Kali Puja 2022: बोकारो के पहाड़ी काली मंदिर में काली पूजा पर ये है परंपरा, देशभर से आते हैं श्रद्धालु

बोकारो के पहाड़ी काली मंदिर में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से श्रद्धालु पहुंचते हैं और मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि देते हैं. मंदिर की स्थापना में मजदूर नेता रामाधार सिंह, जयमंगल सिंह, डॉ घोष, ज्ञान मुकुल मुखर्जी, पीएन झा, शिवरतन भगत आदि की अहम भूमिका रही.

By Guru Swarup Mishra | October 21, 2022 10:51 PM
an image

Kali Puja 2022: बोकारो जिले के बेरमो के गांधीनगर स्थित पहाड़ी काली मंदिर 50 साल पुराना है. ये मंदिर पहाड़ के ऊपर स्थित है. मंदिर की चहारदीवारी के ठीक बगल में ईदगाह और कब्रिस्तान है. मंदिर की स्थापना वर्ष 1970 में हुई थी. इसमें मजदूर नेता रामाधार सिंह, जयमंगल सिंह, डॉ घोष, ज्ञान मुकुल मुखर्जी, पीएन झा, शिवरतन भगत आदि की अहम भूमिका रही. बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि देते हैं.

मंदिर के प्रथम पुजारी थे ज्ञान मुकुल मुखर्जी

पहले टिन के शेड में मां काली की पूजा होती थी. बाद में छोटे मंदिर का निर्माण सीसीएल प्रबंधन व अन्य लोगों के सहयोग से किया गया. कुछ दिनों बाद सीसीएल प्रबंधन व जन सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण हुआ. काली मंदिर के समीप शिव मंदिर, हनुमान मंदिर भी है. मंदिर के प्रथम पुजारी ज्ञान मुकुल मुखर्जी थे. इसके बाद लाल बाबा ने कुछ वर्षों तक पूजा की. इसके बाद लगभग चार दशक तक पारस मुखर्जी ने पूजा की. उनके निधन के बाद उनके दामाद सुब्रतो गोस्वामी तथा नाती तन्मय गोस्वामी पूजा करा रहे हैं. वर्तमान में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मंदिर के संस्थापक रामाधार सिंह के पुत्र रामचंद्र सिंह हैं. काली पूजा की रात्रि में यहां विशेष पूजा होती है. दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं तथा मन्नत पूरी होने पर बकरे की बलि देते हैं. बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा तथा छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.

Also Read: Jharkhand News: झारखंड में कार्तिक अमावस्या को रातभर क्यों खुला रहता है रामगढ़ का मां छिन्नमस्तिके मंदिर

गोमिया रेलवे स्टेशन काली मंदिर में 1970 से हो रही है पूजा

गोमिया रेलवे स्टेशन में 1970 से काली पूजा हो रही है. इसके बाद गोमिया पोस्ट ऑफिस मोड़ के समीप भव्य काली मंदिर का निर्माण किया गया और यहां पिछले डेढ़ दशक से पूजा का आयोजन हो रहा है. इसके अलावा हजारी मोड़ काली मंदिर, स्वांग के जारंगडीह सीम काली मंदिर, आइइएल गर्वमेंट कॉलोनी का काली मंदिर, स्वांग पुराना माइंस का काली मंदिर में भी पूजा को लेकर कमेटी ने तैयारी शुरू कर दी है. मंदिरों को रंग-रोगन व विद्युत सज्जा के साथ आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है. कई जगहों पर भव्य पंडाल का भी निर्माण किया जा रहा है.

Also Read: झारखंड कैबिनेट की बैठक : इथेनॉल प्रोडक्शन प्रोमोशन नीति-2022 को स्वीकृति, इन प्रस्तावों पर भी लगी मुहर

ऊपरघाट के कंजकीरो में होती है वैष्णवी पूजा

नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट स्थित कंजकीरो में 23 वर्षों से काली पूजा की जा रही है. यहां पर वैष्णवी पूजा की जाती है. प्रतिवर्ष यहां तीन दिवसीय मेला का आयोजन होता है. बोकारो थर्मल स्थित बस स्टैंड में काली पूजा बंगाली रीति-रिवाज से की जाती है. यहां पर रात में बच्चों के लिए कई तरह की प्रतियोगिता आयोजित की जाती है.

रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो

Exit mobile version