Kumbh Sankranti 2021: सूर्य देव 12 फरवरी दिन शुक्रवार को मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इस राशि में सूर्य 14 मार्च 2021 तक स्थित रहेंगे. इसके बाद मीन राशि में जाएंगे. इसका असर मानव जीवन पर सीधे पड़ता है. कुंभ शनि ग्रह की राशि है. जबकि शनि और सूर्य में शत्रुता का भाव है. सूर्य सिंह राशि के स्वामी है. सूर्य एक राशि में लगभग एक माह तक उसी राशि में रहते है. सूर्य को ऊर्जा का कारक माना जाता है.
सूर्य देव को एक प्रभावी ग्रह माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो भी ग्रह सूर्य के करीब आते है उन्हें अस्त माना जाता है. उनका अपना कोई प्रभाव नहीं रह जाता है. वहीं, बुध के करीब आने पर बुधादित्य योग बनता है. जिसे बेहद शुभ माना जाता है. माना जाता है कि क्रूर ग्रह जब सूर्य के पास आते है तो निगेटिव प्रभाव छोड़ते है, अन्यथा सूर्य मानव जीवन पर शुभ प्रभाव डालते है…
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिंदू धर्म के सभी देवी देवता पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. ऐसे में इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना बेहद विशेष माना जाता है. यदि आप भी कुंभ संक्रांति पर्व पर पूजा अर्चना करना चाहते हैं तो पूजा के दौरान मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें.
कुम्भ संक्रान्ति का पुण्य काल मुहूर्त 12 फरवरी दिन शुक्रवार को
कुम्भ संक्रान्ति का पुण्य काल 12 फरवरी की दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 9 मिनट तक
अवधि- 05 घंटे 34 मिनट
कुम्भ संक्रान्ति का महा पुण्य काल- शाम 4 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 9 मिनट तक
अवधि- 01 घंटा 51 मिनट
कुम्भ संक्रान्ति का क्षण- रात 9 बजकर 27 मिनट पर
सूर्य 12 फरवरी को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के इस राशि परिवर्तन का असर कुंभ राशि वालों पर कुछ अधिक पड़ेगा. सूर्य के राशि परिवर्तन करने से कुंभ राशि के जातकों के जीवन में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे. वहीं, उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. कुंभ राशि के जातक इस समय अपनी सेहत का ध्यान रखें.
इस गोचर काल के दौरान इस राशि के जातक क्रोधी हो सकते हैं. आप पैसे बचाएंगे और कभी-कभी आवश्यक चीजों पर भी खर्च नहीं कर पाएंगे. इस दौरान आप बहुत भावुक होंगे. हमेशा दूसरों की भलाई के बारे में सोचेंगे, जिसकी वजह से लोग आपको पसंद करेंगे. कार्यक्षेत्र में आप एक टीम के अच्छे खिलाड़ी की तरह काम करेंगे, यदि आप आधिकारिक स्थिति में काम करते हैं, तो आप सफल होंगे.
कुंभ संक्रांति का विशेष महत्व है. मान्यता है कि पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी तिथि अधिक कुंभ संक्रांति का महत्व है. इस दिन स्नान का महत्व अत्याधिक होता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कुंभ संक्रांति पर्व पर अगर स्नान किया जाए तो व्यक्ति को ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है. देवी पुराण के अनुसार अगर संक्रांति के दिन कोई स्नान नहीं करता है तो वो कईं जन्मों तक दरिद्र रहता है. इस दिन दान-पुण्य का महत्व भी बहुत ज्यादा होता है. वंचितों और गरीबों को विशेष रूप से दान देना चाहिए.
Posted by: Radheshyam Kushwaha