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करवा पूजन विधि
बताएं आपको कि करवा चौथ की पूजा छलनी से चांद को देखकर की जाती है. इस दिन चांद की पूजा के बाद उन्हें अर्घ्य देना होता है. चांद को अर्घ्य देते समय विशेष मंत्र का जाप करना अवश्य होता है. इसके बाद छलनी पर दीपक रखकर चांद को देखना चाहिए, फिर चांद को देखते हुए चंद्रदेव से अपने पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना चाहिए. अंत में इसी छलनी से अपने पति को देखें.
चंद्रोदय का समय
चंडीगढ़- 08 बजकर 03 मिनट पर
लुधियाना- 08 बजकर 07 मिनट पर
मेरठ- 08 बजकर 03 मिनट पर
लखनऊ- 07 बजकर 56 मिनट पर
करवा चौथ के व्रत का चमत्कार
पौराणिक कथा के अनुसार, वीरवती ने साल भर बाद जब करवा चौथ का व्रत सुहागिन की तरह सजधर व्रत रखा और पूरे विधि विधान से करवा पूजा किया. ये देखकर करवा देवी प्रसन्न हो गईं और वीरवति के मृत पति को फिर से जीवित कर दिया. तभी से करवा चौथ के दिन पति को छननी से देखने की परंपरा की जा रही है.
करवा चौथ पर छननी के प्रयोग का महत्व
एक पैराणिक कथा के अनुसार पतिव्रता वीरवती के सात भाई थे. जब वीरवती का विवाह हुआ तो उसने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा. चूंकि उसने व्रत निर्जला रखा था, इसलिए उसकी तबियत बिगड़ने लगी. ये देख भाइयों से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी. उनमें से एक भाई को यह बिल्कुल सहन नहीं हुआ और उसने एक छलनी में दीपक रखकर पेड़ पर चढ़ गया. जब वीरवती ने छननी में जलते हुए दीपक को देखा तो उसने उसे चांद समझ कर अपना व्रत खोल लिया. वहीं उसकी एक छोटी सी भूल से उसके पति का निधन हो गया. वीरवती को जब इस बारे में पता चला तो वो बहुत दुखी हुई और पति के मृत शरीर को अपने पास रखकर रोने लगी.
पूजा की थाली में जरूरी है ये चीजें
करवा चौथ पूजा में थाली सबसे खास होता है और महिलाएं थाली की सजावट भी बड़े उत्साह के साथ करती हैं. पूजा की थाली की सजावट के दौरान जरूरी है ये चीजें
सुहाग का सामना, कुमकुम, आटे का दीपक, छलनी, मिठाई, तांबे का लोटा या गिलास और मिट्टि का करवा थाली में जरूर रखें.
Karwa Chauth 2022 Live Moon Rise Time: करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
कानपुर- 08 बजकर 00 मिनट पर
प्रयागराज- 07 बजकर 56 मिनट पर
इंदौर- 08 बजकर 56 मिनट पर
मुरादाबाद- 07 बजकर 58 मिनट पर
Karwa Chauth Moon Rise Time: करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
चंडीगढ़- 08 बजकर 03 मिनट पर
लुधियाना- 08 बजकर 07 मिनट पर
मेरठ- 08 बजकर 03 मिनट पर
लखनऊ- 07 बजकर 56 मिनट पर
Karwa Chauth Moon Rise Time City wise: करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय
दिल्ली- 08 बजकर 07 मिनट पर
हरियाणा- 08 बजकर 10 मिनट पर
नोएडा- 08 बजकर 06 मिनट पर
गाजियाबाद- 08 बजकर 06 मिनट पर
करवाचौथ 2022: अमृतकाल मुहूर्त
अमृतकाल मुहूर्त- शाम 04 बजकर 08 मिनट से शाम 05 बजकर 50 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक
करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय : शाम 08 बजकर 09 मिनट पर होगा
Karwa Chauth Importance: करवा चौथ व्रत का महत्व
पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। करवा चौथ का व्रत में मां पार्वती की पूजा की जाती है और उनसे अखंड सौभाग्य की कामना की जाती हैं। इस व्रत में माता गौरी के साथ साथ भगवान शिव और कार्तिकेय और भगवान गणेश की भी पूजा अर्चना की जाती है। इस व्रत में मिट्टे के करने का बहुत महत्व है। इसे किसी ब्राह्मण या फर किसी सुहागन महिला को दान में दिया जाता है।
Karwa Chauth Sargi: क्यों खाना जरूरी है करवा चौथ की सरगी?
