Importance of Chandra Grahan On Kartik Purnima, Chandra Grahan Remedies, Kartik Purnima 2020, Lunar Eclipse 2020: कार्तिक पूर्णिमा आज से शुरू हो चुकी है. पूरे कार्तिक मास में भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करने से कई जन्मों तक फल प्राप्त होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन मत्स्य अवतार लिया था. हालांकि, इस पूर्णिमा चंद्र ग्रहण भी लग रहा है जो उपछाया चंद्रग्रहण है. इससे कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और बढ़ गया है. आइये जानते हैं अपनी दिनचर्या में मामूली सा बदलाव करके कैसे इस दिन का आप लाभ उठा सकते हैं…
दरअसल, यह चंद्र ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि में लग रहा है. आपको बता दें कि वृषभ राशि को शुक्र की राशि माना गया है. यह सुख-सुविधाओं और सम्पन्नता का प्रतिक है.
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सुख-समृद्धि और धन-वैभव की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न इस पूर्णिमा और चंद्रग्रहण के संयोग पर आप प्रसन्न कर सकते हैं. इसके लिए दीपावली की तरह घर में रंगोली बनाएं,
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घर के चौखट के दोनों तरफ हल्दी का स्वास्तिक बनाएं,
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चौखट पर हल्दी का पानी डालें और पूरे घर की अच्छे से साफ सफाई करें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
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यही नहीं, घर में आम के पत्तों को भी टांगे. इससे लक्ष्मी का वास होता है और परिवार में सुख-समृद्धि मिलती है.
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इस दिन देव दीपावली मनाने की भी परंपरा है. कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान से ग्रह दोष मिटता हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव पर गंगा जल और कच्चे दूध व पानी चढ़ाना चाहिए. साथ ही साथ उनके नाम से दीपदान भी करना चाहिए. इसके लिए देसी घी के 5 दिए जलाने चाहिए.
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यदि आपकी कुंडली में चंद्र खराब स्थिति में है तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण आपके लिए लाभकारी हो सकता है.
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इस दिन दूध, दही, चावल समेत अन्य सफेद चीजों को दान करें. इससे कुंडली में चंद्रमा की स्थिति सुधरती है.
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इसके अलावा शाम के समय चांद को गंगाजल अर्पित करके मखाने, मिश्री आदि का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति सुधरती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर होती है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मां तुलसी के सामने सुबह शाम दीप-दान करना बेहद लाभकारी हो सकता है. इस दौरान उनकी आरती भी उतारनी चाहिए.
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ऐसी मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन ही तुलसी बैकुंठधाम गई थी. मां तुलसी को लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है. ऐसे में विधि विधान से पूजा-पाठ करने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और सभी समस्याओं का निवारण होता है.
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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. साथ ही सत्यनारायण स्वामी की कथा, विष्णु सहस्त्रनाम, कनकधारा, विष्णु पुराण, समेत आदि पाठ पढ़ना चाहिए.
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इसके अलावा मां लक्ष्मी को खीर, मखाने, सिंघाड़े, हलवे आदि का भोग भी लगाना चाहिए. इससे धन संबंधी समस्याएं समाप्त होती है.
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यदि कारिणी कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा है तो यह इसका अपना ही महत्व है.
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इस दिन दान व धर्म के कार्य करने से इसका फल जन्मों-जन्मो तक मिलता है.
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धार्मिक विशेषज्ञों की मानें तो इससे मृत्यु के पश्चात बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.
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अत: इस दिन जागरण व भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए.
Posted By: Sumit Kumar Verma