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चन्द्रमा को विशेष अर्घ्य कैसे दें?
यदि पति-पत्नी के बीच अनावश्यक विवाद उत्पन्न होता है, तो जल में अनेक सफेद फूल डालकर चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित करें. यदि पति-पत्नी के बीच प्रेम की कमी महसूस हो रही है, तो जल में सफेद चंदन और पीले फूल मिलाकर अर्घ्य दें. यदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आ रही हैं, तो पति-पत्नी को मिलकर चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. जल में थोड़ी मात्रा में दूध और अक्षत अवश्य मिलाएं. यदि नौकरी या अन्य कारणों से पति-पत्नी के बीच दूरी बढ़ गई है, तो शंख से जल अर्पित करें और उसमें थोड़ा इत्र भी मिलाएं.
जानें मिट्टी के करवे से चांद को अर्घ्य देने का महत्व
आज, 20 अक्टूबर को, पूरे भारत में करवा चौथ का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. व्रत खोलने से पूर्व, महिलाएं रात के समय चांद को मिट्टी के करवे से अर्घ्य अर्पित करती हैं.
उत्तराखंड के देहरादून में महिलाएं
करवा चौथ के अवसर पर भजन गाकर पूजा की रस्में पूरी करती हैं।
उत्तराखंड के देहरादून में महिलाएं
करवा चौथ के अवसर पर भजन गाकर पूजा की रस्में पूरी करती हैं.
महाभारत में करवा चौथ की कथा
करवा चौथ की यह कहानी द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को सुनाई थी. उन्होंने बताया कि यह कथा भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी, जिसमें एक ब्राह्मण की पुत्री के सात भाई थे. जब वह पुत्री अपने मायके आती है, तो करवा चौथ का व्रत रखती है. लेकिन जब उसके भाई अपनी बहन को भूखा और प्यासा देखते हैं, तो वे चिंतित हो जाते हैं और मिलकर अपनी बहन को एक नकली चाँद दिखा देते हैं.
पति-पत्नी के बीच प्रेम को बढ़ाने के लिए कुछ उपाय
करवा चौथ की रात पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें और एक लोटे में जल लेकर उसमें सफेद चंदन मिलाएं. फिर, नजर नीचे रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें. इसके पश्चात, शिवजी का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का जप करें: "ॐ उमामहेश्वराभ्याम नमः". मंत्र का जप करने के बाद, अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम की वृद्धि के लिए प्रार्थना करें.
करवा चौथ के अवसर पर इन बातों का ध्यान रखें
करवा चौथ के दिन महिलाओं को 16 श्रृंगार करना आवश्यक है. विवाहित महिलाओं को इस दिन सामूहिक रूप से पूजा करनी चाहिए. गणेश जी और करवा माता की पूजा का आयोजन करें। चंद्रोदय के पश्चात विधिपूर्वक पूजा करने के बाद ही भोजन का सेवन करें.
Karwa Mata Aarti: करवा चौथ आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया.
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी.
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी..
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती.
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे.
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे.
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया.
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
चंद्र दर्शन के नियम और प्रक्रिया
करवा चौथ की रात को चंद्रमा के उदय के समय अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इसके पश्चात, एक छलनी में दीपक रखकर पहले चंद्रमा और फिर पति के चेहरे को देखने की परंपरा है. इसके बाद, पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण किया जाता है. यह ध्यान रखना आवश्यक है कि चंद्र दर्शन किए बिना व्रत का पारण नहीं किया जा सकता. छत या आंगन से चंद्रमा के दर्शन के बाद ही उपरोक्त प्रक्रिया के अनुसार व्रत खोला जाता है.
करवा चौथ की पूजा का समय क्या है?
करवा चौथ के अवसर पर सबसे पहले गौरी और गणेश की पूजा की जाती है. इसके पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है. इस वर्ष करवा चौथ की पूजा का मुहूर्त शाम 05:45 बजे से लेकर शाम 07:01 बजे तक निर्धारित किया गया है.
