इसलिए मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार, यहां से जानें ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यता

Lohri 2025 Date: देश में लोहड़ी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. यह एक प्रसिद्ध पर्व है, जिसे विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में मनाने की परंपरा है. यह पर्व पौष महीने के अंतिम दिन, सूर्यास्त के बाद, मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है.

By Shaurya Punj | January 2, 2025 12:19 PM

Lohri 2025 Date : हर वर्ष जनवरी माह में मकर संक्रांति से पूर्व लोहड़ी का उत्सव मनाया जाता है. यह उत्सव विशेष रूप से सिख समुदाय द्वारा अत्यंत उल्लास के साथ मनाया जाता है. लोहड़ी के दिन लोग संध्या समय आग का अलाव जलाते हैं. अलाव के चारों ओर लोग इकट्ठा होते हैं और अग्निदेव को मूंगफली, खील, चिक्की और गेहूं की बालियां अर्पित करते हैं. आइए जानते हैं कि वर्ष 2024 में लोहड़ी पर्व की सही तिथि, मुहूर्त और इसका महत्व क्या है.

लोहड़ी 2025 की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है. मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का संकेत देती है, जो नई फसल के आगमन और दिन के उजाले के बढ़ने का प्रतीक है. वर्ष 2025 में, लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी, जबकि मकर संक्रांति 14 जनवरी को होगी.

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क्यों मनाई जाती है लोहरी

लोहड़ी के उत्सव का आयोजन विभिन्न मान्यताओं के आधार पर किया जाता है. एक प्रमुख पौराणिक कथा प्रजापति दक्ष और उनकी पुत्री सती से संबंधित है. राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान करते हुए उन्हें यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप माता सती ने अपने पति की अनदेखी से दुखी होकर अग्निकुंड में आत्मदाह कर लिया. इस घटना के बाद से लोहड़ी का पर्व प्राश्चित के रूप में मनाया जाता है. इसी कारण इस अवसर पर विवाहित कन्याओं को घर बुलाकर उनका सम्मान किया जाता है.

रीति-रिवाज और परंपराएं

लोहड़ी के उत्सव के अवसर पर लोग रात के समय खुले स्थान पर लकड़ी, उपलों और फसलों के अवशेषों से एक अग्नि प्रज्वलित करते हैं. यह अग्नि लोहड़ी के पर्व का प्रमुख आकर्षण होती है. लोग अग्नि के चारों ओर एकत्रित होकर उसकी परिक्रमा करते हैं और उसमें तिल, गुड़, मूंगफली, और रेवड़ी अर्पित करते हैं. यह मान्यता है कि अग्नि देवता को अर्पित प्रसाद से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का निवास होता है.

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