Kharmas 2024 Date: खरमास 14 मार्च से शुरू हो रहा है, इसके साथ ही शुभ कार्य पर विराम लग जायेगा. फिर 13 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि मे पवेश करने के बाद खरमास समाप्त हो जायेगा. खरमास में पितृ पिंडदान का खास महत्व है. खरमास मे भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-पाठ करने से वे अत्यंत प्रसन्न होते है. ज्योतिषाचार्य ने पंचागो के हवाले से बताया कि फाल्गुन शुक्ल चतुर्थ के बाद पंचमी 14 मार्च यानी दिन गुरुवार की दोपहर 2 बजकर 37 मिनट पर सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि मे पवेश करेंगे.
सूर्य संक्रांति से खरमास
सूर्य के मीन राशि में पवेश के साथ ही खरमास शुरू हो जायेगा. सूर्य ही संक्रांति और लग के राजा माने जाते है, इनकी राशि का परिवर्तन ही खरमास का द्योतक है. इसके बाद चैत शुक्ल पंचमी 13 अप्रैल की देर रात 11 बजकर 19 मिनट पर सूर्य का मेष राशि में गोचर करने से खरमास खत्म हो जायेगा. ज्योतिषीय गणना के अनुसार जुलाई मास में शुक्र के उदय होने के बाद शादी-ब्याह का सिलसिला शुरू हो जायेगा. मिथिला पंचांग के अनुसार जुलाई मे तीन तो बनारसी पंचांग के अनुसार विवाह के सात लग-मुहूर्त है. फिर चातुर्मास लगने से चार मास के लिए शहनाई की गूंज पर रोक लग जायेगी.
मिथिला पंचांग के अनुसार अप्रैल: 18, 19, 21, 25, 26, 28
मई: 1
जलाई: 10, 11, 12
बनारसी पंचांग के मुताबिक
अप्रैल: 18, 20, 21, 22, 23, 25, 26
जलाई: 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15
खरमास में भूलकर भी नहीं करें ये काम
खरमास के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक यानी शादी-विवाह, मुंडन, छेदन जैसे 16 संस्कारों को करने की मनाही होती है, इसके साथ ही गृह प्रवेश, नई दुकान, घर बनाने की शुरुआत, सगाई आदि नहीं करनी चाहिए. खरमास के दौरान नया वाहन, सोना, चांदी आदि की खरीदारी नहीं करनी चाहिए, इससे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है. खरमास के दौरान मांस, मदिरा के अलावा लहसुन-प्याज आदि तामसिक भोजन करने की मनाही होती है. वहीं खरमास में घर से बेटी की विदाई नहीं करना चाहिए, इसलिए खरमास आरंभ होने से पहले या फिर समाप्त होने के बाद ही विदाई करें.