सलिल पांडेय
मिर्जापुर
आश्विन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) तिथि शनिवार, 28 अक्तूबर को चंद्रग्रहण लग रहा है. यह ग्रहण 28/29 अक्तूबर की रात्रि 1:05 बजे स्पर्श करेगा तथा मध्य 1:44 बजे तथा मोक्ष 2:24 बजे होगा. चंदग्रहण में 9 घंटे पूर्व से सूतककाल शुरू हो जाता है. लिहाजा 28 अक्तूबर को सायं 4:05 बजे से खाना-पीना बंद हो जायेगा. बालक, वृद्ध और रोगी इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे.
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ग्रहणकाल में सूतक के पूर्व खाद्य-सामानों में कुशा, तुलसीपत्र या तिल डालना चाहिए, जिससे पदार्थों में खगोलीय तरंगीय प्रतिकूलताओं का असर नहीं पड़ता.
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गर्भवती माताएं नाभि में गाय का गोबर या एक नारियल रक्षा बांध के अपनी हथेली में लेकर स्पर्श काल से मोक्षकाल तक बैठें. मोक्ष के बाद रात्रि में या दूसरे दिन नदी में प्रवाहित करें.
धर्मग्रंथों के अनुसार, तीर्थ नदियों में स्नान करना चाहिए. खगोलीय प्रभावों का असर बहते हुए जल में लाभप्रद होता है. गंगा स्नान 10 हजार करोड़ गायों के दान के बराबर पुण्यदायी है. ऋषियों ने तन-मन को स्वस्थ और पवित्र करने के इरादों से ही इस प्रकार की व्यवस्था की है. पवित्र नदी में संभव नहीं होने पर कुआं, तालाब, आदि में स्नान कर यथाशक्ति दान भी करें.
27/28 अक्तूबर की रात 3:47 (ब्रह्म मुहूर्त) में पूर्णिमा तिथि लग जायेगी. इस दिन संभव न हो तो 28/29 अक्तूबर को रात्रिकाल मोक्ष 2:24 के बाद ही खीर बनाना चाहिए तथा 6:25 प्रातः सूर्योदय के पूर्व तक रख कर 29 अक्तूबर को दिन में प्रसाद रूप में ग्रहण करना चाहिए.
शुक्लपक्ष में द्वितीया तिथि से लेकर पूर्णिमा तक चंद्र-दर्शन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर है. सिर्फ चतुर्थी तिथि को छोड़कर. इस तिथि का निषेध गोस्वामी तुलसीदास ने ‘..तजऊ चौथ की चन्द्र की नाईं…’ चौपाई में किया है.