Jivitputrika Vrat 2024: जीवित्पुत्रिका व्रत की कब से हुई थी शुरूआत, जानें
Jivitputrika Vrat 2024: पंचांग के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माताएं अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए पुरे दिन निर्जला उपवास रहकर संध्या काल में जीमूतवाहन का पूजन करती है.
Jivitputrika Vrat 2024: संतान की लम्बी उम्र और स्वस्थ्य जीवन की कामना को लेकर किया जाने वाल जीवित्पुत्रिका व्रत कल यानि 25 अक्तूबर 2024 को मनाया जायेगा.यह व्रत जब महालय श्राद्ध मनाया जाता है उस अवधि के अंतर्गत जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है.पंचांग के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माताएं अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए पुरे दिन निर्जला उपवास रहकर संध्या काल में जीमूतवाहन का पूजन करती है.यह व्रत सप्तमी से आरम्भ होता है और नवमी तिथि तक व्रत चलता है.इस व्रत को करने का मुख्य कारण होता है.संतान की दीर्घायु होने की के लिए किया जाता है.
जीवित्पुत्रिका व्रत कब से आरंभ हुआ
यह व्रत जब द्वापर का अंत और कलयुग का आरंभ हुआ था उस समय शोकाकुल स्त्रियां ने आपस में सलाह की क्या माता के जीवित रहते पुत्र मर जायेगे. यह बात गौतम जी के पास पूछने के लिए गई जब उनके पास पहुंची तो गौतम जी आनंद के साथ बैठे थे. सभी स्त्रियां उनसे पूछी कलयुग में लोगों का पुत्र जीवित रहने का कोई व्रत बताए.तब उन्होंने बताया कलयुग में जीमूतवाहन नामक एक राजा थे. पत्नी के साथ ससुराल गए हुए थे वहा पर आधी रात को एक महिला पुत्र के वियोग में रो रही थी. उनका रोना सुनकर राजा जीमूतवाहन का ह्रदय बिदीर्ण हो गया और रोती हुई महिला से पूछे कैसे पुत्र मरा. तब वह माता बोली गांव में गरुड़ महराज ने लड़के को खा लिया है. यह बात जब राजा को मालूम चला तब एक दिन महराज गांव के जिस जगह गरुड़ आते थे, वही पर एक दिन रात में जीमूतवाहन महराज सो गए गरुड़ जी आए और उनके शरीर का बाए अंग को खाया, फिर वह दाहिने अंग को खाने को दिए तब गरुड़ महराज रुक गए उनसे पूछे आप कौन हो मनुष्य तो नहीं लगते हो. तब राजा ने कहा आप इच्छा भर मांस खाओ तब गरुड़ रुक गए राजा से बोले अपने बारे में बताओ तब राजा बोले जीमूतवाहन मेरा नाम है सूर्य वंश में जन्म हुआ है. तब गरुड़ जी बोले आपका अभिलाषा क्या है वर मांगो तब राजा ने बोला आप जितने बालक को आप मार कर खाए है उनको जीवित कर दो ऐसा कोई उपाय बताए जिनका जन्म हो कुछ दिन तक जीवित रहे गरुड़ महराज ने इंद्र लोक जाकर वहां से अमृत लाकर सभी हड्डी पर डाला सभी बालक जीवित हुए इस दिन से जीवित्पुत्रिका व्रत आरंभ हुआ.
जीवितपुत्रिका व्रत को लेकर क्या है मान्यता
जीवित्पुत्रिका व्रत के एक दिन पहले अपने पितरों का विशेष भोजन जो बिना लहसुन प्याज का बना हो उसमे से कुछ अंश निकालकर अपने पितरों के नाम पर गाय या कौआ को भोजन कराती है.ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते है.साथ ही व्रत करने वाले महिलाए का मनोरथ पूर्ण होता है .
जीवितपुत्रिका व्रत किस दिन करें
यह व्रत कथा के अनुसार सप्तमी से रहित और उदय तिथि की अष्टमी को व्रत करे यानि सप्तमी विद अष्टमी जिस दिन हो उस दिन व्रत नहीं करके शुद्ध अष्टमी को व्रत करे और नवमी में पारण करे अगर इस बात पर ध्यान नहीं देने से व्रत का फल नहीं मिलता है.
जीवितपुत्रिका व्रत पर नहाय खाय क्यों करते है ? क्या है परम्परा ?
नहाय खाय का मतलब यह होता है. जो महिलाए व्रत करती है व्रत के एक दिन पहले सुबह में स्नान करके अपने कुलदेवता का पूजन करके खाना बनाती है. खाना सेंधा नमक से बना तथा बिना लहसुन प्याज का खाना शुद्धता से बनाकर खाती है.फिर अगले दिन व्रत आरंभ करती है .
कब है जीवित्पुत्रिका व्रत ?
आज 24 अक्तूबर 2024 दिन मंगलवार को व्रत का नहाय खाए है.
कल 25 अक्तूबर 2024 दिन बुधवार को जीवित्पुत्रिका व्रत किया जायेगा.
26 अक्तूबर 2024 दिन गुरुवार को व्रत का पारण किया जायेगा .
पारण का निर्णय
जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण 26 अक्तूबर 2024 दिन गुरुवार को जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण सूर्योदय काल समय 06:10 मिनट के बाद जायेगा .व्रत का पारण गाय के दूध से किया जाता है.
जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847