Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव को चढ़ाई जाती है शराब, जानें इसके पीछे की परंपरा
Kaal Bhairav Jayanti 2024: यह सुनकर कुछ व्यक्तियों को आश्चर्य हो सकता है, क्योंकि भगवान को फूल, फल या मिठाई अर्पित करने की परंपरा है, लेकिन काल भैरव को शराब अर्पित करने की परंपरा का क्या कारण है? इसके पीछे एक गहरा और आध्यात्मिक अर्थ छिपा हुआ है.
Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव, भगवान शिव का सबसे क्रूर रूप माने जाते हैं. उन्हें एक भयंकर देवता के रूप में पूजा जाता है, जिनकी आंखें विशाल और बाल अस्त-व्यस्त होते हैं.वह पापियों को दंड देने वाले देवता के रूप में भी प्रसिद्ध हैं.64 भैरवों के शासक के रूप में उनका एक महत्वपूर्ण स्थान है. उत्तर भारत में काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष माह में मनाई जाती है, जबकि दक्षिण भारत में इसे कार्तिक माह में मनाया जाता है. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं और काल भैरव के मंदिरों में जाकर दर्शन करते हैं. इस वर्ष, काल भैरव जयंती 23 नवंबर को मनाई जाएगी.
क्या है वह विशेष परंपरा जिसमें काल भैरव को शराब चढ़ाई जाती है?
यह सुनकर कुछ लोग चौंक सकते हैं, क्योंकि भगवान को फूल, फल या मिठाई चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन काल भैरव को शराब चढ़ाने की परंपरा क्यों है? इसका बहुत गहरा और आध्यात्मिक कारण है.जानिए
अज्ञान और अहंकार को नष्ट करने का प्रतीक
काल भैरव को अज्ञान और अहंकार का संहारक माना जाता है.शराब को इस परिपेक्ष्य में अज्ञान और अहंकार का प्रतीक माना जाता है, जो इंसान की सोच और व्यवहार को धुंधला कर देता है.जब भक्त शराब का भोग काल भैरव को अर्पित करते हैं, तो वह यह संदेश देते हैं कि वे अपने इन नकारात्मक गुणों को भगवान को अर्पित कर रहे हैं और आत्मिक उन्नति की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.
तांत्रिक परंपरा से जुड़ा हुआ
काल भैरव की पूजा तंत्रिक परंपरा से भी जुड़ी हुई है, जिसमें शराब को पंचमकार तत्वों में से एक माना जाता है. तंत्र में शराब का प्रयोग व्यक्ति को सांसारिक बंधनों और वर्जनाओं से मुक्त करने के लिए किया जाता है. यह शारीरिक और मानसिक संयम को चुनौती देने के रूप में एक साधना है, जो भक्त को आत्मा के उच्च स्तर तक पहुंचने में मदद करता है.
सांसारिक सुखों से विमुक्ति का प्रतीक
कुछ आध्यात्मिक दृष्टिकोणों में, शराब या अन्य पदार्थों का सेवन या अर्पण यह दिखाता है कि भक्त सांसारिक सुखों से विमुक्त है और भगवान के प्रति पूरी तरह से समर्पित है.यह एक प्रकार की त्याग की भावना को उजागर करता है, जिससे भक्त अपने भीतर के बुरे गुणों को छोड़कर आत्मिक शांति की ओर बढ़ता है.
काल भैरव जयंती 2024 का समय
अष्टमी तिथि आरंभ: 22 नवम्बर 2024 – शाम 06:07 बजे
अष्टमी तिथि समाप्ति: 23 नवम्बर 2024 – शाम 07:56 बजे
काल भैरव जयंती 2024 पूजा विधि
दिन की शुरुआत स्नान से करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें.
काल भैरव की मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर रखें.
मूर्ति को फूल, अगरबत्ती, सरसों का तेल, काले तिल और मिठाई अर्पित करें.
“काल भैरव अष्टकम” और शिव मंत्रों का जाप करें.
कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, जो शाम की पूजा के बाद ही समाप्त करते हैं.
अच्छे परिणाम के लिए, काशी के काल भैरव मंदिर में पूजा करने का विशेष महत्व है.
काल भैरव जयंती का महत्व
काल भैरव जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक अवसर है अपनी आत्मा को शुद्ध करने, अपने नकारात्मक गुणों को छोड़ने और भगवान के प्रति पूरी श्रद्धा से समर्पण करने का इस दिन की विशेष पूजा विधि और परंपराएं हमें जीवन में अज्ञान और अहंकार से मुक्ति पाने की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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