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Holi 2024: होली कब है 24 या 25 मार्च? जानें होलिका दहन का मुहूर्त और पूजा विधि

Holi 2024: फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है. रंगों के त्योहार को मनाने के लिए लोगों ने तैयारियों कर ली हैं, फाग उत्सव भी शुरू हो चुके हैं.

By Radheshyam Kushwaha | March 10, 2024 12:55 PM
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Holi 2024: सनातन धर्म में होली प्रमुख पर्व है. फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी. वहीं पूर्णिमा तिथि का समापन अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर प्रदोष काल में होलिका के पूजन करने का विधान है, इस बार 24 मार्च को रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र की साक्षी में प्रदोष काल के दौरान होलिका का पूजन होगा और अगले दिन 25 मार्च को रंग-गुलाल की होली खेली जाएगी. होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है.

पूर्णिमा तिथि कब है?

फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है, इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा. होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में करने की मान्यता है. पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल का संयोग 24 मार्च को मिल रहा है. होलिका के अगले दिन होली मनाई जाती है, इसलिए इस साल 25 मार्च को होली है, इस दिन देशभर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी.

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होलिका दहन 2024

24 मार्च को होलिका दहन है, इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक है. ऐसे में होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा.

होलिका दहन पूजा की विधि

  • होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है.
  • स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं.
  • पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं.
  • रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें.
  • इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें. मिठाइयां और फल चढ़ाएं.
  • होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें.
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