Tirupati & Yadadri mandir: तेलंगना सरकार का सबसे महत्वाकांक्षी सपना साकार होने वाला है. आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी के मुकाबले तेलंगाना में बन रहे यदाद्री लक्ष्मी-नृसिंह स्वामी मंदिर का काम करीब 90 प्रतिशत तक पूरा हो गया है. मंदिर के आसपास निर्माण अभी जारी है. सितंबर महीने में ही इसके शुभारंभ की घोषणा होने की संभावना है. 2016 में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना के लिए तिरुपति जैसा ही मंदिर बनाने की योजना पर काम शुरू किया था, क्योंकि आंध्र प्रदेश से अलग होने पर तिरुपति तेलंगाना के हिस्से में नहीं आया था.
पौराणिक महत्व के यदाद्री मंदिर को 1800 करोड़ रुपए की लागत से भव्य रूप दिया जा रहा है. इसमें 39 किलो सोने और करीब 1753 टन चांदी से मंदिर के सारे गोपुर (द्वार) और दीवारें मढ़ी जाएंगी. ये भारत में ग्रेनाइट पत्थर से बना सबसे बड़ा मंदिर होगा. इसमें 2.5 लाख टन ग्रेनाइट पत्थर लगा है. पहले तेलंगाना सरकार की योजना मार्च 2020 में इसके शुभारंभ की थी, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई है. अभी मंदिर की शुभारंभ की तारीख तय नहीं हुई है. मंदिर की शुभारंभ की तारीख खुद मुख्यमंत्री ही बताएंगे. इसी महीने मंदिर का शुभारंभ करने की योजना है.
इसे यदाद्रीगिरीगुट्टा मंदिर भी कहा जाता है. हैदराबाद से करीब 60 किमी दूर यदाद्री भुवनगिरी जिले में मौजूद मंदिर का क्षेत्रफल करीब 9 एकड़ था, इसके विस्तार के लिए 300 करोड़ रुपए में 1900 एकड़ भूमि अधिग्रहित की गई, इसके लिए इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स ने करीब 1500 नक्शों और योजनाओं पर काम किया, उनमें से इसका डिजाइन फाइनल किया गया. डिजाइन हैदराबाद के प्रसिद्ध आर्किटेक्ट और दक्षिण भारतीय फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर आनंद साईं ने तैयार की है.
यदाद्री मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में किया गया है. मान्यता है कि महर्षि ऋष्यश्रृंग के पुत्र यद ऋषि ने यहां भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी. उनके तप से प्रसन्न विष्णु ने नृसिंह रूप में दर्शन दिए थे. महर्षि यद की प्रार्थना पर भगवान नृसिंह यहीं तीन रूपों में विराजित हो गए. दुनिया में एकमात्र ध्यानस्थ पौराणिक नृसिंह प्रतिमा इसी मंदिर में है.
भगवान नृसिंह की तीन मूर्तियां एक गुफा में हैं. साथ में माता लक्ष्मीजी भी हैं. करीब 12 फीट ऊंची और 30 फीट लंबी इस गुफा में ज्वाला नृसिंह, गंधभिरंदा नृसिंह और योगानंदा नृसिंह प्रतिमाएं स्थापित हैं. इसका पुनर्निर्माण वैष्णव संत चिन्ना जियार स्वामी के मार्गदर्शन में शुरू हुआ था. निर्माण आगम, वास्तु और पंचरथ शास्त्रों के सिद्धांतों पर किया जा रहा है, जिनकी दक्षिण भारत में खासी मान्यता है.
यदाद्री मंदिर क्षेत्र के प्रवेश द्वार पर हनुमान जी की एक प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. इस मंदिर में लक्ष्मी-नृसिंह के साथ ही हनुमान का मंदिर भी है. इस वजह से हनुमान को मंदिर का मुख्य रक्षक देवता माना गया है. इस प्रतिमा को करीब 25 फीट के स्टैंड पर खड़ा किया जा रहा है, यह कई किमी दूरी से दिखाई देगी. मंदिर की भव्यता का अंदाजा पर्यटकों को इस प्रतिमा की ऊंचाई से हो जाएगा.
सबसे ऊंचा होगा राजगोपुरम, 5 सभ्यताओं की झलक
मंदिर का मुख्य द्वार जिसे राजगोपुरम कहा जाता है, वह करीब 84 फीट ऊंचा होगा, इसके अलावा मंदिर के 6 और गोपुर (द्वार) होंगे। राजगोपुरम के आर्किटेक्चर में 5 सभ्यताओं- द्रविड़, पल्लव, चोल, चालुक्य और काकतीय की झलक मिलेगी.
तिरुपति की तरह लड्डू प्रसादम् कॉम्प्लेक्स
तिरुपति की तरह ही यदाद्री मंदिर में भी लड्डू प्रसादम् मिलेगा, इसके लिए अलग से एक कॉम्प्लेक्स तैयार किया जा रहा है, जहां लड्डू प्रसादम् के निर्माण से लेकर पैकिंग तक की व्यवस्था होगी.
1000 साल तक मौसम की मार झेल सकने वाले पत्थर
मंदिर के निर्माण के लिए जिन पत्थरों का उपयोग किया गया है, वे हर तरह के मौसम की मार झेल सकते हैं. उनके मूल स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होगा. लगभग 1000 साल तक ये पत्थर यथा स्थिति में रह सकें, इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है.
कैसे पहुंच सकते हैं यदाद्री मंदिर तक
एयरपोर्ट – यदाद्री मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट हैदराबाद का है. हैदराबाद से यदाद्री भुवनगिरी जिला महज 60 किमी दूर है. एयरपोर्ट से टैक्सी या बस से यदाद्री पहुंचा जा सकता है.
रेलवे स्टेशन – मंदिर से सबसे पास का रेलवे स्टेशन यदाद्री भुवनगिरी ही है. यहां से लगभग सभी रूट की ट्रेनें मिल जाती हैं. रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब 13 किमी है.
News Posted by: Radheshyam Kushwaha