Indira Ekadashi 2020: इस समय आश्विन मास चल रहा है. पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि 13 सितंबर 2020 यानि कल है. इस एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है. वहीं, पितृपक्ष 17 सितंबर को समाप्त हो रहा है. 17 सितंबर को पितृपक्ष अमावस्या है. इसी दिन विश्वकर्मा पूजा भी है. एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है. आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी की विशेष महत्व है, क्योंकि यह एकादशी पितृ पक्ष में पड़ रही है. पितृ पक्ष के दौरान यानि 13 सितंबर 2020 को इंदिरा एकादशी का व्रत है.
इस समय पितृ पक्ष चल रहे हैं. पितृ पक्ष में इंदिरा एकादशी की पूजा विशेष महत्व रखती है. मान्यता कि इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों को आर्शीवाद दिलाने में सहायक है. इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है. इंदिरा एकादशी का व्रत इसीलिए पितृ पक्ष में पितरों की मुक्ति और शांति की कामना से किया जाता हैं. इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की आर्शीवाद प्राप्त होता है. इंदिरा एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला भी माना गया है.
इंदिरा एकादशी का व्रत जीवन में आने वाले कई परेशानियों को दूर करने वाला माना गया है. इंदिरा एकादशी का व्रत विधि पूर्वक करने से हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं जिन लोगों के जीवन में धन की कमी बनी हुई है उन्हे यह व्रत विशेष फल प्रदान करता है. इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों के नाराज होने से आने वाली परेशानियों को दूर करता है. यह व्रत नकारात्मकता का नाश कर जीवन में सकरात्मकता लेकर आता है.
इंदिरा एकादशी व्रत में इस कथा को अवश्य सुनना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में इंद्रसेन नाम का एक प्रतापी राजा राज्य करता था. उसके राज्य का नाम महिष्मति था. महिष्मति राज्य में जनता को किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं था. प्रजा सुखपूर्वक रहती थी. राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु का परम भक्त था. एक दिन नारद जी इंद्रसेन के दरबार में उपस्थित हुए और राजा को पिता का सदेंश सुनाया. नारद ने राजा को बताया कि उनके पिता यमलोक में हैं. पूर्व जन्म में उनसे कोई गलती हो गई थी जिस कारण वे यमलोक में रहने को विवश हैं.
नारद ने राजा को उपाय बताते हुए कहा कि यदि इंद्रसेन आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी का व्रत रखें तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी. राजा ने नारद जी से इंदिरा एकादशी के व्रत के बारे में विस्तार से जानकारी देने का आग्रह किया. इस पर नारद जी ने कहा कि एकादशी तिथि से पूर्व दशमी को विधि विधान से पितरों का श्राद्ध करें और एकादशी की तिथि को व्रत रखें और द्वादशी के दिन भगवान की पूजा के बाद दान आदि का कार्य करने के बाद व्रत का पारण करें. नारद जी ने इंद्रसेन से कहा कि इस तरह से व्रत करने से पिता को स्वर्ग प्राप्त होगा. राजा इंद्रसेन ने नारद के बताए हुए नियमों के अनुसार ही व्रत किया. एकादशी का व्रत रखने के कारण उनके पिता को स्वर्ग प्राप्त हुआ.
13 सितंबर 2020: एकादशी तिथि का आरंभ
एकादशी तिथि के आरंभ का समय: सुबह 4 बजकर 13 मिनट से
14 सितंबर 2020: एकादशी तिथि का समापन
एकादशी तिथि के समापन का समय: सुबह 03 बजकर 16 मिनट तक
इंदिरा एकादशी व्रत पारण का समय: 14 सितंबर को दोपहर 01:30 से दोपहर 03:59 तक
News posted by : Radheshyam kushwaha