Hariyali Teej 2024: सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ‘हरियाली तीज’ मनाई जाती है, इस साल सावन की हरियाली तीज 07 अगस्त 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा. हरियाली तीज व्रत पूजा का सही समय प्रदोष काल होता है. यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है, इस वर्ष हरियाली तीज बुधवार के पड़ने के कारण शुभ माना जा रहा है. बुधवार को हरियाली का प्रतीक का दिन माना जाता है, इस दिन गणेश की पुजन करने का मुख्य दिन माना जाता है. गणेश जी का पूजन से सभी विघ्न दूर होते है. परिवार में शान्ति बनी रहती है इस दिन भगवान शिव के पूजन से बुध ग्रह भी अनुकूल हो जायेंगे.
क्या है हरियाली तीज का महत्व
हरियाली तीज व्रत हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है. इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है श्रावणी तीज, कजली तीज, मधुश्रवा तीज से भी जाना जाता हैं. हरियाली तीज का त्योहार महिलाओं में उत्साह और उमंग भर देने वाला माना जाता हैं, अत: इसकी तैयारियां महिलाएं सावन माह के पहले दिन से ही प्रारंभ करती है. ऐसे तो पूरे भारत में बारह मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को तीज व्रत मनाया जाता है. श्रावण में आने के कारण इस पर्व का महत्व बहुत अधिक माना गया है. खास तौर पर राजस्थान झारखंड बिहार तथा उत्तरप्रदेश में यह तीज पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. सुहागिनें अपना सौभाग्य अखंड बनाए रखने के लिए तथा अविवाहित कन्याएं अच्छा वर पाने की कामना से भगवान शिव-पार्वती का व्रत यह रखती हैं, इस तीज व्रत में माता पार्वती के अवतार तीज माता की उपासना की जाती है. तीज से एक दिन पहले सुहागिनें मेंहदी लगाती है. तीज के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर श्रृंगार करके, नए वस्त्र और आभूषण धारण करके माता गौरी की पूजा होती है.
पौराणिक मान्यतानुसार मां पार्वती ही श्रावण महीने की तृतीया तिथि को देवी के रूप में अवतरित हुई थीं. श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को अधिक प्रिय है एवं मां पार्वती भगवान शिव अर्द्धांगिनी होने के कारण श्रावण महीने में शिव-पार्वती को प्रसन्न करने के लिए ही तीज माता पार्वती की उपासना जाती है.
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि- 06 जुलाई, 2024 दिन मगंलवार रात्रि 07:52 आरम्भ होगा. 07 जुलाई 2024 दिन बुधवार रात्रि 10 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. प्रदोष काल सायं 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 06 मिनट तक है.
हरियाली तीज के रहस्मयी बातें
- हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी रचाकर झूलों पर सावन का आनंद मनाती हैं, क्योंकि इस समय प्रकृति की धरती पर चारों और हरियाली की चादर बिछी होती हैं, चूंकि यह पर्व श्रावण यानी बरसात के मौसम में पड़ता हैं तो हर तरफ हरियाली देखकर मन प्रसन्न हो जाता है.
- हाथों पर हरी मेंहदी लगाना प्रकृति से जुड़ने की अनुभूति है, जो सुख-समृद्धि का प्रतीक है. इसके बाद वही मेंहदी लाल हो उठती है जो सुहाग, हर्षोल्लास एवं सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करती है. हरियाली तीज पर हरे रंग का अधिक महत्व होने के कारण हरियाली और श्रृंगार से सजी-धजी महिलाएं अपना सौंदर्य निखार कर इस पर्व को मनाते हुए भगवान शिव-पार्वती से खुशहाल जीवन की कामना करती है.
- जिस नवविवाहिता के शादी के बाद पहला सावन आता है, मान्यतानुसार उसे ससुराल में नहीं रखा जाता. इसका एक कारण यह भी था कि नवविवाहिता अपने माता-पिता से ससुराल में आ रही कठिनाइयों, अनुभवों को अपनी सखी-सहेलियों के साथ बांट सके और जीवन में आ रही कठिनाइयों का समाधान खोज कर मन हल्का कर सके.
- इस पर्व का खास उद्देश्य यह भी हैं कि नवविवाहित पुत्री की ससुराल से जब सिंगारा आता है और इस सामग्री का आदान-प्रदान किया जाता है तो यह आपसी संबंधों को और अधिक मधुर बनते है.
- सिंगारा में नवविवाहिता के लिए साड़ियां, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री, सुहाग की चूड़ियां व अन्य संबंधित, मिठाई तथा अन्य चीजों के अलावा उसके भाई-बहनों के लिए आयु के अनुसार कपड़े, मिष्ठान तथा आवश्यकतानुसार उपहार भेजे जाते हैं.
6 तीज पूजन के लिए मिट्टी या अन्य धातु से बनी शिव जी-पार्वती व गणेश जी की, मूर्ति रख कर उन्हें वस्त्रादि पहना कर रोली, सिंदूर, अक्षत बेलपत्र तथा स्वेत चंदन आदि से पूजन किया जाता है.
- इस व्रत के दिन पारिवारिक भोजन किया जाता है. सामूहिक रूप से झूला झूलना, तीज मिलन, गीत संगीत, जल पान आदि करके इस त्योहार को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. कुल मिला कर यह पारिवारिक मिलन का सुअवसर होता है, जिसे सभी हंसी-खुशी मनाते हैं. तीज पर पति से छल कपट, झूठ और दुर्व्यवहार तथा परनिंदा इन तीन चीजों का त्याग करने की भी मान्यता है.
- पौराणिक मान्यता के अनुसार तीज पर ही माता गौरा विरह में तपकर भगवान शिव जी से मिली थी. अत: हरियाली तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव के पूजन के लिए यह खास माना जाता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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