Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ एक श्रेष्ठ कर्म है जो साधकों को अपने आत्मा के उन्नति और ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है. यह एक सकाम कर्म है, जिसमें व्यक्ति फल की आकांक्षा नहीं रखता है, बल्कि उसका मुख्य उद्देश्य ईश्वर के प्रति भक्ति, आत्मा के शुद्धिकरण और सामाजिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए सहायता करना है. वेदों में लगभग 400 प्रकार के अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है, इनमें से केवल 21 को अनिवार्य माना गया है और उन्हें ‘नित्यकर्म’ कहा गया है. बाकी ‘काम्य कर्म’ हैं, जो इच्छाओं की पूर्ति के लिए किए जाते हैं.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 1 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.07.53](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.07.53-1024x603.jpeg)
अग्नि होत्रम, अतिवृष्टि रोकने के लिए यज्ञ, अश्वमेघ यज्ञ, आग्रजणष्टि (नवान्न यज्ञ), एकाह यज्ञ, गणेश यज्ञ, गोयज्ञ, चातुर्म स्यानि, चातुर्मास्य यज्ञ, दर्शपूर्ण मासौ यज्ञ, दर्शभूर्णमास यज्ञ, दूर्गा यज्ञ, नवग्रह महायज्ञ, पर्जन्य यज्ञ (इन्द्र यज्ञ), पशु यज्ञ, पशुयांग, पुरूष मेघयज्ञ, ब्रह्म यज्ञ (प्रजापति यज्ञ), यज्ञ एवम उसके प्रकार, राजसूय यज्ञ, राम यज्ञ, रूद्र यज्ञ, लक्ष्मी नारायण महायज्ञ, लक्ष्मी यज्ञ, वाजपये यज्ञ, विश्वशांति महायज्ञ, विष्णु यज्ञ, शिव शक्ति महायज्ञ, श्रोताधान यज्ञ, सर्वमेघ यज्ञ, सूर्य यज्ञ, सोम यज्ञ, सोमयज्ञ, सौतामणी यज्ञ (पशुयज्ञ), स्मार्त यज्ञ, हरिहर यज्ञ शास्त्रों में वर्णित है.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 2 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.07.26](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.07.26-1024x592.jpeg)
यज्ञ एवम उसके प्रकार
यज्ञ का तात्पर्य है- त्याग, बलिदान, शुभ कर्म. अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान सुगंधित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित किया जाता है. वायु शोधन से सबको आरोग्यवर्धक सांस लेने का अवसर मिलता है. हवन हुए पदार्थ् वायुभूत होकर प्राणिमात्र को प्राप्त होते हैं और स्वास्थ्यवर्धन, रोग निवारण में सहायक होते हैं. यज्ञ काल में उच्चरित वेद मंत्रों की पुनीत शब्द ध्वनि आकाश में व्याप्त होकर लोगों के अंतःकरण को सात्विक एवं शुद्ध बनाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्त्व वायुमण्डल में फैलाये जाते हैं, उनसे हवा में घूमते असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 3 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.09.34](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.09.34-1024x639.jpeg)
यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां?
धर्म शास्त्रों के अनुसार यज्ञ की रचना सर्वप्रथम परमपिता ब्रह्मा ने की. यज्ञ का संपूर्ण वर्णन वेदों में मिलता है. धर्म ग्रंथों में अग्नि को ईश्वर का मुख माना गया है, इसमें जो कुछ खिलाया जाता है, उसे आहूति कहने है. वास्तव में यह ब्रह्मभोज है. यज्ञ के मुख में आहूति डालना, परमात्मा को भोजन कराना है. नि:संदेह यज्ञ में देवताओं की आवभगत होती है. यज्ञ का दूसरा नाम अग्नि पूजा है. यज्ञ से देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है . जिससे मनचाहा फल प्राप्त किया जा सकता है.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 4 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.10.45](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.10.45-1024x598.jpeg)
धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने मनुष्य के साथ ही यज्ञ की भी रचना की और मनुष्य से कहा इस यज्ञ के द्वारा ही तुम्हारी उन्नति होगी. यज्ञ तुम्हारी इच्छित कामनाओं, आवश्यकताओं को पूर्ण करेगा. तुम यज्ञ के द्वारा देवताओं को पुष्ट करो, वे तुम्हारी उन्नति करेंगे. धर्म ग्रंथों में अग्नि को ईश्वर का मुख माना गया है. यज्ञ के मुख में आहूति डालना, परमात्मा को भोजन कराना है. नि:संदेह यज्ञ में देवताओं की आवभगत होती है.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 5 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.11.58](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.11.58-1024x569.jpeg)
लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व
लक्ष्मीनारायाणा का मतलब भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी होता है. लक्ष्मी नारायण महायज्ञ आपको भौतिक संपदा और प्रचुरता का आह्वान करने में मदद करता है. देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु (नारायण) की पत्नी हैं, और उनकी प्रार्थना करने से भक्तों को धन और समृद्धि मिल सकती है. वित्तीय कठिनाइयों, ऋण और रिश्ते के मुद्दों पर काबू पाने में मदद पाने के लिए कोई भी व्यक्ति इस यज्ञ को कर सकता है.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 6 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.20.43](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.20.43-1024x844.jpeg)
यह यज्ञ या होम दिव्य युगल देवी लक्ष्मी और भगवान नारायण (भगवान विष्णु) के सम्मान में किया जाता है, जो एक साथ धन और समृद्धि का प्रतीक हैं. इस मिलन का सामंजस्य यज्ञ को एक विशेष दर्जा प्रदान करता है जो आपके भौतिक और आध्यात्मिक आशीर्वाद को कई गुना बढ़ा सकता है. व्यक्ति को उस देवता के पास पहुंचने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए जो आपको अपने अंतहीन इनाम से नवाज़ा जा सकता है और समृद्धि और भौतिक संपदा का आनंद ले सकता है.
![Lakshmi Narayan Yagya: यज्ञ कितने प्रकार के होते हैं, यज्ञ में क्यों दी जाती हैं आहुतियां? जानें लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व 7 Whatsapp Image 2024 04 27 At 12.26.29](https://www.prabhatkhabar.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-27-at-12.26.29.jpeg)
ज्योतिष संबंधित चुनिंदा सवालों के जवाब प्रकाशित किए जाएंगे
यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम शब्दों में अपना प्रश्न radheshyam.kushwaha@prabhatkhabar.in या WhatsApp No- 8109683217 पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर डिजीटल’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रभात खबर डिजीटल के धर्म सेक्शन में प्रकाशित किये जाएंगे.