Loading election data...

बैसाखी की तरह हजारीबाग में अगहनी पर्व मनाने की परंपरा, मां अन्नपूर्णा की पूजा कर चढ़ाते हैं ये प्रसाद

अगहन का महीना आते ही धनकटनी शुरू हो जाती है. गांव का नाया ( गवांट का पुजारी) घनश्याम भुइयां का कहना है कि यहां वर्षों से परंपरा है कि धान काटने से पहले गांव के देवता गवांट में मुर्गे की बलि एवं महुआ शराब का टपान चढ़ाया जाता है. इसके बाद धनकटनी शुरू होती है.

By Guru Swarup Mishra | November 29, 2022 11:05 AM
an image

Jharkhand News: झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड के कर्णपुरा क्षेत्र के बड़कागांव, केरेडारी एवं टंडवा में अगहन का महीना काफी खास है. इस महीने का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. बैसाखी की तरह हजारीबाग के कर्णपुरा क्षेत्र में अगहनी पर्व मनाने की परंपरा है. बड़कागांव के लंगातू में मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है. इसके अलावा लोग अपने-अपने घरों में अगहनी पर्व में रसिया, ढक्कन डाबा, छिलका रोटी बनाकर मां अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना करते हैं और ढक्कन डाबा समेत अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं.

धान काटने से पहले मुर्गे की बलि की परंपरा

अगहन का महीना आते ही धनकटनी शुरू हो जाती है. गांव का नाया ( गवांट का पुजारी) घनश्याम भुइयां का कहना है कि यहां वर्षों से परंपरा है कि धान काटने से पहले गांव के देवता गवांट में मुर्गे की बलि एवं महुआ शराब का टपान चढ़ाया जाता है. इसके बाद धनकटनी शुरू होती है. गवांट की मान्यता शिमल, बरगद, सखुआ के पेड़ में होती है. गवांट की पूजा इन पेड़ों के नीचे की जाती है.

Also Read: Mukhyamantri Rojgar Srijan Yojana: लोन लेकर कर रहे कारोबार, बदल रही जिंदगी, गढ़वा से आए 3,706 आवेदन

इन पकवानों के बनाने की है परंपरा

धान काटने के बाद धान मैसनी होती है. बड़कागांव के जागेश्वर महतो, द्वारका साव, कालेश्वर राम का कहना है कि धान मैसनी के बाद घरों में नया धान के चावल से ढक्कन डाबा रोटी, छिलका रोटी या रसिया गुड़ भात बनाकर मां अन्नपूर्णा पर चढ़ाया जाता है. ढक्कन डाबा, छिलका रोटी व रसिया की खासियत है कि नए धान के चावल में पानी मिलाकर उसे पीस दिया जाता है. इसे मिट्टी के बर्तन में बिना तेल-मसाले के पकाया जाता है. चावल के तरल पदार्थ को तवा में डालकर पत्ता से ढंक कर छिलका रोटी बनायी जाती है. उसके बाद रसिया बनाने के लिए नए चावल को गर्म पानी में डालकर गन्ना के रस या गुड़ डालकर बनाया जाता है. धनकटनी व मैसनी के बाद गाय, बैलों एवं भैंसों से प्रार्थना कर सैस-बरकत (धन) मांगी जाती है.

Also Read: Jharkhand Naxal News: हजारीबाग में नक्सलियों की साजिश नाकाम, जंगल से 20 Kg का केन बम बरामद

रिपोर्ट : संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग

Exit mobile version