan Puja Vidhi)
सबसे पहले होलिका दहन जिस स्थान पर करना है उसे गंगाजल से शुद्ध करें.
वहां सूखे उपले, लकड़ी, घास आदि डालें.
अब पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाएं.
गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बना सकते है
भगवान नरसिंह का ध्यान करें
एक लोटा जल, चावल, रोली, माला, फूल, गंध, मूंग, सात प्रकार के अनाज, कच्चा सूत, गुड़, बताशे, गुलाल, साबुत हल्दी, होली पर बनने वाले कुछ पकवान व नारियल ले लें.
अब नई फसल को साथ में रखें. इनमें चने की बालियां और गेहूं की बालियां भी शामिल है
कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ तीन अथवा सात परिक्रमा करते बांध दें.
फिर जितनी भी सामग्री इकट्ठा की है सभी को होलिका दहन की अग्नि में अर्पित कर दें
अब होलिका दहन का ये मंत्र जपें:
अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः . अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम् ..
अंतिम में पूजा के पश्चात पश्च्यात अर्घ्य देना न भूलें.
Posted By: Sumit Kumar Verma