ये महिलाएं करवा चौथ का व्रत न रखें
करवा चौथ का व्रत सभी सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं. हालांकि, कुछ महिलाओं के लिए यह व्रत रखना उचित नहीं है.
करवा चौथ के अवसर पर छलनी में दीया रखने का उद्देश्य
जब चांद को छलनी के माध्यम से देखा जाता है, तब छलनी के अग्रभाग में एक दीया रखा जाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि दीये की ज्योति को पवित्र माना जाता है, जो सभी प्रकार की नकारात्मकता या शाप को समाप्त करने में सहायक होती है.
करवा चौथ पर चांद नहीं दिखे तो ऐसे खोलें व्रत
करवा चौथ के दिन यदि चंद्रमा दृष्टिगोचर नहीं होता है, तो पंचांग में निर्दिष्ट समय के अनुसार चंद्रमा के उदय की दिशा में पूजा करनी चाहिए और चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. इस प्रक्रिया से व्रत पूर्ण हो जाता है और ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता है.
करवा चौथ व्रत की तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर को प्रातः 06:46 बजे प्रारंभ होगी और 21 अक्टूबर को प्रातः 04:16 बजे समाप्त होगी. इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा.
करवा चौथ के दिन विधिपूर्वक पूजा
महिलाएं करवा चौथ के दिन विधिपूर्वक पूजा करने के पश्चात रात को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही भोजन करती हैं. यह व्रत कठिन होता है और इसे सूर्योदय से लेकर रात में चंद्रमा के दर्शन तक अन्न और जल के बिना रखा जाता है.
करवा चौथ पर बन रहा विशेष संयोग
करवा चौथ का दिन अत्यंत शुभ संयोग लेकर आ रहा है. इस अवसर पर कुछ राशियों के जातकों को विशेष लाभ प्राप्त हो सकता है.
करवा चौथ के व्रत के नियम और सावधानियां
करवा चौथ का व्रत केवल विवाहित महिलाओं या जिनका विवाह तय हो चुका है, उन्हें ही करना चाहिए. यह व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक रखा जाता है। इसे निर्जला या विशेष परिस्थितियों में जल के साथ भी किया जा सकता है. व्रत करने वाली महिलाओं को काले या सफेद वस्त्र पहनने से परहेज करना चाहिए. लाल या पीले वस्त्र पहनना उचित रहेगा. इस दिन महिलाओं को पूर्ण श्रंगार और समुचित भोजन अवश्य करना चाहिए.
करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं चौथ माता की पूजा करती हैं
करवा चौथ के अवसर पर चौथ माता की पूजा का अत्यधिक महत्व होता है. महिलाएं अपने करवे में जल भरकर उसे चौथ माता को समर्पित करती हैं.
करवा चौथ की पूजा विधि
पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाएं. इसके ऊपर गौरी माता की प्रतिमा स्थापित करें. साथ ही, करवा, दीपक और अन्य पूजा सामग्री भी रखें. पूजा के दौरान एक कलश को जल से भरकर रखें और उस पर दीपक प्रज्वलित करें. करवा पर रोली, अक्षत, सिंदूर और फूल अर्पित करें. विधिपूर्वक पूजा के बाद करवा चौथ की कथा का श्रवण या पठन करना अत्यंत आवश्यक है.
करवा चौथ के संबंध में पौराणिक मान्यताएं
करवा चौथ के संबंध में पौराणिक मान्यताओं के बारे में बात करें तो इसे भगवान शिव ने माता पार्वती से जोड़कर भी बताया जाता है. इसके बाद महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को यह व्रत रखने की सलाह दी ताकि पांडव सुरक्षित रहें और उनकी आयु बढ़े. तभी से विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत करती आ रही हैं.
