Hartalika Teej 2024: हरितालिका तीज का नहाय-खाय आज, माता पार्वती ने सबसे पहले किया था व्रत

Hartalika Teej 2024: हरितालिका तीज व्रत कल रखा जाएगा. आज 5 सितंबर को नहाए खाए है. कल सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला उपवास रखेंगी.

By Shaurya Punj | September 5, 2024 10:03 AM

Hartalika Teej 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हरितालिका तीज व्रत रखा जाता है. इस साल कल यानी 6 सितंबर शुक्रवार के दिन हरितालिका तीज व्रत रखा जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत निर्जला होता है.

हरितालिका तीज महाव्रत का नहाय-खाय आज

हरितालिका तीज महाव्रत का नहाय-खाय आज है. सुहागिन महिलाएं शुक्रवार को अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला उपवास रखेंगी. तीज की खरीदारी से बाजार गुलजार हो रहा है. इस दिन प्रत्येक पहर में भगवान शिव का पूजन तथा आरती की जाती है और घी, दही, शक्कर, दूध और शहद मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है. इसको लेकर कपड़े और जेवर की दुकानों में महिलाओं की काफी भीड़ देखी जा रही है.

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तीज पर जेवर की भी परंपरा

हरितालिका तीज के अवसर पर नये कपड़े के साथ सोने या कुंदन की ज्वेलरी पहनना एक परंपरा होती है. शहर के सब्जी बाजार में सागरमल ज्वेलर्स में भारी भीड़ देखी जा रही है. सागरमल ज्वेलर्स के संचालक चेतन सिसोरिया ने बताया कि हमारे प्रतिष्ठान में तीज को लेकर महिलाओं के लिए हर वेरायटी और डिजाइन के जेवर उपलब्ध है. साथ ही 30 प्रतिशत मेकिंग चार्ज की छूट दी जा रही है. इस दिन 16 शृंगार का विशेष महत्व होता है. इसीलिए, नेकलेस, झुमके, मांग टीका और नथ आपके लुक को और बेहतरीन बना सकते हैं. अगर, आप हल्का लुक रखना चाहती हैं, तो पर्ल या टेंपल ज्वेलरी भी ट्राइ कर सकती हैं.

क्या कहते है ज्योतिष

ज्योतिष धर्मेंद्र झा बताते हैं कि यह व्रत भाद्र मास की तृतीया तिथि के साथ चतुर्थी तिथि के मिलने पर मनाया जाता है. तृतीय तिथि होने के कारण इसे तीज नाम पड़ा. ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती के पिता हिमवान भगवान विष्णु के साथ पार्वती की शादी करना चाहते थे. यह माता पार्वती को पसंद नहीं था. इसीलिए माता पार्वती की सखियां उन्हें भगाकर जंगल में लेकर चली गयीं. इसीलिए, इस व्रत का हरितालिका नाम पड़ा. चूकि, माता पार्वती ने कुंवारी अवस्था में इस व्रत को किया था. इसीलिए, इसे कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर के लिए करती हैं.

माता पार्वती ने सबसे पहले किया था व्रत

शिवपुराण के अनुसार, इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था. मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने वाले की रक्षा स्वयं भगवान शिव करते हैं. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में रखा जाता है. मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए 107 जन्म लिये. उनके कठोर तप के कारण 108वें जन्म में भोले बाबा ने पार्वती जी को अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया.

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