इस दिन से शुरू है माघ गुप्त नवरात्र, नोट करें कलश स्थापना का मुहूर्त

Magh Gupt Navratri 2025: गुप्त नवरात्र का व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है, किंतु इसके विषय में जानकारी बहुत कम लोगों के पास होती है. जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, वे नौ दिनों और नौ रातों तक कठोर उपवास रखते हैं और श्रद्धा के साथ देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. जानकारी के लिए यह उल्लेखनीय है कि नवरात्र वर्ष में चार बार मनाए जाते हैं - चैत्र और शारदीय नवरात्र. शेष दो माघ और आषाढ़ के दौरान होते हैं, जिन्हें गुप्त नवरात्र के नाम से जाना जाता है.

By Shaurya Punj | January 16, 2025 10:17 AM
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Magh Gupt Navratri 2025:   माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. वर्ष में कुल चार नवरात्रि का आयोजन होता है, जिनमें दो गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि शामिल हैं. गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जबकि चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना की जाती है. सभी नवरात्रियों की शुरुआत कलश स्थापना से होती है. तांत्रिक और अघोरी गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए साधना करते हैं.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

30 जनवरी 2025 को माघ गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापना का शुभारंभ होगा जो सुबह 9 बजकर 25 मिनट 10 बजकर 46 मिनट तक होगा.वही दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.

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माघ गुप्त नवरात्रि पूजा अर्चना विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
  • पूजा घर की सफाई करें.
  • एक वेदी पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें.
  • कलश स्थापना मुहूर्त के अनुसार करें.
  • देसी घी का दीपक जलाएं और लाल गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें.देवी को लाल फूल चढ़ना शुभ माना गया है.
  • लाल या पिला सिंदूर अर्पित करें.
  • पंचामृत, नारियल चुनरी, फल मिठाई आदि का भोग लगाएं.
  • पूजा का समापन आरती और दुर्गा चालीसा से करें.
  • इस पवित्र अवधि में तामसिक भोजन से दूर रहें.
  • अंत में माता रानी से क्षमा याचन करें.

गुप्ता नवरात्रि मे 10 महाविधियों की पूजा अर्चना की जाती है , जो तांत्रिक, अघोरी गुप्त नवरात्रि मे तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्ति करने के लिए करते है. वही चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजा अर्चना किया जाता है सभी नवरात्रि का शुभारंभ वैदिक पंचांग के अनुसार कलश स्थापना से शुभारंभ किया जाता है.

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