Hariyali Teej 2021: कब है हरियाली तीज, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
Hariyali Teej 2021: हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही अधिक खास होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरियाली तीज का पर्व 11 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा.
Hariyali Teej 2021: हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही अधिक खास होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत सावन महीने शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरियाली तीज का पर्व 11 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है और भगवान शिव और माता पर्वती की पूजा करती है. आइए जानते हैं हरियाली तीज की तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि से जुड़ी पूरी जानकारी…
हरियाली तीज 2021 शुभ मुहूर्त
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ 10 अगस्त दिन मंगलवार की शाम 06 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी. ये तिथि बुधवार की शाम को 04 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी.
हरियाली तीज पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह-सुबह उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनकर पूजा करने का संकल्प लेतीं हैं. इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करने के बाद मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं. इसके बाद उन्हें लाल कपड़े के आसन पर बिठाएं. पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजों को लेकर भगवान शिव और माता पार्वती अर्पित करें. अंत में तीज कथा और आरती करें. इस पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन व्रत तोड़ती हैं.
हरे रंग का होता खास महत्व
हरियाली तीज के दिन हरि चूड़िया, हरे वस्त्र, 16 श्रृंगार और मेहंदी लगाने का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज के मौके पर नवविवाहित लड़की को मायके बुलाया जाता है. परंपरा के अनुसार, लड़की के ससुराल से मिठाई, वस्त्र और गहने आते हैं. इस दिन महिलाएं मिट्टी से शिव और पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजा करती है.
हरियाली तीज का महत्व
सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. हरियाली तीज के खास मौके पर महिलाएं झुला झुलती है और सावन के गीत गाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. उनका कठोर तप देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए थे और हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था. इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha