Karwa Chauth Vrat Katha & aarti: आज करवा चौथ का व्रत है. इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. व्रत के दौरान दुल्हन की तरह सजती और सवरती है. इस दिन 16 शृंगार करने की मान्यता है. कारवा चौथ का व्रत दांपत्य जीवन में मधुरता लाने वाला और संबंधों को अधिक मजबूत बनाता है. करवा चौथ का पर्व आज है, यानि 4 नवंबर दिन बुधवार को है. सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है. शाम को चांद को अर्घ्य देकर और छलनी से पति का चेहरा देखकर व्रत तोड़ेंगी. वहीं कुंवारी कन्याएं मनोनुकूल पति की प्राप्ति के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखकर तारों को देखेंगी फिर व्रत खोलेंगी. मान्यता है कि कारवा चौथ की व्रत रखने वाली महिलाएं जब तक ये कथा नहीं सुनती है तो यह पूजा अधूरी मानी जाती है…
मान्यता है कि देवी करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थीं. एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए तो एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया और नदी में खींच ले गया. मृत्यु करीब देखकर करवा के पति करवा को पुकारने लगे. करवा दौड़कर नदी के पास पहुंचीं और पति को मृत्यु के मुंह में ले जाते मगर को देखा. करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व के कारण मगरमच्छा कच्चे धागे में ऐसा बंधा की टस से मस नहीं हो पा रहा था. करवा के पति और मगरमच्छ दोनों के प्राण संकट में फंसे थे.
करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा. यमराज ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु शेष है और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है. क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा, अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मैं आपको श्राप दे दूंगी. सती के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवनदान दिया, इसलिए करवाचौथ के व्रत में सुहागन स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती हैं कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मृत्यु के मुंह से वापस निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना.
करवा माता की तरह सावित्री ने भी कच्चे धागे से अपने पति को वट वृक्ष के नीचे लपेट कर रख था. कच्चे धागे में लिपटा प्रेम और विश्वास ऐसा था कि यमराज सावित्री के पति के प्राण अपने साथ लेकर नहीं जा सके. सावित्री के पति के प्राण को यमराज को लौटाना पड़ा और सावित्री को वरदान देना पड़ा कि उनका सुहाग हमेशा बना रहेगा और लंबे समय तक दोनों साथ रहेंगे.
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।