PHartalika Teej Puja Samagri: हिंदू धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का विशेष महत्व है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखतीं है. हरतालिका तीज इस साल 9 सितंबर दिन गुरुवार को है. हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. वहीं कई कुंवारी लड़कियां भी सुंदर पति पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस व्रत के कुछ जरूरी नियम होते हैं, इसके तहत कुछ खास चीजों का होना जरूरी होता है, क्योंकि इनके बिना पूजा अधूरी रह जाती है.
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भाद्रपद मास की तृतीया तिथि 8 सितंबर दिन बुधवार की देर रात 2 बजकर 33 मिनट पर शुरू हो जाएगी
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तृतीया तिथि समाप्त 09 सितंबर की रात 12 बजकर 18 मिनट पर होगी.
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उदया तिथि 9 सितंबर को होने के कारण यह इसी दिन रखा जाएगा.
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पहला पूजा मुहूर्त 09 सितंबर की सुबह 06 बजकर 03 मिनट से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक
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दूसरा प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद का है. इसमें शाम को 06 बजकर 33 मिनट से रात 08 बजकर 51 मिनट तक पूजा कर सकते हैं.
गीली काली मिट्टी या बालू, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, आंक का फूल, मंजरी, जनेऊ, वस्त्र, फल एवं फूल पत्ते, श्रीफल, कलश, अबीर,चंदन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, फुलहरा, विशेष प्रकार की 16 पत्तियां और 2 सुहाग पिटारा
हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है. इसके प्रत्येक पहर में भगवान शंकर की पूजा और आरती की जाती है. इस दिन घी, दही, शक्कर, दूध, शहद का पंचामृत चढ़ाया जाता है. हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, काजल सहित सुहाग पिटारा दिया जाता है. इस दिन विवाहित महिलाओं के व्रत रखने से उनके पति की आयु लंबी होती है. ऐसा करने पर उनके दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है.
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हरतालिका तीज की पूजा के लिए सबसे पहले लाल कपड़ा बिछाएं.
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इसके बाद उस पर शिव जी की मूर्ति या फोटो रखें.
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भगवान के अभिषेक करने के लिए एक परात रख लें.
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फिर सफेद चावल से अष्टकमल बनाएं और उसपर दीप कलश स्थापित करें.
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अब कलश के ऊपर स्वास्तिक बनाएं और कलश में जल भरकर सुपारी, सिक्का और हल्दी उसमें डाल दें.
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कलश के ऊपर पान के 5 पत्तों को रखें साथ ही चावल भरी कटोरी व एक दीप भी कलश के ऊपर रख दें.
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इसके बाद पान के पत्ते के ऊपर चावल रखें, और उस पर गौरा जी व गणेश जी को स्थापित करें.
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भगवान को टीका लगाएं और शिव पार्वती का ध्यान करें और मंत्र पढ़े.
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अब परात में शिवलिंग को रखकर पंचामृत से अभिषेक करें.
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अब चंदन अर्पित करें, धूप, फूल, दीप, पान के पत्ते, शमीपत्री, बेलपत्र, 16 तरह की पत्तियां, फल, मिठाई और मेवे आदि चढ़ा दें.
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फिर हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनें और पढ़ें, आखिर में आरती करके पूजा को संपन्न करें.
Posted by: Radheshyam Kushwaha