Chandra Grahan kab hai: अगले महीने जून में सूर्य और चंद्र ग्रहण लग रहा है, फिर इसके बाद जुलाई में भी चंद्र ग्रहण लगेगा. जून और जुलाई में लगाता तीन बड़े ग्रहण लग रहे है. इस साल 2020 में कुल 06 ग्रहण लग रहे हैं. जिनमें से एक चंद्र ग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है. अब 05 जून को दूसरा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजर से ग्रहण का बहुत ही महत्व होता है. ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिनमें पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है, यानि जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीच में होती है तो चंद्र ग्रहण लगता है. इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 05 जून को लगने जा रहा है. ये ग्रहण 05 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होगा. वहीं 06 जून 02 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. ये चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठ नक्षत्र में लग रहा है.
वहीं, इस साल का तीसरा चंद्र ग्रहण 05 जुलाई, रविवार को लगेगा. ये चंद्र ग्रहण सुबह 08 बजकर 38 मिनट से शुरू होगा और 11 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. दिन में होने की वजह से भारत में यह ग्रहण नजर नहीं आएगा. ये ग्रहण पूर्णिमा के दिन धनु राशि में लगेगा. इस साल का चौथा और आखिरी ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा जो कि दोपहर 1 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगा और शाम को 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. दिन का समय होने की वजह से भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखाई देगा. ये ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में होगा. इस साल का दूसरा ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है. इसलिए इसे लेकर बेहद सावधान रहने की जरूरत होगी. इस साल 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण 05 जून शुक्रवार को लग रहा है. 05 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा. वहीं, भारत के अलावा ये यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा.
21 जून, रविवार के दिन सूर्य ग्रहण लगने वाला है. ये ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और दिन में 03 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. भारत में ये सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. भारत के अलावा अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में भी दिखाई देगा.
पौराणिक कथानुसार समुद्र मंथन के दौरान जब देवों और दानवों के साथ अमृत पान के लिए विवाद हुआ तो इसको सुलझाने के लिए मोहनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था. इस दौरान जब भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग बिठा दिया. लेकिन असुर छल से देवताओं की लाइन में आकर बैठ गए और अमृत पान कर लिया. देवों की लाइन में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने राहु को ऐसा करते हुए देख लिया. इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी, जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन राहु ने अमृत पान किया हुआ था, जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु के नाम से जाना गया. इसी कारण राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रास लेते हैं तो अमावस्या के दिन सूर्य को.