Magh Gupt Navratri 2025: थावे में मां सिंहासनी के दरबार में श्रद्धालुओं का लगा तांता, आज ऐसे करें छिन्नमस्ता की पूजा
Magh Gupt Navratri 2025: माघ गुप्त नवरात्र का आज पांचवां दिन है. आज मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है. 10 महाविद्याओं में मां छिन्नमस्ता का 5वां स्थान है. मां छिन्नमस्ता की पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता है.
Magh Gupt Navratri 2025: माघ गुप्त नवरात्र के पांचवें दिन आज मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है. सोमवार की सुबह से ही बड़ी संख्या में बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक थावे में मां सिंहासनी के दरबार में दर्शन-पूजन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. 10 महाविद्याओं में मां छिन्नमस्ता का 5वां स्थान है. मां छिन्नमस्ता व्यक्ति की सभी चिंताओं को दूर कर उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इनकी पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता है. शिव पुराण में उल्लेखित है कि देवी छिन्नमस्ता ने राक्षसों का वध करके देवताओं को उनसे मुक्त कराया था. देवी छिन्नमस्ता को भगवती त्रिपुर सुंदरी का उग्र रूप माना जाता है. तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व होता है. मां को चिंतपूर्णी भी कहा जाता है. इसका अर्थ यह है कि मां चिंताएं दूर कर देती हैं, जो भक्त सच्ची आस्था और भक्ति के साथ मां के दरबार में आते हैं, उनकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं.
ऐसे करें मां की पूजा
माता छिन्नमस्ता को सरसों के तेल में नील मिलाकर दीपक जलाएं. माता पर नीला अथवा सफेद फूल चढ़ाएं और लोबान से धूप करें. उड़द दाल से बनी मिठाई का भोग लगाएं.
माता छिन्नमस्तिका मंत्र
बाएं हाथ में काले नमक की डली लेकर दाएं हाथ से काले हकीक अथवा अष्टमुखी रुद्राक्ष माला अथवा लाजवर्त की माला से देवी के इस अद्भुत मंत्र का जाप करें.
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा.
गुप्त नवरात्र के चौथे दिन मां के दर्शन कर साधकों ने रखी अपनी कामना
गुप्त नवरात्र के चौथे दिन रविवार को बड़ी संख्या में साधकों ने मां भुवनेश्वरी को लाल लाल सिंदूर, चावल और लाल फूल चढ़ाये. इसके बाद मां को मेवे या शुद्ध दूध से बनी मिठाई का भोग चढ़ाया. मंदिर पहुंचे यूपी, नेपाल व बिहार के विभिन्न जिलों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से दर्शन-पूजन कर घर और परिवार की कुशलता के लिए मंगल की कामना की. इस अवसर पर माता का फूलों से भव्य शृंगार किया गया. मां के दर्शन कर भक्तजन निहाल हो उठे. सुबह में मंगला आरती के बाद से ही मंदिर में दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो दिनभर चलता रहा. नारियल चुनरी, माला फूल, इलायची दाना, रोरी, रक्षा आदि डलिया में लिये श्रद्धालु मंदिर पहुंचे. वहां मां सिंहासनी के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर भावविभोर हो उठे. मंदिर पहुंचने के बाद गर्भगृह से मां का दीदार किया. घंटा, शंख एवं नगाड़े के साथ जयकारे से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो रहा था.