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Jitiya vrat 2023: जितिया उपवास कब 6 या 7 अक्टूबर, जानें ज्योतिषाचार्य से डेट और इस व्रत से जुड़ी पूरी डिटेल्स

Jitiya vrat 2023: जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत इस साल 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली व लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.

By Radheshyam Kushwaha | October 2, 2023 10:16 AM

Jitiya Vrat 2023: हर साल जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. इस साल जितिया व्रत 06 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन मताएं जितिया व्रत रखकर संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी. इस व्रत के पुण्य प्रताप से संतान तेजस्वी और मेधावी होता है. इसके साथ ही माता-पिता का नाम रोशन करने वाला होता है. ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री के अनुसार जितिया व्रत पर दुर्लभ शिव योग समेत कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से व्रती को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. आइए ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री से जानते है सही डेट शुभ मुहूर्त और इस व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी…

जीवित्पुत्रिका व्रत कब है 2023?

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को प्रातः काल 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. अतः 6 अक्टूबर को जितिया व्रत मनाया जाएगा.


जितिया व्रत कितने बजे तक है?

जितिया व्रत 05 अक्टूबर से शुरू होकर 07 अक्टूबर तक चलेगा. अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से आरंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा.

जितिया व्रत पूजा कब है?

जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत इस साल 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है. इस दिन महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली व लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी.

जितिया में किस भगवान की पूजा की जाती है?

जितिया व्रत को जीवित पुत्रिका व्रत के रूप में जाना जाता है, जहां जीवित वाहन भगवान की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि यह पूजा व्रत करने वाली महिला के बच्चों को लंबी आयु, स्वास्थ्य, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है.

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जितिया में क्या क्या चढ़ाया जाता है?

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को प्रदोषकाल में महिलाएं जीमूतवाहन की पूजा करती है. जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित प्रतिमा को धूप-दीप, अक्षत, पुष्प, फल आदि अर्पित करके फिर पूजा की जाती है. इसके साथ ही मिट्टी और गाय के गोबर से सियारिन और चील की प्रतिमा बनाई जाती है. प्रतिमा बन जाने के बाद उसके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है.

जितिया व्रत का नियम क्या है?

जितिया व्रत के पहले दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर स्‍नान करके पूजा करती हैं और फिर एक बार भोजन ग्रहण करती हैं. उसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद दूसरे दिन सुबह-सवेरे स्‍नान के बाद महिलाएं पूजा-पाठ करती हैं और फिर पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं. व्रत के तीसरे दिन महिलाएं पारण करती हैं.

नहाय-खाय के दिन क्या क्या खाना चाहिए?

इस दिन बिना कुछ खाये-पीये या सिर्फ पानी या नारियल पानी का सेवन कर पूरे दिन उपवास रखा जाता है. शाम के समय पूजा कर मंडुआ की लिट्टी, गेहूं के आटे की दूध-पिट्ठी, देसी मटर करी, झिंगली-तोरी की सब्जी, अरबी की सब्जी, नोनी साग, पोई साग के पकौड़े, काशीफल की सब्जी, खीरे का रायता और न जाने कितने व्यंजन खाये और खिलाये जाते हैं.

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जितिया व्रत का पूजा कैसे किया जाता है?

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. इसके बाद पूजा अर्चना की जाती है.

जितिया व्रत 2023 पारण टाइमिंग

जितिया व्रत खोलने की विधि को पारण कहा जाता है. व्रत का पारण हमेशा सूर्योदय के बाद नवमी तिथि में किया जाता है. इस बार अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से आरंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा.

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जितिया व्रत का पारण कैसे करे?

जितिया व्रत के नियम पूरे तीन दिनों के लिए होते हैं. पहले दिन नहाय-खाय और दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. इसलिए तीसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करने और पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत का पारण करें.

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