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Jagannath Mandir Story: क्या आप जानते है जगन्नाथ पुरी मंदिर की ये अनोखी बातें, जानें कई चमत्कारी रहस्य

Jagannath Mandir Story: जगन्नाथ मंदिर का नाम तो आपने सुना ही होगा, क्योंकि इसे हिंदुओं के चार धामों में से एक माना जाता है. ओडिशा के तट वर्ती शहर पुरी में स्थित यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है. 800 साल से भी ज्यादा पुराने इस पवित्र मंदिर से जुड़ी ऐसी कई रहस्यमय और चमत्कारी बातें हैं, जो आश्चर्यचकित कर देती हैं. आइए जानते हैं उन चमत्कारी रहस्यों के बारे में...

Jagannath Mandir Story: जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य ये है कि इसके शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है. वैसे आमतौर पर दिन के समय हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती है और शाम को धरती से समुद्र की तरफ, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां यह प्रक्रिया उल्टी है. अब ऐसा क्यों है, ये रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है.

  • जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र लगा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे किसी भी दिशा से खड़े होकर देखें, ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी ही तरफ है. इसी तरह एक और रहस्य ये है कि मंदिर के शिखर की छाया हमेशा अदृश्य ही रहती है. उसे जमीन पर कभी कोई नहीं देख पाता है.
  • कहा जाता हैं कि मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई नहीं देती है, जबकि समुद्र पास में ही है, लेकिन आप जैसे ही मंदिर से एक कदम बाहर निकालेंगे, वैसे ही समुद्र के लहरों की आवाज स्पष्ट सुनाई देने लगती है. यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है.

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  • आमतौर पर मंदिरों के ऊपर से पक्षी गुजरते ही हैं या कभी-कभी तो उसके शिखर पर भी बैठ जाते हैं, लेकिन जगन्नाथ मंदिर इस मामले में सबसे अलग है, क्योंकि इसके ऊपर से कोई भी पक्षी नहीं गुजरता है. कहा जाता है कि गरुड़ पक्षी, जिन्हें पक्षियों का राजा माना गया है. वह खुद भगवान की देखरेख करते हैं. सिर्फ यही नहीं, मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज भी नहीं उड़ते हैं.
  • इस मंदिर की रसोई भी सबको हैरान कर देती है. यहां प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन का ही प्रसाद सबसे पहले पकता है. फिर नीचे की तरफ एक के बाद एक बर्तन में रखा प्रसाद पकता जाता है.
  • यह भी कहा जाता है कि यहां हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के बीच कभी कम नहीं पड़ता. चाहे 10-20 हजार लोग आएं या लाखों लोग, सबको प्रसाद मिलता ही है, लेकिन जैसे ही मंदिर का द्वार बंद होता है, वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है.

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