करवा चौथ की सरगी सास अपनी बहू को देती है और इसके जरिए वो बहुत को हमेशा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती है. सरगी की थाली में 16 श्रृंगार की सारी चीजों के अलावा मिठाइयां, फल, ड्राइ फ्रूट्स, दूध, दही आदि होते हैं. इन चीजों को खाकर करवा चौथ का व्रत शुरू किया जाता है और फिर रात को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर ही व्रत खोला जाता है. इसलिए सरगी जरूर खाना चाहिए और सास का आशीर्वाद भी लेना चाहिए. यदि सास न हों तो जेठानी या बहन भी सरगी दे सकती है.
Karwa Chauth Shubh Muhurat: करवा चौथ 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखते हैं. इस साल कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर, गुरुवार की रात 1 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर की रात 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. उदिया तिथि के चलते करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जाएगा.
साल 2022 में चांद निकलने का समय
करवा चौथ के दिन देश के अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर चांद निकलता है. कुछ जगहों पर चांद जल्दी और कुछ जगहों पर देर से चंद्र दर्शन होते हैं. करवा चौथ के दिन हर सुहागिन महिला को चांद का इंतजार रहता है.इस साल चंद्रोदय का समय (दिल्ली) 08 बजकर 09 मिनट है.
13 या 14 किस दिन मनाया जाएगा करवा चौथ पर्व
हिन्दू पंचांग के अनुसर इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 13 अक्तूबर को रात 01:59 से शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन 14 अक्टूबर को देर रात 03:08 पर होगा. बता दें कि हिन्दू धर्म में किसी भी पर्व की तिथि निर्धारित करने के लिए उदया तिथि को ध्यान में रखा जाएगा. इसलिए इस वर्ष करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
चलनी से छन कर शुद्ध हो जाते हैं विचार
व्रत में पूजा के दौरान चलनी से चंद्र दर्शन किया जाता है. फिर उसी चलनी से महिलाएं अपने पति को देखती हैं. मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाते हैं. पति के लिए किया जाना वाला इस व्रत के बारे में संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस में भी लिखा है कि माता-पिता, भाई-बहन, परिवार, मित्र, समुदाय, सास-ससुर, गुरु और स्वजन ये सभी पति के बिना स्त्री को सूर्य से बढ़ कर तपाने वाले हैं. शरीर, धन, घर, पृथ्वी, नगर और राज्य पति के बिना यह सब स्त्री के लिए शोक का समाज है.
बन रहा ग्रहों का विशेष संंयोग
वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस समय शनि, बुध और गुरु अपनी स्वराशि में स्थित हैं. सूर्य और बुध भी एक साथ विराजमान हैं. जिससे बुधादित्य योग का भी निर्माण हो रहा है. वहीं लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण भी हो रहा है. इस योग के बनने से पति-पत्नी का आपसी संबंध और विश्वास मजबूत होगा। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे. जिससे की गई प्रार्थना शीघ्र स्वीकार होगी.
करवा चौथ पर चांद की होती है विशेष पूजा
करवा चौथ पर चांद निकलने के बाद चंद्रमा की पूजा की जाती है. इस दौरान महिलाएं छलनी में एक दीपक जलाकर रखती हैं. दीपक रखी हुई छलनी में से चंद्रमा को देखकर जल अर्पित किया जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद उस छलनी से पति का चेहरा देखने की परंपरा है. इसके बाद अपने घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं. सभी महिलाएं करवा चौथ के दिन बड़ी ही बेसब्री से चांद निकलने का इंतजार करती हैं. सभी शहरों में चंद्रोदय होने का समय अलग-अलग होता हैं.
करवा चौथ चंद्रोदय का समय
करवा चौथ के दिन यानि 13 अक्टूबर को चंद्रोदय रात 08 बजकर 19 मिनट पर होगा. इस दिन पूजा करने का शुभ समय शाम 06 बजकर 01 मिनट से लेकर 07 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
Karwa Chauth Katha: जानिए कथा सुनने का मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार इस दिन करवाचौथ की कथा सुनने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि अगर करवा चौथ की पौराणिक कथा महिलाएं नहीं सुनें, तो व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. इसलिए कथा का शुभ मुहूर्त इस दिन दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से लेकर 12 बजकर 49 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहने वाला है. इस समय कथा सुनना मंगलकारी रहेगा. कथा से पहले पूजा की थाली जरूर सजा लें.
जानिए शुभ मुहूर्त
रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा की पूजा करना शुभ फलदायी माना गया है. आपको बता दें कि वैदिक पंचाग के अनुसार करवाचौथ के दिन शाम में रोहिणी नक्षत्र 6 बजकर 41 मिनट पर आरंभ हो रहा है. इसलिए इस समय के बाद ही पूजा करना शुभ रहेगा. जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है या चंद्रमा नीच राशि में विराजमान हैं, वो लोग भी इस नक्षत्र में चंद्रमा की विशेष पूजा कर सकते हैं.
जानें क्या होती है सरगी
करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है. व्रत आरंभ करने से पहले बहू सास की ओर से भेंट में दी गई सरगी का सामान खाती है. इसमें फल से लेकर सूखे मेवे आदि जरूरी चीजें होती हैं. इन्हें खाने से पूरे दिन व्रत में थकान नहीं लगती है और भूख प्यास से बेचैनी नहीं लगती है. आमतौर पर सरगी की प्रथा पंजाबी समुदाय में ज्यादा प्रचलन में है, लेकिन अब इसे दूसरे लोग भी अपनाते हैं. सरगी एक तरह से व्रत के लिए सास की ओर से दिया गया आशीर्वाद होता है.
करवा चौथ मंत्र
श्रीगणेश का मंत्र - ॐ गणेशाय नमः
शिव का मंत्र - ॐ नमः शिवाय
पार्वतीजी का मंत्र - ॐ शिवायै नमः
स्वामी कार्तिकेय का मंत्र - ॐ षण्मुखाय नमः
चंद्रमा का पूजन मंत्र - ॐ सोमाय नमः
'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
करवा चौथ के दिन बन रहा शुभ योग
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 54 मिनट से सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 तक
अमृत काल: शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक
Karwa Chauth 2022: सरगी खाने का है विशेष महत्व
करवा चौथ व्रत में सरगी खाने का भी विशेष महत्व है. खासतौर पर पंजाबी समुदाय में सास अपनी बहुओं को सरगी देती हैं जिसे सुर्योदय से पूर्व खाया जाता है. सरगी सुबह यानी सूर्योदय से पहले 4 से 5 बजे के बीच ग्रहण करना उत्तम माना गया है.
13 या 14 किस दिन मनाया जाएगा करवा चौथ पर्व (Karwa Chauth on 13 or 14 October)
हिन्दू पंचांग के अनुसर इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 13 अक्तूबर को रात 01:59 से शुरू हो जाएगी और इस तिथि का समापन 14 अक्टूबर को देर रात 03:08 पर होगा. बता दें कि हिन्दू धर्म में किसी भी पर्व की तिथि निर्धारित करने के लिए उदया तिथि को ध्यान में रखा जाएगा. इसलिए इस वर्ष करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
चलनी से छन कर शुद्ध हो जाते हैं विचार
व्रत में पूजा के दौरान चलनी से चंद्र दर्शन किया जाता है. फिर उसी चलनी से महिलाएं अपने पति को देखती हैं. मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाते हैं. पति के लिए किया जाना वाला इस व्रत के बारे में संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस में भी लिखा है कि माता-पिता, भाई-बहन, परिवार, मित्र, समुदाय, सास-ससुर, गुरु और स्वजन ये सभी पति के बिना स्त्री को सूर्य से बढ़ कर तपाने वाले हैं. शरीर, धन, घर, पृथ्वी, नगर और राज्य पति के बिना यह सब स्त्री के लिए शोक का समाज है.
करवा चौथ 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखते हैं. इस साल कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर, गुरुवार की रात 1 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 14 अक्टूबर की रात 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी. उदिया तिथि के चलते करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जाएगा.
क्यों खाना जरूरी है करवा चौथ की सरगी?
करवा चौथ की सरगी सास अपनी बहू को देती है और इसके जरिए वो बहुत को हमेशा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती है. सरगी की थाली में 16 श्रृंगार की सारी चीजों के अलावा मिठाइयां, फल, ड्राइ फ्रूट्स, दूध, दही आदि होते हैं. इन चीजों को खाकर करवा चौथ का व्रत शुरू किया जाता है और फिर रात को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर ही व्रत खोला जाता है. इसलिए सरगी जरूर खाना चाहिए और सास का आशीर्वाद भी लेना चाहिए. यदि सास न हों तो जेठानी या बहन भी सरगी दे सकती है.
