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जया किशोरी ने बताया, रसखान जी को कैसे दर्शन दिये थे भगवान श्रीकृष्ण

jaya kishori. जया किशोरी का भजन इन दिनों यूट्यूब पर धूम मचा रहा है. जब जया किशोरी भजन सुना रही है, इस दौरान सभी भक्त इस भजन पर झूम रहे है. भक्त जया किशोरी के साथ सूर में सूर मिलाकर साथ दे रहे हैं. इस भजन पर सभी भक्तों ने जमकर नृत्य किया. जया किशोरी ने बताया कि जो भी जीव भगवान श्रीकृष्ण को भक्ति के साथ पुकारता है, भगवान वहा जरूर जाते हैं.

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जया किशोरी का भजन इन दिनों यूट्यूब पर धूम मचा रहा है. जब जया किशोरी भजन सुना रही है, इस दौरान सभी भक्त इस भजन पर झूम रहे है. भक्त जया किशोरी के साथ सूर में सूर मिलाकर साथ दे रहे हैं. इस भजन पर सभी भक्तों ने जमकर नृत्य किया. जया किशोरी ने बताया कि जो भी जीव भगवान श्रीकृष्ण को भक्ति के साथ पुकारता है, भगवान वहा जरूर जाते हैं. इसके बाद आगे उन्होंने कहा कि तुलसी की माला कोहिनूर हिरे से भी अधिक बढ़कर है. जीवन के अंतिम समय में यदि तुलसी दल मुख में हो उस जीव को नर्क से मुक्ति मिलती है. इसके बाद जया किशोरी ने रसखान की कथा का वर्णन किया.

इस दौरान उन्होंने ने कहा कि रसखान जी की आदत थी कि वह काम से पहले एक पान के दुकान पर जाते थे. पान की दुकान पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का एक फोटो लगा था. एक दिन की बात है कि रसखान जी उस पान की दुकान पर एक बालक की फोटो देखते हैं. उस फोटो में भगवान नंगे पैर थे. नंगे पैर भगवान की फोटो देखकर रसखान जी ने दुकानदार को कहने लगे कि इस बालक को जुतिया पहना दो, नहीं तो बच्चे के पैरों में कांटे चुभ जाएंगे. दुकानदार रसखान जी को ही जुतिया पहनाने की बात कहता है. इसके बाद रसखान जी दुकानदार से पूछते हैं कि यह बालक कहां मिलेगा, इस पर दुकानदार कहता है कि आप वृंदा वन चले जाइए, वहीं, पर यह बालक मिल जाएगा. इसके बाद इस बालक को खोजते-खोजते रसखान जी वृंदावन पहुंच जाते है.

पूछ रहे है रसखान, कहां मिलेंगे श्याम…

रसखान जी वृंदा वन पहुंच कर बार-बार पूछ रहे है, कि यह बालक कहा मिलेगा. इसके बाद वृंदा वन के लोग उनसे पूछते है कि आप जिस बालक को खोज रहे है वह दिखता कैसा है. तब रसखान जी बताते है कि वह सांवले रंग का छोटा बालक है, जिसके बाल घुंघराले है, माथे पर मोर मुकुट लगा हुआ है. आंखों में काजल लगा हुआ है. उसकी मुस्कान बहुत प्यारी है. इतना सुनने के बाद वृदा वन के लोग उन्हें श्रीकृष्ण भगवान के मंदिर के पास पहुंचा देते है और उनसे कहते है कि यहीं उस बालक का घर है. इसके बाद रसखान जी वहीं बैठकर उस बालक के आने का इंतजार करने लगते है. इसके बाद श्रीकृष्ण भगवान रसखान को उसी बाल रूप में दर्शन देते है. जिसकी कल्पना रसखान जी ने की थी.

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