झारखंड का सबसे भव्य राधा कृष्ण मंदिर आम जनता के लिए खुला, दिखेगी खूबसूरत कांच की कलाकारी
Jharkhand's biggest and magnificent Radha Krishna temple: श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम मंदिर का उद्घाटन 5 जनवरी 2025, रविवार को सम्पन्न हुआ. यह मंदिर कई मामलों में खास है, आइए जानें
Jharkhand’s biggest and magnificent Radha Krishna temple: श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम मंदिर का उद्घाटन कल 5 जनवरी 2025 रविवार को किया गया. आपको बता दें ये मंदिर रांची ही नहीं, झारखंड का सबसे भव्य राधा कृष्ण मंदिर है. आइए जानें इस मंदिर की विशेषता के बारे में और इस मंदिर तक जानें का रूट भी समझें
श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम मंदिर की विशेषता
आपको बता दें श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम मंदिर झारखंड के भव्य राधा कृष्ण मंदिर में उच्च स्थान तो रखता ही है, साथ ही यहां की कलाकारी देखते बनती है. मुख्य मंदिर नीचले तल्ले में है, जहां श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर महाभारत काल तक की झलकियां दिखाई गई है. यहां खूबसूरत कांच की कलाकारी देखने को मिलेगी. पहले तल्ले में 13 रूम के साथ मैरेज हॉल बनाया गया है. इसते अलावा तीसरे तल्ले में इस मंदिर के ट्रस्ट के द्वारा वैसे दिव्यांगों को रखा जा रहा है, जिसका कोई सहारा नहीं और अपने परिवार से बिछड़ गए हैं.
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कहां स्थित है श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम मंदिर
श्रीकृष्ण प्रणामी सेवाधाम मंदिर झारखंड की राजधानी रांची के अरगोड़ा-कटहल मोड़ रोड़ पर स्थित पुंदाग टीओपी के पीछे स्थित है. अगर आप यहां आना चाहते हैं तो अरगोड़ा चौक, पिस्का मोड़, आईटीआई बस स्टैंड इत्यादि से ऑटो मिल सकती है. इसके अलावा यहां पर खुद के वाहन के अलावा कैब से भी आया जा सकता है.
जानें श्रीकृष्ण प्रणामी सेवा संस्थान के बारे में
आचार्य श्री 108 कृष्णमणिजी महाराज श्री कृष्ण प्रणामी संप्रदाय के वर्तमान जगद्गुरु आचार्य (धार्मिक प्रमुख) हैं. वर्तमान में, इस संप्रदाय के 10 मिलियन से अधिक अनुयायी हैं और 800 से अधिक मंदिर और केंद्र दुनिया भर में फैले हुए हैं.
निजानंदाचार्य श्री देवचंद्रजी महाराज इस संप्रदाय के संस्थापक हैं. उन्होंने 1630 ई. में जामनगर में इस संप्रदाय के आचार्य पीठ (मुख्य पीठ) के रूप में श्री 5 नवतनपुरी धाम की स्थापना की. उनके प्रमुख शिष्य महामती श्री प्राणनाथजी ने इस सम्प्रदाय के दर्शन को पूरे विश्व में प्रचारित किया. इस आचार्य परम्परा में आचार्य श्री 108 कृष्णमणिजी महाराज इस सम्प्रदाय के 14वें आचार्य हैं.