क्या होती है सरगी?
करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है. व्रत आरंभ करने से पहले बहू सास की ओर से भेंट में दी गई सरगी का सामान खाती है. इसमें फल से लेकर सूखे मेवे आदि जरूरी चीजें होती हैं. इन्हें खाने से पूरे दिन व्रत में थकान नहीं लगती है और भूख प्यास से बेचैनी नहीं लगती है. आमतौर पर सरगी की प्रथा पंजाबी समुदाय में ज्यादा प्रचलन में है, लेकिन अब इसे दूसरे लोग भी अपनाते हैं. सरगी एक तरह से व्रत के लिए सास की ओर से दिया गया आशीर्वाद होता है.
करवा चौथ के मंत्र
श्रीगणेश का मंत्र - ॐ गणेशाय नमः
शिव का मंत्र - ॐ नमः शिवाय
पार्वतीजी का मंत्र - ॐ शिवायै नमः
स्वामी कार्तिकेय का मंत्र - ॐ षण्मुखाय नमः
चंद्रमा का पूजन मंत्र - ॐ सोमाय नमः
'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'
करवा चौथ पर लाल रंग के कपड़े पहनना माना जाता है शुभ
करवा चौथ के दौरान लाल रंग शुभ माना जाता है, वहीं विवाहित महिलाओं को अपने कपड़ों के लिए काले या सफेद रंगों से बचना चाहिए. इस विशेष अवसर पर जो अन्य रंग पहन सकते हैं वे हैं पीले, हरे, गुलाबी और नारंगी, अन्य रंगों से बचने की सलाह दी जाती है.
करवा चौथ शुभ मुहूर्त और योग, चांद निकलने का समय
इस साल चतुर्थी तिथि 13 अक्टूबर, गुरुवार को रात 01 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रहा है और 14 अक्टूबर को रात 03 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो रहा है. चूंकि उदयातिथि 13 अक्टूबर को है इसलिए करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को ही रखा जायेगा.
करवा चौथ 2022 पूजा मुहूर्त - शाम 06 बजकर 17 मिनट से शाम 07 बजकर 31 मिनट तक.
कुल अवधि - 01 घण्टा 13 मिनट है.
करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06 बजकर 32 मिनट से रात 08 बजकर 48 मिनट तक है.
करवा चौथ 2022 चन्द्रोदय का समय - 08:09 मिनट शाम
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 13, 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त - अक्टूबर 14, 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 54 मिनट से सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 तक
अमृत काल: शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक
करवा चौथ पूजा विधि
करवा चौथ का व्रत रख रहीं हैं तो इस दिन सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें.
अब पूजा घर को साफ कर लें.
सास द्वारा दी गई सरगी सुबह सूर्योदय से पहले ग्रहण कर लें.
भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें.
व्रत का पारण रात में चंद्रमा के दर्शन करके, अर्घ्य देकर ही करें.
पूजा के लिए 10 से 13 करवे रखें.
एक थाली में पूजन सामग्री धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि रखें.
चन्द्र उदय से पहले पूजा कर लें.
पूजा के दौरान करवा चौथ कथा जरूर सुनें.
पूजा के बाद छलनी से चन्द्र दर्शन करें. अर्घ्य देकर चन्द्रमा की पूजा करें.
अब अपनी सास का आशीर्वाद लें.
पति के हाथों से पानी पी कर व्रत का पारण करें.
करवा चौथ 2022 सरगी खाने का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ व्रत में सरगी खाने का भी विशेष महत्व है. खासतौर पर पंजाबी समुदाय में सास अपनी बहुओं को सरगी देती हैं जिसे सुर्योदय से पूर्व खाया जाता है. सरगी सुबह यानी सूर्योदय से पहले 4 से 5 बजे के बीच ग्रहण करना उत्तम माना गया है.
करवा चौथ व्रत तारीख, शुभ मुहूर्त, चांद निकलने का समय
करवा चौथ का व्रत: 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार को है.
करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ समय: 13 अक्टूबर 2022, गुरुवार शाम 05:54 से 07:09 बजे
चंद्रोदय का समय: 08:09 बजे
करवा चौथ 2022 शुभ योग
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 54 मिनट से सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 तक
अमृत काल: शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट तक