कन्या पूजन के लिए 3 से 9 साल की कन्याओं को घर पर बुला कर भोजन कराने की परंपरा है. साथ में एक छोटे बालक को भी आमंत्रित किया जाता है. इस बालक को भैरव का रूप मानते हैं. भोजन के लिए काले चने की सब्जी, हलवा, पूरी और खीर बनाई जाती है. इन 9 कन्याओं को माता का रूप मानते हुए उन्हें पकवानों का भोग लगाया जाता है.
ऐसे करें कन्या पूजन
घर पर 9 कन्याओं को बुलाएं. साथ में एक बालक भी अवश्य हो. उनके लिए आसान लगाएं. सबसे पहले उनके हाथ-पैर पारंपरिक तरीके से धोएं. फिर उनका श्रृंगार करें. पैरों में आलता लगाएं. माथे पर रोली से टीका करें. फिर उन्हें भोजन परोसें. शुद्धता से बने पकवान ही खिलाएं.
उपहार देकर करें विदा
भोजन संपन्न होने के बाद कन्याओं को नारियल, फल और दक्षिणा समेत श्रृंगार के सामान उपहार में दें. कन्याओं को भोजन कराने के बाद कन्याओं के पैर छूकर कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें उसके बाद सभी को सम्मान पूर्वक विदा करें.
अष्टमी तिथि कन्या पूजन का शुभ मुहूर्तः
अष्टमी तिथि आरंभ : 12 अक्टूबर रात 09 बजकर 47 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त : 13 अक्टूबर रात 08 बजकर 07 मिनट पर
नवमी तिथि कन्या पूजन का शुभ मुहूर्तः
नवमी तिथि आरंभ :13 अक्टूबर रात्रि 08 बजकर 07 मिनट से
नवमी तिथि समाप्ति :14 अक्टूबर शाम 06 बजकर 52 मिनट पर