पटना की रक्षिका हैं भगवती पटनेश्वरी, धरती से निकलने के आज भी हैं यहां निशान

बिहार की राजधानी पटना में स्थित है देवी का पटन देवी patan devi मंदिर जिसे शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यह पटना के गुलजारबाग क्षेत्र में स्थित है. बड़ी पटन देवी मंदिर भी शक्तिपीठों में से एक है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ,दक्ष प्रजापति की पुत्री सती अपने ही पिता द्वारा कराए गए यज्ञ में पति के अपमान को सहन न करते हुए उसी यज्ञ बेदी में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. महादेव इससे गुस्से में लाल होकर सती के मृत शरीर को हाथों में लेकर तांडव करने लगे थे. शिव को शांत कराने विष्णु ने सती के शरीर पर सुदर्शन चला दिया था. जिससे सती के शरीर के 51 खंड हुए. ये अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित की गई.देवी भागवत और तंत्र चूड़ामणि के अनुसार, यहां सती की दाहिनी जांघ गिरी थी.पटनदेवी की पूजा आदिकाल से होती आ रही है. ऐसा माना जाता है कि आम दिनों में पूजा करने के अलावा यहां किसी तरह के मांगलिक कार्य को पूरा होने के बाद जरूर जाना चाहिए.यहां की आरती दर्शन से देवी विशेष कृपा करती है.

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 28, 2020 10:48 AM

बिहार की राजधानी पटना में स्थित है देवी का पटन देवी patan devi मंदिर जिसे शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यह पटना के गुलजारबाग क्षेत्र में स्थित है. बड़ी पटन देवी मंदिर भी शक्तिपीठों में से एक है.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ,दक्ष प्रजापति की पुत्री सती अपने ही पिता द्वारा कराए गए यज्ञ में पति के अपमान को सहन न करते हुए उसी यज्ञ बेदी में कूदकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी. महादेव इससे गुस्से में लाल होकर सती के मृत शरीर को हाथों में लेकर तांडव करने लगे थे. शिव को शांत कराने विष्णु ने सती के शरीर पर सुदर्शन चला दिया था. जिससे सती के शरीर के 51 खंड हुए. ये अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित की गई.देवी भागवत और तंत्र चूड़ामणि के अनुसार, यहां सती की दाहिनी जांघ गिरी थी.पटनदेवी की पूजा आदिकाल से होती आ रही है. ऐसा माना जाता है कि आम दिनों में पूजा करने के अलावा यहां किसी तरह के मांगलिक कार्य को पूरा होने के बाद जरूर जाना चाहिए.यहां की आरती दर्शन से देवी विशेष कृपा करती है.

सती के 51 शक्तिपीठों में प्रमुख इस उपासना स्थल में माता की तीन स्वरूपों वाली प्रतिमाएं विराजित हैं. पटन देवी भी दो हैं- छोटी पटन देवी और बड़ी पटन देवी, दोनों के अलग-अलग मंदिर हैं.पटना की नगर रक्षिका भगवती पटनेश्वरी को कहा जाता है जो छोटी पटन देवी के नाम से भी जानी जाती हैं. यहां मंदिर परिसर में मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की भी मूर्तियां हैं.इस मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसे ‘पटनदेवी खंदा’ के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इसी गड्ढे से निकालकर देवी की तीन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया था. भक्त भारी संख्यां में दर्शन के लिए यहां आते हैं. मंदिर परिसर में ही एक योनिकुंड है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें डाली जाने वाली हवन सामग्री भूगर्भ में चली जाती है.

यहां वैदिक और तांत्रिक दोनो विधि से पूजा होती है :

वैदिक पूजा सार्वजनिक होती है और अधिक समय तक चलती है जबकि तांत्रिक पूजा मात्र आठ से दस मिनट की ही होती है. विधान के अनुसार, तांत्रिक पूजा के समय भगवती का पट बंद रहता है.बताया जाता है कि यह मंदिर कालिक मंत्र की सिद्धि के लिए काफी प्रसिद्ध है. ऐसा माना जाता है कि माता स्वयं यहां से नगर भ्रमण पर निकलती हैं और नगर की रक्षा करती हैं. यहां का एक आश्चर्य यह भी है कि हवन कुंड से उठने वाली ज्वाला शांत होने के बाद विभूति हवन कुंड में ही समा जाती है.

कैसे पहुंचे छोटी पटन देवी शक्ति पीठ :

पटना के अशोक राज पथ से आने पर चौक थाना क्षेत्र के हाजीगंज से संपर्क पथ से 100 फीट अंदर गली में जाने पर श्रद्धालु मंदिर पहुंच सकते हैं. पटना साहिब स्टेशन से चौकशिकारपुर, मंगलतालाब मोड़ पहुंचकर कालीस्थान रोड होते हुए छोटी पटनदेवी पहुंचने का मार्ग है.

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