जन्म कुंडली के षष्ठ, अष्टम या द्वादश भाव में चंद्रमा की उपस्थिति व्यक्ति को अतिविचारशीलता, संवेदनशीलता, कल्पनाशीलता प्रदान करके भावुक व स्वप्नदृष्टा बनाती है, किंतु अत्यधिक संवेदनशीलता व अति भावुक होने से इनका व्यक्तित्व एकतरफा, रूखा व नाटकीय होकर इनके लाभ और सफलता पर कई बार उद्यम के अभाव में प्रभावित करता है और इनके जीवन पर नकारात्मक असर डालता है. इन्हें धन को जोखिम पूर्ण व्यवसाय में लगाने से बचाना चाहिए तथा सट्टे या फ्यूचर ट्रेडिंग से दूर रहना चाहिए, अन्यथा लाभ की जगह हानि होगी.
उपाय, जो जीवन बदले
यदि जीवन में संघर्ष अधिक रहता हो, श्रम का फल न मिलता हो, आर्थिक तनाव सदैव तनाव प्रदान करते हो, काम बनते-बनते बिगड़ जाता हो, स्वास्थ्य खराब रहता हो या कुंडली में अनंत नामक कालसर्प योग हो, तो 43 दिनों तक रांगा धातु के एक टुकड़े का जल प्रवाह करना चाहिए. मान्यतायें कहती हैं कि इससे लाभ होगा.
भावार्थ :
तुलसी कहते हैं- मूर्ख व्यक्ति जीवन में दुख आने पर रोता रहता है और सुख के समय ज्यादा खुश होता है, जबकि धैर्यवान व्यक्ति दोनों ही समय एक समान रहता है और कठिन समय में अपने धैर्य को बनाये रखकर कठिनाइयों का डटकर सामना करता है.