इस दिन मनाई जाएगी कुंभ संक्रांति, इस दिन गायत्री मंत्र का जप करने से मिलेगा जाप

Kumbh Sankranti 2025: ग्रहों के अधिपति सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे संक्रांति कहा जाता है. माघ मास में आने वाली संक्रांति को कुम्भ संक्रांति के नाम से जाना जाता है. माघ महीने की संक्रांति का विशेष महत्व है क्योंकि इसे पुण्यकाल, स्नान और दान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी दिन से महाकुंभ के धार्मिक अनुष्ठान भी आरंभ होते हैं. आइए, माघ संक्रांति की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में जानें.

By Shaurya Punj | January 22, 2025 5:35 PM
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Kumbh Sankranti 2025: ग्रहों के अधिपति सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे संक्रांति कहा जाता है. माघ मास में आने वाली संक्रांति को कुम्भ संक्रांति के नाम से जाना जाता है. माघ महीने की संक्रांति का विशेष महत्व है क्योंकि इसे पुण्यकाल, स्नान और दान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी दिन से महाकुंभ के धार्मिक अनुष्ठान भी आरंभ होते हैं. आइए, माघ संक्रांति की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में जानें

कुंभ संक्रांति का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आत्मा के प्रतीक सूर्य देव 12 फरवरी की रात 09 बजकर 56 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. वर्तमान में सूर्य देव मकर राशि में स्थित हैं. मकर राशि में गोचर की तिथि पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. 12 फरवरी को सूर्य देव मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद, सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में गोचर करेंगे. इससे पहले, सूर्य देव 19 फरवरी को शतभिषा और 04 मार्च को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे.

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कुंभ संक्रांति शुभ योग

कुंभ संक्रांति के अवसर पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है. इसके साथ ही अश्लेषा और मघा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है, साथ ही शिववास योग का भी संयोग है. इन योगों में सूर्य देव की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होगी, इस तिथि पर पितरों की पूजा (तर्पण) भी की जा सकती है.

कुंभ संक्रांति के दिन किए जाने वाले कार्यों का पुण्य प्राप्त करने में विशेष महत्व है. इस दिन पवित्र नदियों, जैसे गंगा और यमुन में स्नान करने की परंपरा है, जो शुद्धि और पुण्य का प्रतीक मानी जाती है.

कुंभ संक्रांति पर दान का महत्व

इस दिन दान का भी विशेष महत्व है. तिल, गुड़, रेवड़ी, वस्त्र, या अन्य दान योग्य वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है. यह दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान देने के लिए सर्वोत्तम है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. कुंभ संक्रांति के अवसर पर गायत्री मंत्र का जप करने से भी लाभ होता है.

कुंभ संक्रांति पर जल अर्पण

यह दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने का भी है. सूर्योदय के समय सूर्यदेव को जल अर्पित करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें.

कुंभ संक्रांति पूजा विधि

  • कुंभ संक्रांति के दिन प्रातःकाल उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए.
  • जो लोग स्नान के लिए नहीं जा सकते, वे घर पर स्नान के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान कर सकते हैं.
  • साफ और पीले रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि पीला रंग सूर्य का प्रतीक माना जाता है. सूर्य देव को जल अर्पित करें और साथ ही सूर्य मंत्रों का जाप करें, जैसे कि ॐ सूर्य देवः नमः.
  • इस दिन गरीबों को दान करें और उन्हें भोजन कराएं, जिससे आपके आर्थिक जीवन में वृद्धि होगी और सूर्य ग्रह मजबूत होगा.
  • कुंभ संक्रांति के अवसर पर गायों को चारा खिलाना न भूलें, साथ ही उन्हें स्नान कराकर पीले वस्त्रों का दान करें और उन्हें पीले अनाज का भोग अर्पित करें.
  • धार्मिक स्थलों पर दर्शन करने का प्रयास करें और अपने कुल देवी-देवता तथा गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करें.
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