करवा चौथ 2024 पर चंद्रोदय का समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ के अवसर पर चंद्रमा का उदय 20 अक्टूबर को शाम 7 बजकर 55 मिनट पर होगा. हालांकि, यह संभव है कि इस वर्ष चंद्रमा कुछ स्थानों पर जल्दी और कुछ स्थानों पर देर से प्रकट हो. ऐसे में आपको प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है.
बाजारों में है अद्भुत चहल-पहल
करवा चौथ के अवसर पर बाजार में अद्भुत चहल-पहल देखने को मिल रही है. रेडीमेड वस्त्रों से लेकर साड़ी की दुकानों, चूड़ियों के बाजार से लेकर ब्यूटी पार्लरों तक महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. इस बार लगभग 22 हजार करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद की जा रही है. व्यापारियों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार अधिक चहल-पहल दिखाई दे रही है.
पूजा थाली में शामिल करें ये भोग
करवा चौथ की रात को विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और चंद्रमा के निकलने पर अर्घ्य अर्पित करें। महादेव को खीर, फल और मिठाई का भोग समर्पित करें. इसके अतिरिक्त, पूजा थाली में सेवइयां, सब्जी और पूरी जैसी अन्य वस्तुओं को भी शामिल किया जा सकता है. ऐसा माना जाता है कि इससे महादेव की कृपा प्राप्त होती है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. भोग लगाने के बाद इन्हीं वस्तुओं से व्रत का पारण करें.
व्रत के समय ध्यान देने योग्य बातें
करवा चौथ के अवसर पर महिलाएं निर्जला व्रत का पालन करती हैं, जो उनके पति की लंबी उम्र के लिए समर्पित होता है. इस व्रत में सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक कोई भी भोजन या पेय ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पूर्व सरगी का सेवन करके की जाती है. यह सरगी सास द्वारा प्रदान की जाती है, जिसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है.
चौथमाता की कथा के श्रवण से मिलेगा ये फायदा
करवा चौथ के अवसर पर चौथमाता की कथा का श्रवण या वाचन करने से सुहागिन महिलाओं का सुहाग सदैव सुरक्षित रहता है. चौथ की कथा सुनने से पति-पत्नी के बीच प्रेम में वृद्धि होती है और उनके वैवाहिक जीवन में शांति तथा समृद्धि का संचार होता है.
करवा चौथ पर करें इनकी पूजा
करवा चौथ के अवसर पर चंद्रोदय से पूर्व भगवान शिव, माता पार्वती, गणेशजी और भगवान कार्तिकेय की पूजा करना अनिवार्य है.
करवा चौथ के दिन जल ग्रहण नहीं करें
करवा चौथ के दिन चांद के दर्शन होने और पूजा संपन्न होने तक जल ग्रहण नहीं करना चाहिए. हालांकि, यदि किसी को स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो, तो वह जल ग्रहण कर सकता है. यदि पत्नी की तबियत ठीक नहीं है, तो पति को व्रत रखना चाहिए.
करवा चौथ पर आटे के दीपक से पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में आटे के दीपक को अत्यंत पवित्र और शुद्ध माना जाता है. वास्तु के अनुसार, आटे के दीपक का उपयोग विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है. करवा चौथ का व्रत पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है, इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आटे के दीपक से पूजा करना शुभ माना जाता है.
करवा चौथ का मुहूर्त
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 20 अक्टूबर को प्रातः 06 बजकर 46 मिनट पर हुआ है. इसका समापन 21 अक्टूबर को प्रातः 04 बजकर 16 मिनट पर होगा. इस प्रकार, करवा चौथ का व्रत आज, अर्थात 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है.
करवा चौथ पूजन सामग्री
लकड़ी का आसान,देसी घी, पान, सींक, कलश, हल्दी, रोली ,मौली ,मिठाई ,छन्नी ,लोटे में भरने के लिए चावल ,दान की सामग्री ,अक्षत ,चंदन ,फल ,पीली मिट्टी ,फूल ,मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन और करवा चौथ व्रत कथा किताब.