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Jaya Ekadashi 2021: कब है जया एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम और इस दिन का महत्व…

Jaya Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. एकादशी तिथि साल में 24 बार आती है. 12 एकादशी शुक्ल पक्ष और 12 एकादशी कृष्ण पक्ष की होती है. माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि की पूजा की जाती है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2021 9:39 AM

Jaya Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है. एकादशी तिथि साल में 24 बार आती है. 12 एकादशी शुक्ल पक्ष और 12 एकादशी कृष्ण पक्ष की होती है. माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान श्री हरि की पूजा की जाती है.

जया एकादशी का व्रत इस साल 23 फरवरी दिन मंगलवार को रखा जाएगा. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने पर पिशाच योनि का भय खत्म हो जाता है. एकादशी का महातम्य खुद भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया है. आइए जानते है जया एकादशी तिथि से जुड़ी पूरी जानकारी…

जया एकादशी का शुभ मुहूर्त

  • एकादशी तिथि आरंभ 22 फरवरी 2021 दिन सोमवार की शाम 05 बजकर 16 मिनट पर

  • एकादशी तिथि समाप्त 23 फरवरी 2021 दिन मंगलवार की शाम 06 बजकर 05 मिनट पर

  • जया एकादशी व्रत का पारण के लिए शुभ मुहूर्त: 24 फरवरी की सुबह 06 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 09 मिनट तक

  • व्रत पारण अवधि- 2 घंटे 17 मिनट

जया एकादशी व्रत एवं पूजन विधि

  • एकादशी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए.

  • इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान कर, व्रत का संकल्प करें.

  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उसपर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें.

  • तिल, रोली मिश्रित जल और अक्षत से छींटे देकर घटस्थापना करें.

  • भगवान विष्णु के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करके धूप-दीप और पुष्प से पूजा करें.

  • पूजा करने के बाद आरती उतारें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.

  • भगवान को तिल अर्पित करने के साथ तिल का दान करें.

  • परनिंदा से बचे और विष्णु जी के ध्यान में पूरा समय बिताएं.

पारणा विधि

  • जया एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि यानि एकादशी के अगले दिन शुभ मुहूर्त में करें.

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात पूजन करें और भोजन बनाएं.

  • किसी जरूरत मंद या फिर ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देने के पश्चात सम्मानपूर्वक विदा करें.

  • पारण मुहूर्त में स्वयं भी भोजन ग्रहण करें.

जया एकादशी का महत्व

पद्म पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण और राजा युधिष्ठिर के बीच संवाद हुआ. जिस दौरान धर्मराज युधिष्ठिर पूछते हैं कि माघ शुक्ल की एकादशी का महात्मय क्या है. तब श्री कृष्ण ने बताया कि जया एकादशी के दिन व्रत करने से भूत-प्रेत जैसी योनियों से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान श्रीहरि का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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