माघ पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन को क्यों नहीं किया जा रहा है अमृत स्नान

Maha Kumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रयागराज के महाकुंभ में पहुंच चुके हैं. उन्होंने संगम में स्नान किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके साथ उपस्थित हैं. प्रधानमंत्री लगभग ढाई घंटे तक प्रयागराज में रहेंगे. पीएम मोदी ने मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी जैसे महत्वपूर्ण अमृत स्नान के अवसरों के बजाय 5 फरवरी का दिन चुना है. आइए जानते हैं कि 5 फरवरी 2025 का धार्मिक महत्व क्या है.

By Gitanjali Mishra | February 5, 2025 1:13 PM
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Maha kumbh 2025, No Amrit Snan on Magh and Mahashivratri: महाकुंभ का तीसरा व अंतिम अमृत स्नान का आयोजन बसंत पंचमी के दिन किया गया. सरकारी डेटा के मुताबिक, सुबह 10 बजे तक 03 फरवरी 2025 को 71.24 लाख श्रद्धालु अमृत स्नान कर चुके हैं.वहीं, 13 जनवरी 2025 से आरंभ हुआ महाकुंभ 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा इस दौरान सिर्फ 3 दिन को ही अमृत स्नान का मान्यता दी गई है वहीं कुछ लोग इसे लेकर असमंजस हैं कि आगे भी 2 अमृत स्नान है, लेकिन माघ पूर्णिमा और शिवरात्रि के दिन को पवित्र स्नान तो है लेकिन अमृत स्नान का शुभ योग नहीं बन रहें है.

महाकुंभ के अगले स्नान की तिथि

12 फरवरी 2025 (बुधवार)- स्नान, माघ पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि

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नहीं होगा इन दोनों तिथियों पर नागा साधुओं का अमृत स्नान

मुगलों के प्राचीनकाल से नागा साधुओं को खास सम्मान देने के लिए विशेष शाही स्नान का दर्जा दिया गया था.वहीं शंकराचार्य ने धर्म के रक्षक के तौर पर नागा साधुओं का एक संगठन तैयार किया गया साथ ही ऐसी धार्मिक मान्यता है कि उनके द्वारा ही नागा साधुओं को सबसे पहले स्नान करने का सम्मान भी दिया गया था. ऐसे में नागा साधु बसंत पंचमी के अमृत स्नान के बाद अपने-अपने धाम या संगठन को लौटने लग जाएंगे.

क्या अमृत स्नान के ग्रहों के अनुसार नक्षत्र योग बन रहें है या नहीं?

ज्योतिषी शास्त्र के मुताबिक महाकुंभ में आयोजित अमृत स्नान ग्रह नक्षत्रों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है.ज्योतिष गणना के हिसाब से जब सूर्य ग्रह मकर राशि में और गुरु ग्रह वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं तब अमृत स्नान (शाही स्नान) मान्यता मानी जाती है.मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी की तिथियों पर गुरु ग्रह वृषभ राशि और सूर्य देव मकर राशि में विराजमान थे.

वहीं दूसरी तरफ माघ पूर्णिमा के दिन देवगुरु बृहस्पति तो वृषभ राशि में विराजमान रहेंगे वहीं सूर्यदेव कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे.इसलिए माघी पूर्णिमा के दिन होने वाला स्नान अमृत स्नान की श्रेणी में नहीं आकर सामान्य स्नान के रूप मे माना जाता है. इसी प्रकार महाशिवरात्रि के दिन भी सूर्य ग्रह कुंभ राशि में विराजित रहेंगे तो इस दिन का स्नान भी अमृत स्नान नहीं माना जाएगा. साथ ही माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान का भी उतना ही अधिक विशेष महत्व है. वहीं 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ ही महाकुंभ का आयोजन का समापन होगा.

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