Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट वृक्षों की पूजा से बनेंगे सुख समृद्धि के योग, जानें पूजन विधि और इस दिन का महत्व

Jyeshtha Purnima 2024: पूर्णिमा तिथि पर पीपल के पेड़ की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना चाहिए.

By Radheshyam Kushwaha | June 15, 2024 11:57 AM
an image

Jyeshtha Purnima 2024 : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम मानी जाती है. इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति आनंद, संतोष और समृद्धि की प्राप्ति में समर्थ होता है. इस बार, ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 21 जून को मनाया जाएगा, जबकि स्नान-दान का आयोजन 22 जून को होगा. इस दिन के उपासना एवं दान कर्म से लोगों की आत्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और वे धार्मिक उन्नति के माध्यम से अपने जीवन को समृद्ध बनाने के प्रयास करते हैं.

तुलसी पूजन से मिलेगा लाभ

हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पूजनीय और पवित्र माना जाता है, जिसमें देवी लक्ष्मी का वास होता है और यह भगवान विष्णु को भी प्रिय है. पूर्णिमा तिथि पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है, क्योंकि इससे व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी की पूजा करने से कुंडली के दोष कम होते हैं और भाग्य में वृद्धि होती है. तुलसी पूजन से आध्यात्मिक शांति, समृद्धि, सौभाग्य और स्वास्थ्य में सुधार होता है. पूजा में तुलसी के पत्ते, जल, दीपक, धूप, अक्षत और फूलों का उपयोग होता है, और तुलसी के पास दीपक जलाने और परिक्रमा करने से घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इस पूजा के दौरान मंत्रों के उच्चारण से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

पीपल के पेड़ की पूजा

पूर्णिमा तिथि पर पीपल के पेड़ की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ में जल अर्पित करना और मिठाई चढ़ाना धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करता है, जिससे व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. पीपल के पेड़ की पूजा से न केवल आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि घर में शांति और समृद्धि भी बनी रहती है. इस पूजा में जल, दूध, फूल, मिठाई और अक्षत का उपयोग किया जाता है और पेड़ के चारों ओर सात बार परिक्रमा करना विशेष लाभकारी माना जाता है. पूजा के समय पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने और धूप-दीप से आरती करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में खुशहाली, धन, वैभव और सफलता का संचार होता है.

Also Read: Career Weekly Horoscope 16 to 22 June 2024: इस सप्ताह करियर में सफलता और शिक्षा में उन्नति की संभावनाएं, जानें सभी 12 राशियों का हाल

बरगद के पेड़ की पूजा का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ की पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसमें त्रिदेवों -ब्रह्मा, विष्णु और महेश (भगवान शिव) का वास होता है. इस दिन बरगद की पूजा करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में शांति और सुख-समृद्धि का संचार होता है. यदि विवाह में बाधाएं आ रही हों, तो बरगद की जड़ों में गंगाजल चढ़ाकर, पेड़ पर कलावा बांधकर, और फूल, फल, मिठाई अर्पित करके धूप-दीप जलाने से विवाह के योग बनने लगते हैं. इस पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण त्रिदेवों की कृपा प्राप्त करने और कुंडली के दोषों को कम करने में सहायक होता है, इसके साथ ही बरगद की परिक्रमा और ध्यान से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है.

Exit mobile version