Loading election data...

Hariyali Teej Vrat Katha: इस व्रत कथा के पढ़ें बिना हरियाली तीज पूजा रह जाएगी अधूरी, पढ़ें पौराणिक कथा

Hariyali Teej Vrat Katha: आज हरियाली तीज का पर्व है. आज सुहागिन महिलाएं हरियाली तीज क उपवास रखकर भगवान शिव और माता पर्वती जी की पूजा करेंगी.

By Radheshyam Kushwaha | August 7, 2024 6:33 AM

Hariyali Teej Vrat Katha: हरियाली तीज का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है और इस साल यह व्रत 7 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा.यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना से रखती हैं.यह पर्व माता पार्वती को समर्पित है. उनके साथ ही यदि भगवान शिव का भी पूजन किया जाए तो अधिक फलदायी माना जाता है. अगर आप भी हरियाली तीज का व्रत रख रही हैं तो पूजा के बाद यह व्रत कथा जरूर पढ़ें.

हरियाली तीज व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं ओर इसके लिए उन्होंने कई वर्षों तक कठोर तप किया. एक दिन महर्षि नारद माता पार्वती के घर गए और उनके पिता हिमालय से कहा कि आपकी बेटी पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं. मैं भगवान विष्णु का यह प्रस्ताव लेकर यहां आया हूं. यह बात सुनकर हिमालय की खुशी का ठिकाना ना रहा और उन्होंने हां कर दिया. नारद ने यह संदेश भगवान विष्णु को दे दिया.

Also Read: Hariyali Teej 2024: आज सुहागिनें रखेंगी हरियाली तीज का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि, व्रत नियम और महत्व

राजा हिमालय ने नारद मुनि का यह प्रस्ताव अपनी पुत्री पार्वती को सुनाया इसे सुनकर देवी पार्वती को बहुत दुख हुआ. उन्होंने कहा कि मैं विष्णु से नहीं भगवान शिव से विवाह करना चाहती हूं. मन दुखी होने के कारण देवी पार्वती महल से दूर एक गुफा में जाकर तप करने लगीं. उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया, जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की.

मां पार्वती की कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने मां पार्वती को मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से परेशान थे.

वह पार्वती को ढूंढ़ते हुए उसी गुफा में पहुंच गए. मां पार्वती ने ऐसा करने की पूरी वजह बताई और कहा कि भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया है. इस पर महाराज हिमालय ने भगवान विष्णु से माफी मांगी और कहा कि मेरी पुत्री की भगवान शिव से विवाह करने की इच्छा है. इसके बाद ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था.

Next Article

Exit mobile version