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Jyeshta Month 2022 : ज्येष्ठ मास शुरू, जाने इस महीने का महत्व और नोट कर लें प्रमुख त्योहारों की तिथियां

Jyeshtha Maas 2022 Vrat Tyohar List: जीवन में ज्येष्ठ मास का विशेष महत्व है. इस मास में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं. इस मास में एकदंत चतुर्थी व्रत, अपरा या अचला एकादशी, मासिक शिवरात्रि, शनि जयंती, सोमवती अमावस्या, वट सावित्री व्रत पड़ेंगे.

Jyeshtha Maas 2022 Vrat Tyohar List: ज्येष्ठ का महीना 17 मई से शुरू होकर 14 जून तक रहेगा. ज्येष्ठ मास में कई व्रत-त्योहार (Jyeshtha Month Vrat Tyohar) पड़ने वाले हैं. इस मास में एकदंत चतुर्थी व्रत, अपरा या अचला एकादशी, मासिक शिवरात्रि, शनि जयंती, सोमवती अमावस्या, वट सावित्री व्रत पड़ेंगे. ज्येष्ठ मास में कौन-कौन से व्रत-त्योहार पड़ेंगे, इसके बारे में जानते हैं.

ज्येष्ठ मास के व्रत-त्योहार I Jyeshtha Month Vrat Tyohar

  • 17 मई, 2022, मंगलवार- ज्येष्ठ मास आरंभ, प्रतिपदा तिथि, बड़ा मंगल व्रत, नारद जयंती

  • 19 मई, बुधवार- एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत

  • 22 मई, रविवार- भानु सप्तमी

  • 26 मई, गुरुवार- अपरा एकादशी व्रत

  • 27 मई, शुक्रवार- प्रदोष व्रत

  • 30 मई, सोमवार- शनि जयंती, दर्श अमावस्या, सोमवती अमावस्या, वट सावित्री, ज्येष्ठ अमावस्या

  • 03 जून, शुक्रवार- विनायक चतुर्थी व्रत

  • 07 जून, गुरुवार- मासिक दुर्गाष्टमी व्रत

  • 09 जून, गुरुवार- गंगा दशहरा

  • 10 जून, शुक्रवार- निर्जला एकादशी व्रत

  • 11 जून, शनिवार- गायत्री जयंती

  • 12 जून, रविवार- प्रदोष व्रत

  • 14 जून, मंगलवार- ज्येष्ठ पूर्णिमा, वट पूर्णिमा व्रत

ज्येष्ठ मास दिन बड़ा और रातें छोटी होती हैं

जीवन में ज्येष्ठ मास का विशेष महत्व है. ये मास प्रकृति और प्राकृतिक संपदा के महत्व को भी बताता है. इस मास में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं. ज्येष्ठ मास में दिन बड़ा और रात छोटी होती है. दिन बड़ा होने के कारण ही इस ज्येष्ठ कहा जाता है. इसे जेठ भी कहते हैं. ये मास जीवन में जल के महत्व को भी बताता है. ज्येष्ठ मास की दूसरे पक्ष यानि शुक्ल पक्ष में गर्मी अधिक पड़ती है. निर्जला एकादशी का व्रत भी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है. ये व्रत जल के महत्व को बताता है. ज्येष्ठ मास में अनुशासित जीवन शैली को अपना चाहिए, इस मास में धर्म कर्म भी विशेष महत्व है. इस मास में कुछ कार्यों को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

ज्येष्ठ मास में क्या करें

पशु-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करनी चाहिए.

जगह जगह प्याऊ स्थापित करने चाहिए.

पंखा, छाता और सत्तू आदि का दान करना चाहिए.

वृक्ष और प्राकृतिक चीजों की रक्षा करनी चाहिए.

तिल का दान करना चाहिए.

कैसे पड़ा ज्येष्ठ मास का नाम

ज्येष्ठ मास में सूरज अपने प्रचंड वेग में होता है इसलिये भीषण गर्मी पड़ती है. सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है। ज्येष्ठा नक्षत्र के कारण भी इस माह को ज्येष्ठ कहा जाता है. इस महीने में धर्म का सम्बन्ध जल से जोड़ा गया है, ताकि जल का संरक्षण किया जा सके

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