Buddha Purnima 2020/baisakhi purnima: भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा को हुआ था, इसलिए वैशाख मास की इस पूर्णिमा को बुद्ध मुर्णिमा (Buddha poornima) कहा जाता है. पूरी दुनिया में महात्मा बुद्ध को सत्य की खोज के लिये जाना जाता है. उन्होंने राजसी ठाठ बाट छोड़कर सात सालों तक सच को जानने के लिये वन में भटकते रहे. उन्होंने उसे पाने के लिये कठोर तपस्या की. भगवान बुद्ध ने सत्य की खोज करने के बाद उस संदेश को पूरी दुनिया में सभी को मानवता का पाठ पढ़ाए, और सृष्टि को समझने की एक नई नजर पैदा किया.
बुद्ध पूर्णिमा का संबंध बुद्ध के साथ केवल जन्म भर का नहीं है, बल्कि इसी पूर्णिमा तिथि को वर्षों वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के बाद बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ. उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति भी वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थी. इसके पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान के प्रकाश से पूरी दुनिया में एक नई रोशनी पैदा की और वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ. कुल मिलाकर जन्म, सत्य का ज्ञान और महापरिनिर्वाण के लिये भगवान गौतम बुद्ध को एक ही दिन हुआ. वैशाख पूर्णिमा के दिन.
भगवान बुद्ध केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये पुजनीय नहीं है बल्कि उत्तरी भारत में गौतम बुद्ध को हिंदुओं में भगवान श्री विष्णु का नौवां अवतार भी माना जाता है. विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण माने जाते हैं. वहीं, दक्षिण भारत में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है. वैशाख पूर्णिमा का दिन बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं द्वारा भी पूरी श्रद्धा व भक्ति के लिये भी बुद्ध पूर्णिमा खास पर्व है. पूरी दुनिया में लगभग 180 करोड़ लोग बुद्ध के अनुयायि हैं.
भारत के साथ साथ चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान जैसे दुनिया के कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है. भारत के बिहार राज्य में स्थित बोद्ध गया बुद्ध के अनुयायियों सहित हिंदुओं के लिये भी पवित्र धार्मिक स्थल है. कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर लगभग एक माह तक मेला लगता है. श्रीलंका जैसे कुछ देशों में इस उस्तव को वेसाक उत्सव के रूप में मनाते हैं. बौद्ध अनुयायी इस दिन अपने घरों में दिये जलाते हैं, फूलों से घर सजाते हैं. प्रार्थनाएं करते हैं, बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ किया जाता है. स्नान-दान का भी वैशाख पूर्णिमा को महत्व माना जाता है.