jaya kishori: जया किशोरी ने भगवान शिव और पर्वती जी की अमर कथा सुना रही है. इस दौरान भक्त शांति मन से कथा सुन रहे है. जया किशोरी बहुत कम उम्र में ही आध्यात्म के मार्ग पर चल पड़ी और बहुत कम समय के अंदर भारत के अलावा विदेशों में भी उनके लाखों श्रोता बन गए जो उनके कथा वाचन को काफी पसंद करते हैं. जया किशोरी जी एक कथा वाचक और भजन गायिका (jaya kishori bhajan ) है. जो लाखों भक्तों के दिल में जगह बना ली है.
जया किशोरी ने भगवान शिव की अमर कथा का वर्णन किया. उन्होंने ने कहा कि एक दिन भगवान शिव से माता पार्वती जी ने पूछा कि आप मुझसे कितना प्रेम करते है. भगवान ने कहा कि आप मेरी पत्नी है, आपसे ज्यादा प्रेम मैं किसी से नहीं करता हूं. तब पार्वती जी ने कहा कि अगर आप मुझसे प्रेम करते है तो आज तक अमर कथा क्यों नहीं सुनाई, तब भगवान शिव ने कहा कि ठीक हैं अब तक नहीं सुनाई तो अब सुना देता हूं. इस पर भगवान शिव ने कहा कि महिलाएं में एक बुरी आदत होती है, इस पर पार्वती जी ने पूछा ये कौन सी आदत है. इस पर महादेव जी ने कहा कि महिलाएं से कोई बात नहीं छिपता है, जहां चार महिलाएं मिली वहां सभी बातें बाहर हो जाता है. तब पार्वती जी ने कहा कि आप अमर कथा सुनाईये मैं यह बात किसी से नहीं बताउंगी, क्यों कयोंकि जो यह कथा सुन लेगा वह अमर हो जाएगा.
महादेव जी ऊंची पर्वत पर कथा सुनाने के लिए बैठ गये. माता पार्वती जी से कहा कि कथा सुनाते समय नींद्रा हावी होता है, इसलिए आप हूं- हूं करना होगा. महादेव जी ने कथा सुनाने से पहले सभी जीव जंतु को जगल छोड़कर जाने को कहा. इसके बाद जंगल से सभी जीव जंतु जंगल छोड़कर चले गए. फिर कथा सुनाना शुरू किये. महादेव जी कल्प वृक्ष के नीचे बैठे थे. उस वृक्ष पर एक तोता का अंडा पड़ा था. उसी समय अंडा फूट गया और वह तोता का बच्चा यह कथा सुन रहा था. तोता में यह आदत होती है कि जो शब्द बार-बार सुनता है तो फिर वह बोलने लगता है. अब माता पार्वती जी कथा सुनते-सुनते सो गई. इधर तोता का बच्चा हूं-हूं कहने लगा.
भगवान शिव आंख बंद करके यह कथा सुना रहे थे. महादेव जी कथा पूरा करने के बाद जब आंख खोले तो माता पार्वती जी सो गई थी. अब महादेव जी सोचने लगे की आखिर में पार्वती जी सो गई थी, फिर हूं-हूं कौन कर रहा था. जब महादेव जी को पता चला की यह तोता का बच्चा चोरी से कथा सुन रहा था. जबकि सभी प्राणियों को बताया गया था कैलाश पर्वत छोड़ने के लिए. इसके बाद महादेव जी त्रिशुल लेकर मारने के लिए पीछा करने लगे. तोता का बच्चा भागने लगा. वह भागते-भागते वेद व्यास की पत्नी के मुख के द्वार से उनकी गर्भ के अंदर जाकर बैठ गया. अब भगवान दौड़ते-दौड़ते पहुंचे.
वेद व्यास जी भगवान को देखा तो वे बहुत क्रोध में थे. इसके बाद वेद व्यास जी ने पूछा महादेव आप इतना हैरान परेशान क्यों है. इसपर महादेव जी ने कहा कि एक चोर चोरी करके आया है. उसे आज मैं मृत्युदंड दूंगा. क्योंकि उसने चोरी से अमर कथा सुन लिया है. तब व्यास जी ने कहा कि जब वह अमर कथा सुन लिया है तो आप उसे मृत्यु दंड कैसे दे सकते है, अगर आप मृत्यु दंड देंगे तो अमर कथा कैसे होगा. वह तो झूठा होगा. क्योंकि अगर अमर कथा सुन लिया है तो वह अमर हो गया है.