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कैलेंडर ईयर 2025 में इस दिन से शुरू होने वाला है हिंदू नव वर्ष, यहां जानें सही तिथि

Hindu New Year 2025: हिंदू धर्म में एक जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा नहीं है. इसका कारण यह है कि हिंदू पंचांग के अनुसार, एक जनवरी को हिंदुओं के नए साल की तिथि नहीं मानी जाती. हिंदू पंचांग के अनुसार, हिंदुओं का नया साल चैत्र मास से प्रारंभ होता है. जैसे पश्चिमी देशों में लोग आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन करते हैं, उसी प्रकार हिंदुओं के लिए हिंदू पंचांग का कैलेंडर महत्वपूर्ण है, जिसे विक्रम संवत के नाम से भी जाना जाता है. इसी आधार पर हिंदू नया साल मनाया जाता है.

Hindu New Year 2025: दुनियाभर में नए साल का उत्सव मनाया जा रहा है, क्योंकि आज से लोगों का कैलेंडर परिवर्तित हो गया है. वास्तव में, पश्चिमी देशों में आधुनिक ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार नया साल मनाया जाता है. इस कैलेंडर में नया साल एक जनवरी को मनाया जाता है, जबकि हिंदू धर्म में नए साल का उत्सव एक जनवरी को मनाने की परंपरा नहीं है.

2025 में हिंदू नव वर्ष कब मनाया जाएगा?

साल 2025 में हिंदू नव वर्ष 30 मार्च को मनाया जाएगा. यह दिन नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और धार्मिक अनुष्ठानों तथा संस्कारों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. हिंदू नव वर्ष के अनुसार, यह वर्ष विक्रम संवत 2082 होगा. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदू नव वर्ष को पारंपरिक तरीके से मनाने की प्रथा है. इस अवसर पर पूजा-पाठ, व्रत, और हवन के साथ-साथ घरों की सफाई और सजावट की जाती है. इस दिन पारंपरिक मिठाइयां और व्यंजन तैयार किए जाते हैं. कई राज्यों में इस दिन गुड़ी पड़वा, युगादि, और चेटीचंड जैसे त्योहार भी मनाए जाते हैं.

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हिंदू नव वर्ष और ग्रेगोरियन न्यू ईयर में 57 वर्षों का अंतर

हिंदुओं के नववर्ष की तिथि और ग्रेगोरियन न्यू ईयर के बीच एक वर्ष का अंतर है. वर्तमान में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, वर्ष 2025 की शुरुआत हो चुकी है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, यह वर्ष 2081 है. 30 मार्च को प्रारंभ होने वाला नववर्ष हिंदू कैलेंडर में 2082 के रूप में दर्ज होगा. इस प्रकार, ग्रेगोरियन कैलेंडर हिंदू कैलेंडर से 57 वर्ष पीछे है. ग्रेगोरियन और हिंदू कैलेंडर के बीच 57 वर्षों का यह अंतर स्पष्ट है.

चैत्र नवरात्रि से हिंदुओं का नव वर्ष क्यों प्रारंभ होता है

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र नवरात्र के पहले दिन देवी ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना का कार्य सौंपा था. इस कारण यह दिन सम्पूर्ण सृष्टि के आरंभ का प्रतीक माना जाता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, इसी तिथि पर देवी मां ने सभी देवी-देवताओं के कार्यों का वितरण किया था. इसलिए चैत्र नवरात्र को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत के रूप में स्वीकार किया जाता है.

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